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एक आंख से देख नहीं सकते बाहुबली के 'भल्लाल देव'
बाहुबली में 'भल्लाल देव' बनने वाले राना दग्गुबती जिस आंख से देख पाते हैं वो उन्हें दान में मिली है।
फ़िल्म 'बाहुबली' के राज़ 'कट्प्पा ने बाहुबली को क्यों मारा' से पर्दा उठ चुका है. लेकिन फ़िल्म के चाहनेवाले ये बात जानकर चौंक जाएंगे कि फ़िल्म में उनके पसंदीदा किरदार भल्लाल देव यानी अभिनेता राना दग्गुबती असल ज़िंदगी में एक आंख से नहीं देख सकते.
फ़िल्म में अपनी बेहतरीन अदाकारी से सबका दिल जीतने वाले दग्गुबती के ज़्यादातर फैंस को अबतक इस बात का अंदाज़ा नहीं था. बीबीसी से ख़ास बातचीत में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया.
उन्होंने कहा,"हां मैं दाईं आंख से नहीं देख सकता. एक आंख से ना देख पाना मेरे लिए पहले परेशानी का कारण था पर अब नहीं है. मैं इस सच के साथ खुश हूं और रहूंगा."
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'बाहुबली' में दग्गुबती भल्लाल देव का नेगेटिव किरदार निभा रहे हैं. अक्सर ऐसे किरदार हमेशा के लिए किसी अभिनेता के साथ बंध जाते हैं और उसकी पहचान बन जाते हैं.
अच्छा लड़का हूं...
कहीं उनके फैंस उन्हें असल ज़िंदगी में भी भल्लाल देव ना समझ लें, इस पर सफ़ाई देते हुए दुग्गुबती कहते हैं, "भल्लाल देव से मेरी पर्सनैलिटी बिलकुल उलट है. मैं बहुत अच्छा लड़का हूं."
"मैं उसकी तरह लालची नहीं हूं ना ही कहीं का राजा बनना चाहता हूं. मैं फ़िल्में करना चाहता हूं और कूल सिनेमा का हिस्सा बने रहना चाहता हूं."
'बाहुबली' का प्रस्ताव राना दग्गुबती को 2012 में मिला. निर्देशक एस.एस.राजामौली के साथ उन्होंने बाहुबली सिरीज़ की दोनों फ़िल्मों में काम किया है. दग्गुबती कहते हैं कि स्क्रिप्ट सुनकर ही वो समझ गए थे कि ये फ़िल्म इतिहास रचेगी.
"जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी तभी समझ गया था कि राजामौली ऐसी फ़िल्म बना रहे हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी. मैं ऐसी फ़िल्म का हिस्सा बनना चाहता था."
"राजामौली बहुत ही सरल इंसान हैं. मैं उनके साथ काम कर सीखना चाहता था. वो सब करना चाहता था जिसकी उन्हें मुझसे उम्मीद थी. मुझे खुशी है कि मैं डिलीवर कर पाया."
सबसे बड़ा स्टार...
अभिनेता प्रभास बाहुबली में टाइटल रोल निभा रहे हैं. दुग्गुबती की माने तो इस फ़िल्म ने प्रभास को हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा स्टार बना दिया है.
"प्रभास को हर क्रेडिट मिलना चाहिए. अपने करियर के चरम पर वो इस फ़िल्म के साथ पांच साल से ज़्यादा वक्त तक खड़ा रहा. इस दौरान उसने कोई और फ़िल्म नहीं की. आज वो भारतीय सिनेमा का इतना बड़ा हीरो है. उसकी जर्नी का हिस्सा बनकर मुझे खुशी है."
बाहुबली से पहले डिजिटल कलाकारी वाली वो फ़िल्में
बाहुबली में प्रभास और दग्गुबती की जो बॉडी दिखाई दे रही है उसके पीछे महीनों की मेहनत है. दग्गुबती के मुताबिक स्क्रीन पर जो बॉडी दिख रही है वो ग्राफिक्स का कमाल नहीं बल्कि असली है.
"ये एक वॉर फ़िल्म थी जिसके लिए हमें योद्दा की तरह दिखना था. फ़िल्म के शुरू होने से करीब छह महीने पहले से ही हमने ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. ट्रेनिंग के लिए हम काफी एक्साइटेड थे क्योंकि इस तरह की बॉडी बनाने के बाद ही शॉट अच्छा दिखता है और देखने में मज़ा आता है."
हिंदी सिनेमा सौ साल से भी ज़्यादा पुराना है जहां हर साल हज़ारों फ़िल्में बनती हैं. माना जा रहा है कि बाहुबली हिंदी सिनेमा की अबतक की सबसे बड़े पैमाने पर बनाई गई फ़िल्म है.
सात साल के काम से बना इतिहास
अब तक बाहुबली जैसी फ़िल्म के नहीं बन पाने के पीछे दग्गुबती कई वजह मानते हैं.
"सबसे पहले तो उन लोगों की ज़रूरत होती है जो इतने बड़े आइडिया पर यकीन करें और उसके साथ आगे बढ़ें."
"इंडस्ट्री में इतना बड़ा जोख़िम उठाने वाले लोग कम हैं. फिर ऐसे कलाकार भी चाहिए जो किसी फ़िल्म को 5 साल देने के लिए तैयार हों. ऐसी फ़िल्में रोज़ नहीं बनाई जा सकती. लेकिन बाहुबली की सफलता के बाद मैं उम्मीद कर सकता हूं कि इस तरह की और फ़िल्में देखने को मिलेंगी."
'बाहुबली' पर एस.एस.राजामौली ने करीब सात साल काम किया और इसकी लागत में 430 करोड़ रूपये लगे. फ़िल्म का पहला भाग 'बाहुबली- द बिगिनिंग' साल 2015 में आया था.
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