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संजू देखने के लिए आई इतनी भीड़ कि पूरे 24 घंटा HOUSEFULL शो, बिना ब्रेक

रणबीर कपूर स्टारर संजू ने दर्शकों के बीच तहलका मचा दिया है। भले ही फिल्म को लेकर दो भाग में लोगों की प्रतिक्रिया बंट चुकी हो लेकिन रणबीर कपूर और संजय दत्त के फैन्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
अब ये तो सब जानते हैं कि यूएई यानि कि खाड़ी देशों में बॉलीवुड फिल्में एक दिन पहले रिलीज़ होती हैं लेकिन संजू के साथ ऐसा नहीं हुआ। संजू वहां भी शुक्रवार को ही रिलीज़ हुई।
अब शुक्रवार के कारण, वहां लोग फिल्में कम देखते हैं। उनके मज़हबी नियम के अनुसार वो ऐसा करते हैं। इसलिए फैन्स की उत्सुकता और सुविधा के लिए शनिवार और रविवार को 24 घंटा फिल्म को चालू रखा गया।
[रणबीर कपूर ने सलमान को दिया पहला झटका: 45 पर कच्चा खा गए!]
संजू के शो सुबह 4 बजे से अगले दिन सुबह 4 बजे तक चले। और फैन्स की भीड़ इन शो में भी गज़ब की दिखाई दी। इससे ये तो तय है कि रणबीर कपूर का स्टारडम पूरी तरह आ चुका है।
जानिए वो 10 बातें जो इस फिल्म को बनाती हैं MUST WATCH -

कहानी
राजकुमार हिरानी की संजू, पूरी तरह से एक बायोपिक नहीं है। फिल्म एक तरह की काल्पनिक बायोपिक है। यानि कि फिल्म के किस्से सारे सच है लेकिन किरदार ज़्यादातर बनाए हुए हैं। यानि कि कहानी ही इस फिल्म की जान है। और फिल्म की कहानी टुकड़ों में फैली होने की बजाय, दत्त के जीवन के मुख्य पहलुओं पर फोकस करती है।

डायलॉग्स
अभिजात जोशी के चरण कहीं मिल जाएं तो हम छू लें। एक छोटे से डायलॉग में एक बड़ी सी बात कैसे कह देनी है, ये उन्हें पता है। मसलन, जब आप फिल्म देखेंगे तो आप क्वेश्चन मार्क यानि कि प्रश्नवाचक चिन्ह के फैन हो जाएंगे। वहीं फिल्म के हर 5 - 7 मिनट पर एक शानदार डायलॉग है और उसमें छिपी है एक शानदार सीख।

गाने
फिल्म में केवल चार गाने हैं - मैं बढ़िया, रूबी, हर मैदान फतह और अब बस कर। चारों गाने आपके दिल में घर कर जाएंगे। वहीं फिल्म में कुछ और गानों का इस्तेमाल केवल फिल्म को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। कुल मिलाकर आपको बांधे रखने के लिए काफी है।

किस्से
फिल्म में संजय दत्त की ज़िंदगी से बड़े छोटे छोटे और बारीक किस्से उठाए गए हैं। आपको इनके बारे में कुछ पता नहीं होगा और इसलिए इन किस्सों को सुनना आपको बहुत दिलचस्प लगेगा। थोड़ी ही देर में ये किस्से आपको एक साथ हंसाएंगे भी और रूलाएंगे भी।

विक्की कौशल
विक्की कौशल कहीं मिलें तो सबसे पहले उन्हें सैल्यूट मार दीजिएगा। किसी फिल्म को पीछे से मज़बूती से कैसे पकड़ते हैं ये उन्होंने बताया है। वो लगभग फिल्म के हर तीसरे सीन में थे और जब भी वो स्क्रीन पर होते थे या तो थोड़ा सा हंसा जाते, या थोड़ा सा रूला जाते या फिर कुछ सिखा जाते।

परेश रावल
परेश रावल ने इस फिल्म को रणबीर कपूर के साथ सामने से संभाला है। एक पिता से दोस्त बनने तक के उनके संघर्ष को जिस तरह से परदे पर उतारा गया है आप उनके जैसा बनना चाहेंगे। उनके जाने से आपको फर्क पडेगा, वो आप पर इतना असर छोड़ जाएंगे।

डायरेक्शन
बॉलीवुड को सच में राजकुमार हिरानी से सीखना चाहिए कि बायोपिक बनाते कैसे हैं। बिना संजय की ज़िंदगी को पूरा फैलाने के, उन्होंने उनकी ज़िंदगी के कुछ अहम किस्सों को उठाया और उन्हें केवल तीन मुख्य किरदारों के साथ पिरो दिया। राजकुमार हिरानी की इस सफल कोशिश के लिए जितनी तारीफें की जाएं वो कम हैं।

शानदार बैलेंस
संजू में शानदार बैलेंस है। फिल्म जितना आपको हंसाती है, उतना ही रूलाती भी है। कुल मिलाकर फिल्म भले ही संजय दत्त की कंट्रोवर्सी से दूर है लेकिन फिल्म में एक सच्चाई है और कुछ अनसुने किस्से हैं। एक बेटे की कहानी है, बाप की नज़र से और एक बाप की कहानी है उसके बेटे की। नज़र से। संजू दो दोस्तों की कहानी है, एक दूसरे से जुड़े रहने की कहानी। कुल मिलाकर बेझिझक टिकट कटाइए और निपटा के आइए।

बिल्कुल फ्रेश
फिल्म को काफी ज़्यादा प्रमोट किया गया है लेकिन फिर भी फिल्म जब आपके सामने होगी तो पूरी तरह फ्रेश होगी। फिल्म में आपको ट्रेलर या टीज़र की कोई झलक मिलेगी ही नहीं।

रणबीर कपूर
और फिल्म देखने का सबसे बड़ा कारण - रणबीर कपूर। फिल्म देखने का इकलौता कारण भी बना सकते हैं। हर सीन के साथ रणबीर आपको खुद से जोड़ते चले जाएंगे। बस उठिए और अपनी बुकिंग करा लीजिए।