twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    ब्रेक के बाद: युवाओं को लुभाने वाला संगीत

    By Jaya Nigam
    |
    ब्रेक के बाद: युवाओं को लुभाने वाला संगीत

    पवन झा, संगीत समीक्षक

    बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

    'ब्रेक के बाद' में विशाल-शेखर का संगीत है.

    विशाल-शेखर वो संगीतकार जोड़ी है जिसे हिंदी फ़िल्मों के संगीत-पटल पर चल रहे बदलाव का सबसे ज़्यादा फ़ायदा हुआ है. दरअसल ए. आर. रहमान, ऑस्कर और ग्रैमी के बाद वैश्विक संगीत के सृजन में व्यस्त हैं और हिन्दी फ़िल्मों में यदा कदा ही सुनाई पड़ते हैं.

    जतिन-ललित बिखराव के बाद अब तक जुड़ नहीं पाए हैं. इधर हिमेश रेशमिया का बुलबुला अब फ़ूट चुका है. अनु मलिक, शंकर-एहसान-ल़ॉय और प्रीतम भी कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे हैं.

    विशाल-शेखर का संगीत युवा वर्ग को लुभा सकता है.

    इन्हीं सब वजहों ने विशाल-शेखर को सबसे व्यस्त संगीतकारों में से एक बना दिया है. और ख़ासकर हल्की-फ़ुल्की रोम-कॉम फ़िल्मों में उनका संगीत काफ़ी लोकप्रिय रहा है.

    शायद यही देखते हुए निर्माता कुणाल कोहली ने अपनी नई फ़िल्म "ब्रेक के बाद" में उनको अवसर दिया है.

    'ब्रेक के बाद' इस दौर की एक रोमांटिक कॉमेडी है, जिसका मुख्य दर्शक वर्ग मल्टीप्लेक्स सिनेमा जाने वाला युवा वर्ग है.

    'ब्रेक के बाद' के गाने प्रसून जोशी ने लिखे हैं.

    विशाल-शेखर ने इस साल इसी वर्ग के लिये 'आई हेट लव स्टोरीज़' और 'अनजाना-अनजानी' में संगीत दिया है. हालांकि फ़िल्में ज्यादा नहीं चल पाईं मगर उनका संगीत कामयाब रहा है.

    इस फ़िल्म में भी वे अपने इस दर्शक वर्ग के लिये फ़िल्म के अनुकूल संगीत रचनाओं के साथ हाज़िर हैं. 'ब्रेक के बाद' में उनके संगीत को शब्दों का एक नया साथ मिला है, और वो है गीतकार प्रसून जोशी की कलम का साथ.

    विशाल-शेखर और प्रसून की ये जोड़ी किसी हद तक अपना असर छोड़ने में कामयाब रही है. इस एलबम में पांच मुख्य गीत हैं.

    साउंड ट्रैक की शुरुआत विशाल और एलिसा मैन्डोसा के गाए "अधूरे तुम अधूरे हम" गीत से होती है. फ़िल्म दो मुख्य कलाकारों (इमरान और दीपिका) के आपसी रिश्तों में उतार चढ़ाव पर आधारित है और ये गीत फ़िल्म के दोनो मुख्य किरदारों का परिचय देता है.

    विशाल-शेखर का संगीत संयोजन प्रभावी है और ये गीत एलबम का सबसे बेहतरीन गीत बन पड़ा है और फ़िल्म का सबसे लोकप्रिय गीत भी.

    "अधूरे" के बाद गीत है "अजब लहर", जिसे नीरज श्रीधर ने अपने जाने माने चुलबुले अंदाज़ में गाया है. धुन बहुत खास नहीं है, मगर विशाल-शेखर के वाद्य संयोजन और प्रसून जोशी के गुदगुदाते शब्दों की वजह से सुनने लायक बन पड़ी है.

    फ़िल्म में कुल पाँच गाने हैं.

    साउंडट्रैक में अगला गीत है "धूप के मकान सा ये" जो मुख्य किरदारों के रिश्ते में आए नए मोड़ और नई शुरुआतों को बहुत ख़ूबसूरती से पेश करता है. शेखर और सुनिधि के मुख्य स्वर में प्रसून के शब्दों का जादू उभर के आया है.

    "ज़रूरी है दूरियां" एलबम की अगली पेशकश है जिसे फ़िल्म का थीम सॉन्ग कहा जा सकता है. फ़िल्म की थीम रिश्तों में दूरियों (स्पेस) की ज़रूरत की बात करती है और ये गीत भी उन्हीं दूरियों को शब्दों में चित्रित करता है. विशाल फिर से गायक के रूप में मौजूद हैं और साथ में हैं मोनिका डोगरा (जो आने वाली फ़िल्म धोबी घाट की नायिका भी हैं). दोनों की गायकी दमदार है और गीत को ऊर्जा देती है.

    अगला गीत "मैं जियूंगा" एक औसत स्तर का गीत बन पड़ा है और इसके लोकप्रिय होने के आसार कम हैं हालांकि निखिल डिसूज़ा ने गीत के साथ न्याय किया है मगर संगीत और शब्दों के तालमेल में कमी की वजह से थोड़ा कमज़ोर हुआ है.

    इन पाँच गीतों के अलावा एक इंग्लिश गीत "डोंट वरी अबाउट मी", मैं जियूंगा का ही विस्तारित भाग लगता है. "धूप के मकान" का अकाउस्टिक वर्शन अच्छा बन पड़ा है और "अधूरे" का रिमिक्स वर्शन काम चलाऊ है.

    पूरे साउंडट्रैक की बात की जाए तो प्रसून जोशी के शब्द स्तरीय हैं और विशाल शेखर के संगीत को एक आभा प्रदान करते हैं । उम्मीद है दोनो का साथ आगे भी कई सुनने लायक रचनाओं को जन्म देगा.

    अंत में : अगर आप 'ब्रेक के बाद' के संगीत से कुछ अपेक्षा रखते हैं तो ये एलबम आपकी उम्मीदों पर ख़रा उतरेगा, और अगर नहीं भी रखते हैं तो सुनने की कोशिश करें, आपकी उम्मीदों से बेहतर साबित होगा. नंबरों के लिहाज़ से पांच में से तीन इस एलबम के लिए

    फिर मिलते हैं, एक 'ब्रेक के बाद!'

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X