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ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का संगम : पठानकोट
पाक में महिला संगीत बैंड का जलवा
इसकी दो वजहें हैं. एक तो ये कि ये बैंड दो लोगों पर निर्भर है और दोनों महिला हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि इन दोनों महिलाओं का संबंध पश्तून क़बायाली बिरादरी से हैं.
हानिया असलम और ज़ेबुननिसा (ज़ेब) दोनों रिश्तेदार भी हैं.
हानिया का कहना है, "जहाँ तक हमें याद पड़ता है, हम दोनों को छह साल की उम्र से संगीत का शौक़ था. इसकी शुरुआत ख़ानदानी आयोजनों से हुई. हमारे पूरे खानदान को संगीत का शौक़ है. मेरे रिश्तेदारों को वाद्ययंत्र भी बजाने आते हैं."
दादी का प्रभाव
हानिया कहती हैं, " इस मामले में सबसे बड़ा प्रभाव हमारी दादी का था जो एक कवियत्री थीं और उन्हें तीन भाषाएं आती थी."
जहाँ तक हमें याद पड़ता है, हम दोनों को छह साल की उम्र से संगीत का शौक़ था. इसकी शुरुआत ख़ानदानी आयोजनों से हुआ. हमारा पूरा ख़ानदान संगीत का शौक़ीन है. मेरे पिता को सिर्फ़ संगीत का शौक़ है लेकिन मेरे रिश्तेदारों को वाद्ययंत्र भी बजाने आते हैं हानिया
जहाँ तक हमें याद पड़ता है, हम दोनों को छह साल की उम्र से संगीत का शौक़ था. इसकी शुरुआत ख़ानदानी आयोजनों से हुआ. हमारा पूरा ख़ानदान संगीत का शौक़ीन है. मेरे पिता को सिर्फ़ संगीत का शौक़ है लेकिन मेरे रिश्तेदारों को वाद्ययंत्र भी बजाने आते हैं |
उनकी पहली एलबम काफ़ी लोकप्रिय हुई है और पाकिस्तानी समाचार पत्रों में उसकी ख़ूब तारिफ़ की गई है.
इन दोनों का संबंध सुबा सरहद के कोहाट इलाक़े से है. लेकिन हानिया का कहना है कि वे लोग कभी कोहाट में नहीं रहे, लेकिन ख़ानदान के आयोजनों में जाते रहते हैं.
तालेबान और संगीत
ज़ेब और हानिया एक ऐसा उदाहरण है जो ये बताते हैं कि सूबा सरहद को सिर्फ़ तालेबान के चश्मे से न देखा जाए.
लेकिन ज़ेब और हानिया का कहना है कि वो चाहती हैं कि उन्हें उनके संगीत की वजह से पहचाना जाए न कि वो किस इलाक़े से हैं.
ज़ेब का कहना है, "संगीत और गाने लिखना पाँच साल पहले शुरु हुआ, जब हम अमरीका में स्मिथ एंड विसलेयन कॉलेज में पढ़ती थी."
हानिया ने बताया," मैंने विभिन्न वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया और ज़ेब संगीत की क्लासेस ले रही थी, और हम दोनों ने कुछ गाने रिकॉर्ड किए.
हानिया के अनुसार ये एलबम न निकलती अगर वो दोनों अपने रिकॉर्ड किए गानों को इंटरनेट पर न डालती.
हानिया संगीत को सजाती है और कुछ गाना गा लेती है, मैं जितनी मदद कर सकती हूँ करती हूँ लेकिन असल में मैं संगीतकार हूँ ज़ेब
हानिया संगीत को सजाती है और कुछ गाना गा लेती है, मैं जितनी मदद कर सकती हूँ करती हूँ लेकिन असल में मैं संगीतकार हूँ |
हानिया कहती हैं, "पाकिस्तान वापसी पर पता चला कि कुछ एफ़एम चैनल हमारे गाने को बजा रहे थे और इससे हमें काफ़ी हौसला मिला और हमने एलबम बनाने का सोचा, और देखते ही देखते दस गाने लिख दिए."
हालांकि दोनों एक साथ काम करती हैं लेकिन ज़ेब का कहना है, "हानिया संगीत को सजाती है और कुछ गाना गा लेती है, मैं जितनी मदद कर सकती हूँ करती हूँ लेकिन असल में मैं संगीतकार हूँ."
लोग पसंद कर रहे हैं
हानिया का कहना है,"पाकिस्तान के और संगीसकारों ने भी उनकी मदद की है. जब पहली बार स्टेज पर प्रदर्शन किया तो ताने कसे गए लेकिन जब संगीत शुरु हुआ तो लोगों ने बड़ा पंसद किया."
संगीत के आलोचक नजीम फ़ारूक़ का कहना है, "इन दोनों ने संगीत के क्षेत्र में एक इतिहास रचा है, दोनों को और मेहनत करनी होगी, क्योंकि इनका संगीत अच्छा और असाधारण है."
हानिया कहती है, "हमने शुरु किया है और अच्छा करने की बहुत गुंजाइश है."