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थ्री डी फ़िल्मों की दुनिया में नया कदम
थ्री डी फ़िल्मों की दुनिया भर में बढ़ती मांग को देखते हुए भारतीय उद्योगपति अनिल अंबानी के रिलायंस एडीएजी समूह ने अमरीकी कंपनी इन-थ्री के साथ साझेदारी की है.
इसके अंतर्गत रिलायंस मीडियावर्क्स भारत में सामान्य फ़िल्में और वीडियो को थ्री डी में परिवर्तित करेगा.
रिलायंस मीडियावर्क्स का दावा है कि इस दिशा में सभी ज़रुरी काम अगले साल फ़रवरी तक पूरा हो जाएगा. इसके अंतर्गत हर साल पंद्रह से पच्चीस फ़िल्में थ्री डी में परिवर्तित की जाएंगी.
हॉलीवुड निर्देशक जेम्स कैमरॉन की फ़िल्म ‘ऐवेटार’ काफ़ी चर्चा में है. इसकी एक ख़ासियत ये है कि ये थ्री-डी फ़ॉर्मेट में भी दिखाई जा रही है.
नई चुनौती
यूटीवीमोशन पिक्चर्स के चीफ़ क्रिएटिव ऑफ़िसर विकास बहल का कहना है कि भारतीय दर्शक अलग-अलग तरह की फ़िल्में देखना पसंद कर रहे हैं और वो इस तरह की फ़िल्में देखना चाहेंगे. उसे देखते हुए इस तरह की साझेदारी सही है.
लेकिन फ़िल्म समीक्षक इंदू मिरानी कहती हैं कि थ्री डी फ़िल्में भारत में कभी भी बहुत लोकप्रिय नहीं रही हैं और अगर ये कंपनी सिर्फ़ सामान्य फ़िल्में थ्री डी में परिवर्तित कर रही है तो ये प्रयोग सफल नहीं होगा.
इंदू मिरानी ने बीबीसी को बताया, “थ्री डी फ़िल्मों के लिए अलग तरह की कहानी की ज़रुरत होती है. जब दर्शक एक सामान्य फ़िल्म देख सकते हैं तो वो क्यों वही फ़िल्म थ्री डी में देखना चाहेंगे.”
थ्री डी फ़िल्मों की लागत भी आम फ़िल्मों से ज़्यादा होती है और इसलिए इनके टिकट की कीमते भी ज़्यादा होती हैं. इस बारे में विकास बहल कहते हैं, “फ़िल्म निर्माताओं को इस बात का ध्यान रखना होगा कि दर्शकों को इस तरह की फ़िल्में देखने के लिए ज़्यादा ख़र्चा न करना पड़े.”
भारत में अब तक गिनी-चुनी थ्री डी फ़िल्में ही बनी हैं. इंदू मिरानी का ये भी कहना है कि जिस तरह की फ़िल्में पश्चिम में चलती है, ज़रुरी नहीं है कि वो भारत में भी चले. वे कहती हैं, “थ्री डी फ़िल्में वहां लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि पश्चिम में इस तरह की फ़िल्में ज़्यादा बनती हैं जबकि भारत में ये एक नया फ़ॉर्मेट है.”