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आलिया भट्ट के डार्लिंग्स पति बनना चाहते थे शाहरूख खान, केवल इस एक कारण से नहीं कर पाए ये रोल
आलिया भट्ट के इटरनल सनशाइन्स प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी उनकी पहली फिल्म डार्लिंग्स नेटफ्लिक्स पर लगातार दूसरे नंबर पर ट्रेंड कर रही है। फिल्म को दर्शकों का काफी प्यार मिला है और उतनी ही नफरत मिल रही है फिल्म में आलिया भट्ट के पति बने हमज़ा यानि कि विजय वर्मा को। विजय वर्मा इसे अपनी सफलता मान रहे हैं।
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हालांकि,
विजय
का
कहना
है
कि
वो
ये
फिल्म
करें
या
नहीं
करें,
इस
मामले
को
लेकर
काफी
ज़्यादा
पसोपेश
में
थे।
उनकी
मां
भी
नहीं
चाहती
थीं
कि
विजय
इतना
निगेटिव
किरदार
करें
और
विजय
भी
निगेटिव
किरदार
नहीं
निभाना
चाहते
थे।
फिर विजय वर्मा को पता चला कि असल में ये रोल उनसे पहले शाहरूख खान के पास था। शाहरूख खान की कंपनी रेड चिलीज़ ने इस फिल्म को आलिया भट्ट के साथ प्रोड्यूस किया है। विजय ने बताया कि जब ये स्क्रिप्ट शाहरूख खान के पास पहुंची तो उन्हें ये इतनी पसंद आई कि वो खुद हमज़ा का किरदार करना चाहते थे।
शाहरूख
खान
ये
किरदार
केवल
इसलिए
नहीं
कर
पाए
क्योंकि
वो
इस
किरदार
के
लिए
बहुत
बड़े
लगते।
बस
फिर
जब
विजय
को
ये
बात
पता
चली
तो
उन्हें
लगा
कि
सुपरस्टार
शाहरूख
खान
अगर
कोई
किरदार
करना
चाह
रहे
हैं
तो
उस
किरदार
में
कितना
दम
होगा।
इसके
बाद
विजय
ने
इस
किरदार
को
हां
बोलने
में
ज़्यादा
समय
नहीं
लगाया।
हमज़ा को मिली सफलता
डार्लिंग्स बदरू और उसके डार्लिंग्स हमज़ा की कहानी है। इस कहानी का हिस्सा हैं बदरू की अम्मी शम्सू। फिल्म में विजय वर्मा विजय वर्मा एक बेवड़े आशिक़ी से लैस पति के किरदार में पूरा न्याय करते हैं लेकिन ये कहानी उनकी नहीं हैं और इसकी कमी आपको कई जगह स्क्रीनप्ले में खलेगी। इसके बावजूद विजय वर्मा ने अपने अभिनय से इस फिल्म को जीता है।
हिस्से में आए हैं शानदार डायलॉग्स
फिल्म में विजय वर्मा के हिस्से काफी अच्छे डायलॉग्स आए हैं। मैं कमीना हूं, लेकिन मेरा प्यार कमीना नहीं है। सोचो प्यार नहीं करता तो मारता क्यों? तुम प्यार नहीं करती तो सहन क्यों करती? फिल्म में जब हमज़ा अपनी डार्लिंग्स बदरू को ये बोलता है तो ये एक डायलॉग हमज़ा और बदरू की कहानी ही बदल देता है। कैसे? इसके लिए तो आपको नेटफ्लिक्स पर ये फिल्म देखनी पड़ेगी।
घरेलू हिंसा पर बनी फिल्म
घरेलू हिंसा से लड़ने के लिए दो बिल्कुल अलग समाधान देती है। जहां बदरू, घरेलू हिंसा जूझते हुए भी पति को मौका देना चाहती है और दारू को हिंसा का दोषी मानती है तब तक जब तक ये दारू के बिना नहीं होता। वहीं बदरू की मां जो शुरू से उसे दो ही ऑप्शन दिखाती है - या तो पति को मार दे या उसे छोड़ दे।
विजय ही चाहती थीं आलिया
आलिया भट्ट और विजय वर्मा ने इससे पहले एक साथ, गली बॉय में काम किया है। इसी फिल्म के साथ विजय वर्मा को पहचान मिली थी और तब से आलिया उनके साथ काम करना चाहती थीं। इसलिए जब आलिया के पास डार्लिंग्स की स्क्रिप्ट आई तो वो अपने दिमाग में बिल्कुल तय कर चुकी थीं कि फिल्म में हमज़ा का किरदार तो विजय वर्मा ही निभाएंगे।
जानी पहचानी सी फिल्म
खामियों के बावजूद, डार्लिंग्स एक बार तेज़ी से ऊपर उठती है अपने क्लाईमैक्स के साथ। जो शायद आपके मन में फिल्म की शुरूआत से ही होगा लेकिन फिर भी वही क्लाईमैक्स परदे पर देखना आपको सुकून देता है। और यही इस कहानी को स्टार बना देता है। आमतौर पर predictable climax अक्सर ही दर्शकों का मूड खराब करते हैं लेकिन डार्लिंग्स के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए डार्लिंग्स सेकंड हाफ में बोझिल होने के बावजूद आपको अपने क्लाईमैक्स के साथ तरोताज़ा कर देती है।
नेटफ्लिक्स पर देखिए डार्लिंग्स
जानवर समझी मेरे कू? कुछ भी मिला के देगी खाने में, खा लेगा मैं? पी के जानवर बन जाते हो इसलिए इंसान बनाने की कोशिश की मैं! इसी जद्दोजहद के साथ शुरू होती है बदरू और हमज़ा की कहानी। हमज़ा जिसकी दारू उसके अंदर के जानवर को बाहर निकालती है और वो बदरू जो इस बात को केवल एक परेशानी मानती है। घरेलू हिंसा को भी प्यार से जीतने की कोशिश में बदरू अपनी शादी के तीन साल निकाल चुकी है। ये फिल्म आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।
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