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    मेरा अस्‍पताल ही मेरी जिंदगी है: आशा

    By Staff
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    Asha Parekh
    बड़े परदे पर कम नजर आने वाली अपने जमाने की मशहुर अभिनेत्री आशा पारेख आजकल केवल अपने अस्‍पताल पर पूरा ध्‍यान दे रहीं है। उनके नाम पर बने बीसीजी अस्पताल उर्फ आशा पारेख अस्पताल पिछले आठ महीनों बंद है।

    शांता क्रूज स्थित यह अस्पताल कई समस्याओं के कारण बंद हो गया था। आशा पारेख इसे दुबारा खेलने की योजना बना रही है। पारेख इसे कामकाजी लोगों के लिए एक बेहतरीन सुविधाओं वाले अस्पताल का रूप देना चाहती हैं।

    पारेख ने इस बारे में बताया पिछले दिनों स्थिति बेहद खराब हो गई थी। आठ महीने पहले कुछ लोग अस्पताल में घुस आए थे और कर्मचारियों को परिसर छोड़ने को कहा था।

    उन लोगों का आरोप था कि हम इस अस्पताल को बंद करके शॉपिंग मॉल बनाने जा रहे हैं। मैंने उन लोगों को समझाने की कोशिश की कि मैं किसी भी कीमत पर शांता क्रूज के आसपास रहने वाले लोगों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती।

    पारेख ने 60 के दशक में 'लव इन टोक्यो', 'कटी पतंग', 'जब प्यार किसी से होता है', 'तीसरी मंजिल' और 'दो बदन' जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में अभिनय किया है। अपने फिल्मी करियर के दौरान पारेख सहायतार्थ कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं। हालांकि इस बारे में चर्चा करना उन्हें कभी पसंद नहीं रहा।

    पारेख ने कहा कि मेरे लिए यह अस्पताल अब एक मिशन बन चुका है। यह मेरी जिंदगी बन चुका है। पहले मैंने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन इसके बंद होने के बाद मुझे अहसास हुआ कि यहां के मध्यवर्गीय समाज के लिए यह कितना जरूरी है। अब मैं इसे पहले से कहीं ज्यादा सुविधाओं के साथ शुरू करने की योजना बना रही हूं।

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