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    सेंसर बोर्ड खुद ही है कंफ्यूज, क्या बैन करना है क्या नहीं....पता नहीं

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    पहले एआईबी रोस्ट और फिर बॉलीवुड फिल्मों के लिए जारी की लिस्ट को लेकर सेंसर बोर्ड में काफी बवाल मचता दिख रहा है। बाहर तो बाहर, बोर्ड के सदस्यों में भी फैसलों को लेकर एकजुटता नहीं दिख रही है। अध्यक्ष पहलाज निहलानी लगाम कसने में लगे हैं तो अशोक पंडित जैसे सदस्य बोर्ड से अलग बयान दे रहे हैं।

    censor board

    बहरहाल, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने बोर्ड की तरफ से आपत्तिजनक शब्दों और गालियों पर लगाए गए बैन का बचाव करते हुए कहा है कि अगर किसी को भी बोर्ड के फैसले से आपत्ति है तो वो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का दरवाजा खटखटा सकता है। आपको बता दें, कुछ दिनों पहले सेंसर बोर्ड ने कुछ अपशब्दों की लिस्ट जारी की थी, जिसे किसी भी सर्टिफिकेट की फिल्मों में शामिल नहीं किया जा सकता। इस लिस्ट को लेकर निर्देशकों ने काफी आपत्ति जताई।

    पढ़ें- सेंसर बोर्ड ने बॉलीवुड की कसी लगाम

    वहीं, बोर्ड के सदस्य और फिल्ममेकर अशोक पंडित ने इस निर्णय को लेकर निहलानी की आलोचना कर दी। पंडित ने ट्वीट करके कहा था कि बैन किए गए शब्दों की लिस्ट तैयार करने से पहले बोर्ड के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श नहीं किया गया था। पंडित ने ट्विटर पर कहा कि बैन किए गए शब्दों की लिस्ट भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

    <blockquote class="twitter-tweet blockquote" lang="en"><p>I as a Filmmaker & <a href="https://twitter.com/hashtag/CBFC?src=hash">#CBFC</a> board member do not endorse the list issued by the Chairperson On words not to be used in films.I ws nt consulted.</p>— Ashoke Pandit (@ashokepandit) <a href="https://twitter.com/ashokepandit/status/566170449948598272">February 13, 2015</a></blockquote> <script async src="//platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

    आपको बता दें, इससे पहले भी एआईबी को लेकर और फिल्म एमएसजी को लेकर सेंसर बोर्ड में तकरार हो चुकी है। जबकि अध्यक्ष निहलानी का कहना है कि बोर्ड ने उन शब्दों की लिस्ट बनाई गई है जिन्हें फिल्मों में आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। मैंने इन शब्दों को नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि, 'मैं सिर्फ दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा हूं। मैं खुद कुछ नहीं कर रहा। अगर इंडस्ट्री के लोगों को परेशानी है, तो उन्हें मंत्रालय जाकर स्वीकृति लेनी चाहिए। मैं निर्देशों का पालन करूंगा।'

    English summary
    Censor Board's list of banned 'abusive' words has taken a new turn with CBFC chief Pahlaj Nihalani lashing out at his colleague for publicly criticising it and defending the list.
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