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    क्रिकेट के मौसम में संगीत के रंग

    By Bbc
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    क्रिकेट के मौसम में संगीत के रंग

    पवन झा, संगीत समीक्षक

    बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

    शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी ने तैयार किया है विश्व कप का थीम सॉन्ग.

    19 फ़रवरी से क्रिकेट का 10वां विश्व कप शुरू हो रहा है. 15 सालों बाद विश्व कप भारतीय उप-महाद्वीप में आयोजित हो रहा है जिसको लेकर ज़बरदस्त उत्साह देखा जा सकता है.

    विश्व भर में मुख्य खेल स्पर्धाओं में संगीत का चलन बहुत पुराना है. लेकिन पिछले एक दशक में आधिकारिक थीम सॉन्ग जारी करने का चलन बढ़ गया है.

    इस क्रिकेट विश्व कप के लिये आईसीसी ने विशेष रूप से आधिकारिक थीम सॉन्ग तैयार कराया है 'दे घुमा के' जिसे इसी नाम से एक एलबम के रूप में जारी किया है.

    दसवें क्रिकेट विश्व कप का ये आधिकारिक थीम सॉन्ग शंकर-एहसान-लॉय की टीम ने संगीतबद्ध किया है और वो उद्घाटन समारोह में इसे प्रस्तुत भी करेंगे.

    चूंकि ये विश्व कप भारत के साथ साथ श्रीलंका और बांग्लादेश में भी आयोजित किया जा रहा है तो आधिकारिक तौर पर इस गीत के हिन्दी के अलावा बांग्ला और सिंहली संस्करण भी तैयार किए गये हैं.

    मुख्य हिन्दी गीत को स्वर दिये हैं शंकर ने और उनका साथ दिया है दिव्य कुमार ने. गीत मनोज यादव ने लिखा है और उन्होने गली मोहल्ले की शब्दावली को गीत का आधार बनाया है.

    शब्दों पर गौर फ़रमाइए "ऐड़े पैड़े दे घुमा के, आरे पारे दे घुमा के" . शंकर ने पूरे उत्साह से गीत गाया है और संगीत में भी वाद्यों के साथ ढोल का प्रयोग जोश भरने में कामयाब हुआ है. मनोज ने अपने शब्दों से खेल की बारिकियां पकड़ने की कोशिश की है.

    मगर फिर भी एक ऑफ़िशियल थीम सॉन्ग से जो उम्मीद की जाती है गीत उस स्तर को छूने में नाकाम रहा है. कारण- गीत में जोश तो है लेकिन क्रिकेट को लेकर भारत में जो जुनून और भावनाएं हैं वो इस गीत में बहुत उभर के नहीं आ पाया है.

    इस गीत के अतिरिक्त एक और क्रिकेट गीत इन दिनों सुनाई पड़ रहा है और वो है शान का गाया "लैट्स रॉक इंडिया".

    दरअसल ये गीत पिछले साल प्रदर्शित हुई फ़िल्म "वर्ल्ड कप 2011" का है मगर इन दिनों फिर से सुनाई दे रहा है. आदेश श्रीवास्तव के संगीतबद्ध किए इस गीत को शान ने जोश के साथ गाया है और कोरस का प्रयोग गीत में स्टेडियम का वातावरण गढ़ने के लिये किया गया है.

    गीतकार समीर के सरल शब्दों में भारत के चैम्पियन बनने की बात कही गयी है. गीत औसत से बेहतर है.

    विश्व कप के संबंध में एक विशेष गीत का जिक्र ज़रूरी है. बात है 28 साल पहले की जब भारत ने 1983 में पहला और अब तक का एकमात्र विश्व कप जीता था.

    भारत में क्रिकेट का आधिकारिक संगठन बीसीसीआई उन दिनों संपन्न नहीं था और खिलाड़ियों को पुरस्कार के रूप में एक सम्मानजनक प्रोत्साहन राशि देने मे असमर्थ था.

    बीसीसीआई ने उस समय लता मंगेशकर से मदद के लिये आग्रह किया. लता जी ने अगस्त 1983 में खिलाड़ियों के लिए दिल्ली में एक कॉन्सर्ट आयोजित की.

    उस अवसर पर अन्य गीतों के साथ लता जी ने एक विशेष गीत प्रस्तुत किया "भारत विश्वविजेता", जिसकी धुन उनके भाई पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर ने रची थी और बोल इंदीवर ने लिखे थे.

    ख़ास बात ये थी कि गीत को स्टेज पर लता जी के साथ समस्त भारतीय टीम जिसमें कप्तान कपिल देव, सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ शामिल थे, ने गाया और एक अनूठी संगीत प्रस्तुति में योगदान दिया.

    आने वाले क्रिकेट विश्व कप के लिये और भी गीत तैयार किए जा रहे हैं.

    विश्व कप के दौरान दर्शकों के शोर और चौके-छक्कों की गूंज के साथ संगीत के स्वर भी प्रमुखता से सुनाई देंगे इसमें कोई शक नहीं है.

    नंबरों के लिहाज़ से ऑफ़िशियल गीत "दे घुमा के" को पाँच में से तीन नंबर.

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