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एक मुलाक़ात गायक शान से
आपको गाने का शौक कैसे हुआ. आपके पिताजी संगीत निर्देशक थे, तो क्या उन्होंने आपमें गायक को खोजा या फिर खुद ही?
मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं गाना गाउंगा या संगीत से इस तरह जुड़ुंगा. मेरे पिताजी, माँ, दीदी सभी अच्छा गाते थे और मैं जब गाता था तो गला टूट जाता या सुर ठीक से नहीं लगते थे. मैंने सोचा कि मैं गाने-वाने से दूर ही रहूँ तो ठीक रहेगा. इसलिए दूसरे कई काम किए. सोचता था कि विज्ञापन या पत्रकारिता के क्षेत्र में चला जाऊँ. लेकिन उसी बीच कुछ हल्के-फुल्के काम मिलते गए और सिलसिला बनता गया.
कुछ एड भी जिंगल्स बनाए आपने?
हाँ. मुझे लगता था कि ठोस गाने तो मैं गा नहीं पाऊँगा, जिंगल्स गाना कुछ आसान होगा. इसी बीच में पॉप का सिलसिला शुरू हो गया और मैं इस तरह के एलबम करने लगा. न चाहने के बावजूद कुछ बात बन ही गई.
आपको पहला ब्रेक आरडी बर्मन साहब ने दिया?
नहीं, उसे तो आप ब्रेक नहीं कह सकते. वो इत्तेफ़ाक था कि फ़िल्म तैयार हो गई थी और डबिंग-मिक्सिंग का काम चला रहा था. वे एक आवाज़ ढूँढ़ रहे थे जो बच्चे सी लगे. वो एक ही लाइन थी...हिम्मत से डरेगा, हर आदमी हमारे. इतना ही था. बांद्रा में हमारे पास ही एक स्टूडियो था. मेरी माँ को फ़ोन आया कि अपने बेटे को भेज दीजिए, उसे एक लाइन गाना है. कमाल की बात ये है कि इस एक लाइन के लिए ही फ़िल्म में मेरा नाम डल गया. ये विधु विनोद चोपड़ा की मेहरबानी थी.
आरडी बर्मन साहब के लिए भले ही आपने एक ही लाइन का काम किया हो, लेकिन अनुभव कैसा रहा?
मैं
बहुत
भाग्यशाली
था.
दरअसल,
राज
कौशल
अपनी
फ़िल्म
‘प्यार
में
कभी-कभी.
में
हर
काम
के
लिए
नए
आदमी
को
लेना
चाहते
थे.
उस
फ़िल्म
में
काम
करने
वाले
कई
अभिनेता
आज
स्टार
भी
हैं |
फिर आपका म्यूज़िक एलबम का दौर आया. क़्यू फंक, लवलॉजी, तन्हा दिल. इनसे जुड़ी कुछ यादें हैं?
वैसे तो बहुत सारी यादें हैं. उस समय बहुत इत्मीनान और मज़े से एलबम बनाते थे. हमारे पास समय हुआ करता था. तन्हा दिल की अंतिम मिक्सिंग राम संपत ने की थी. उन्होंने मुझे 13 मिक्स नमूने दिए और कहा कि सही मिक्स तुम पहचान लेते हो तो ठीक नहीं तो फिर से मिक्सिंग करेंगे. उस एलबम को हमने साढ़े तीन साल में बनाया. अब तो साढ़े तीन दिन निकालने मुश्किल हो रहे हैं.
इससे पहले कि बॉलीवुड में आपकी एंट्री की बात करें, आपके पसंदीदा गाने?
गानों का ये सिलसिला भी शुरू से ही करते हैं. लवलॉजी का गाना मुझे बहुत पसंद है.
क्या बात है. सच में भी ऐसे ही थे क्या शान ?
नहीं. चाहता था कि मैं ऐसा बन जाऊँ लेकिन तब तक तो स्कूल-कॉलेज सब ख़त्म हो गए थे. उस समय मैं काफ़ी बोरिंग सा था. बाकी विषयों में तो ठीक था लेकिन लवलॉजी में ही फेल था. उसी की भड़ास मैंने इस एलबम में निकाली.
ये बताइए कि फ़िल्मी दुनिया में आपको ब्रेक कैसे मिला?
मैं बहुत भाग्यशाली था. दरअसल, राज कौशल अपनी फ़िल्म ‘प्यार में कभी-कभी. में हर काम के लिए नए आदमी को लेना चाहते थे. उस फ़िल्म में काम करने वाले कई अभिनेता आज स्टार भी हैं. इनमें डीनो मॉरियो और संजय सूरी शामिल हैं. फ़िल्म में दो गायकों को भी लॉंन्च किया गया था. एक केके और दूसरे शान. फ़िल्म तो इतनी नहीं चली लेकिन उसका गाना ‘मुसू-मुसू… काफ़ी लोकप्रिय हुआ. उसके बाद तो गाड़ी पटरी पर आ गई और एक के बाद एक स्टेशन अच्छी रफ़्तार के साथ पार करने लगी.
उसके बाद तो शान साहब आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा. दिल चाहता है, लक्ष्य, हम तुम, डॉन. यानी एक के बाद एक ज़बर्दस्त हिट?
सफ़र बहुत अच्छा रहा. बहुत सारे कंपोजर्स ने मुझमें भरोसा दिखाया और मुझे कई अच्छे काम मिले. उनमें अनु मलिक का नाम मैं ज़रूर लेना चाहूँगा. उन्होंने मुझे कई अच्छे गाने दिए. इनके बाद मैं विशाल-शेखर का भी नाम लेना चाहूँगा. हमलोगों ने ‘प्यार में कभी-कभी से साथ ही काम शुरू किया था. वो भी आज स्टार कंपोजर हैं. आदेश श्रीवास्तव ने मुझे एक ही फ़िल्म में चार गाने दिए. ये गाने भी बहुत हिट हुए.
इनमें आपके दिल के नज़दीक कौन सा ख़ूबसूरत गाना है?
इसका जवाब देना मुश्किल है. लेकिन ‘जब से तेरे नैना..., ‘चाँद-सिफ़ारिश..., ‘दिल ने तुझको चुन लिया है.... ‘मै हूँ डॉन... हरेक शो में डॉन के गाने को सबसे पहले सुनाता हूँ.
हम आरडी बर्मन साहब की बात कर रहे थे. उनका कोई गाना है जो आपको बहुत पसंद हो?
उनके सारे गाने मुझे पसंद हैं. एक समय मेरी ज़िंदगी का मक़सद बन गया था कि मेरे पास उनके सारे गाने होने चाहिए. लेकिन पैसे इतने नहीं थे कि सारे ख़रीद सकूँ लेकिन जितना हुआ, उतना जमा किया.
कोई एक गाना जो ध्यान आ रहा हो?
मुझे
लगता
है
कि
हर
गायक
का
अपना
अलग
स्टाइल
होता
है.
रॉक
हो
तो
केके
है,
कुणाल
है.
उसमें
गायिकी
हो
या
दर्द
हो
तो
सोनू
उसमें
फिट
हैं.
और
हल्के-फुल्के
गाने
हों
तो
मैं
फिट
बैࢠता
हूँ |
किशोर कुमार की आपने बात की जिन्हें आप सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं. समकालीन पुरुष पार्श्वगायकों में कौन सबसे ज़्यादा पसंद हैं?
केके हैं, सोनू निगम हैं. हमसे जो थोड़े सीनियर हैं उदित नारायण, अभिजीत दा. सुखविंदर जी हैं. वो जब अलग स्टाइल से गाते हैं तो गाने में जोश फूँक देते हैं. हरिहरन साहब हैं. शान भी अच्छा ही गा लेता है. मैं आज भी बहुत हद तक पारंपरिक आवाज़ वाला ही हूँ.
शान तो बहुत अच्छा गाता है तभी तो ये इंटरव्यू चल रहा है?
मुझे लगता है कि हर गायक का अपना अलग स्टाइल होता है. रॉक हो तो केके है, कुणाल है. उसमें गायिकी हो या दर्द हो तो सोनू उसमें फिट हैं. और हल्के-फुल्के गाने हों तो मैं फिट बैठता हूँ.
स्टेज शो में तो गुड लुक्स और स्टाइल भी मायने रखता है. इस पर काम करते हैं आप?
शुरू-शुरू में लगता था कि हम गाना गाते हैं, हम इन चीज़ों से प्रभावित होकर क्यों कुछ करें. जैसे हैं, वैसे ही रहेंगे. लेकिन अब 30 की उम्र के बाद समझ में आ रहा है कि एकाध शो के बाद जब मैंने महूसस किया कि मेरे ज़ोश का स्तर गिर रहा है तो मैंने कसरत वगैरह शुरू कर दी है. अब मैं इसके मज़े ले रहा हूँ. 30 सितंबर को मैं पूरे 36 साल का हो जाऊँगा.
समकालीन महिला पार्श्वगायिकाओं में कौन पसंद हैं. किनके साथ गाने में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है?
श्रेया घोषाल हैं, सुनिधि चौहान हैं, महालक्ष्मी अय्यर हैं. अलका जी तो हैं ही. सबसे ज़्यादा गाने मैंने अलका जी के साथ ही गाए है. कविता जी, साधना सरगम जी हैं. ये सभी शानदार गायिका हैं. मुझे लगता है कि बीच में एक दौर था जब हम गायिकी के बड़े-बड़े नामों से मिलती-जुलती आवाज़ को ही पसंद करते थे. अब समय बदल गया है. पिछले पाँच-छह साल से नई तरह की आवाज़ भी लोग पसंद कर रहे हैं जो पुराने गायक-गायिकाओं से अलग हैं. आज तो कोई ऊँचे सुर में गा दे तो लोग कहते हैं कि अरे यार, क्या गाया है, क्या खींचा है.
किसकी ओर इशारा कर रहे हैं?
नहीं कोई इशारा नहीं है. आजकल ये ट्रेंड बन गया है. जो लोग पसंद करते हैं, उसे स्वीकार करना है और अपना काम करना है.
आपने सभी पार्श्वगायिकाओं के नाम गिना दिए. कोई युगल गीत जो आपको बहुत पसंद हो?
मुझे
शंकर
एहसान
लॉय
के
संगीत
का
स्टाइल
सबसे
अच्छा
लगता
है.
शायद
इसलिए
कि
ये
मेरे
टेस्ट
से
बहुत
मिलता
है |
आपका पसंदीदा अभिनेता कौन है?
निश्चित रूप से आमिर ख़ान. उन्होंने ख़ुद को साबित किया है. तब्बू, रानी मुखर्जी. अजय देवगन का भी स्टाइल मुझे पसंद है.
वैसे तो पार्श्वगायक में ये फ़न आ जाता है कि श्रोताओं को उनके गाने अभिनेता की आवाज़ जैसै महसूस होने लगते हैं, लेकिन आपको क्या लगता है कि आपकी आवाज़ सबसे ज़्यादा किससे मिलती है?
सबसे ज़्यादा सैफ़ अली ख़ान से. कई लोगों ने कहा है. अभिषेक बच्चन के लिए मैंने काफ़ी गाया है. उनकी आवाज़ का जो आधार है, उससे मेरी आवाज़ मिल जाती है. मुझे लगता है कि मेरी आवाज़ सभी जवान अभिनेताओं के साथ ठीकठाक मिल जाती है.
सैफ़ के साथ तो आपने ‘दिल चाहता है का उदाहरण भी दिया. लेकिन अभिषेक बच्चन के लिए हाल में क्या गाया?
हाल में मुझे लगता है कि अभिषेक के लिए मैंने हाल में ‘दस बहाने करके ले गया दिल.... गाया है.
आपकी नज़र में सबसे ज़्यादा प्रतिभाशाली संगीत निर्देशक इस समय कौन हैं?
मुझे शंकर एहसान लॉय के संगीत का स्टाइल सबसे अच्छा लगता है. शायद इसलिए कि ये मेरे टेस्ट से बहुत मिलता है. विशाल शेखर का हिप-हॉल और कूल स्टाइल भी पसंद है. मुझे मज़बूत संगीत वाले गाने पसंद हैं और शंकर एहसान लॉय के संगीत में मुझे ये बात मिलती है.
आप पिछले कुछ समय से संगीत के रियलिटी शो को ज़बर्दस्त ढंग से होस्ट कर रहे हैं. ये सिलसिला कैसे शुरू हुआ?
संगीत शो होस्ट करने की कोई योजना तो थी नहीं. एकाध बार गजेंद्र सिंह ने मुझसे संपर्क ज़रूर किया था. उनके शो ‘सा रे गा मा से सोनू निगम के अलग होने के बाद मुझे मौक़ा मिला. लेकिन मुझे ये भूमिका निभाने का भरोसा नहीं था और साहस भी नहीं हो रहा था क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती थी और मैं इससे पहले टेलीविज़न पर कभी नहीं गया था.
मैंने कहा कि देखिए अभी तो मुझे गाना-वाना भी अच्छा मिल रहा है. मैं शो कर तो लूँगा लेकिन अगर काम बिगड़ गया तो ये आपके लिए गड़बड़ हो जाएगा. मेरा क्या है, लोग इसे भूल जाएँगे और मैं आगे निकल जाऊँगा. उन्होंने कहा कि चलो करके देखो, अगर जम जाए तो जम जाए नहीं तो हमलोग अपने रास्ते अलग कर लेंगे. मैं एक तो बंगाली था, ऊपर से अंग्रेज़ी माहौल में बड़ा हुआ था. कहाँ की बोलना है, कहाँ का बोलना है पता नहीं था... शो में मैंने उन्हें उनकी ‘काकी याद दिला दी. लेकिन धीरे-धीरे मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ता गया और लोगों की शाबासी मिली.
संगीत रियलिटी शो की जो ये पूरी सोच है. जनता के वोट आते हैं. क्या ये स्वरूप आपको पसंद हैं. कई बार प्रतिभागियों को बुरी तरह से डाँट दिया जाता है?
दो साल से मैं वॉयस ऑफ़ इंडिया कर रहा हूँ. इस बार हम छह एपिसोड कोलकाता से करके आए हैं. बहुत अच्छा रहा. मज़ा आया. पहले जब मैं ये करता था तो वो संगीत शो था. उसमें ये था कि आपने अच्छा गाया और आपने भी अच्छा गाया लेकिन आज आप जीत गए या आप जीत गईं. उसमें डाँट-फटाकर नहीं था. वो सादगी भरा फ़ार्मेट था.अब वो संगीत शो रियलिटी संगीत शो बन गया. इसमें कुछ चीज़ें ज़रूर हैं जो रियलिटी से अलग हैं. कई बार जज जज़्बाती हो जाते हैं, प्रतिभागी रो पड़ते हैं. कई लोगों को लगता है कि ये सारी चीज़ें नाटक है.
लेकिन क्या ये रियल होती है?
‘सा
रे
गा
मा
से
सोनू
निगम
के
अलग
होने
के
बाद
मुझे
मौक़ा
मिला.
लेकिन
मुझे
ये
भूमिका
निभाने
का
भरोसा
नहीं
था
और
साहस
भी
नहीं
हो
रहा
था
क्योंकि
मुझे
हिंदी
नहीं
आती
थी
और
मैं
इससे
पहले
टेलीविज़न
पर
कभी
नहीं
गया
था |
आपने कभी नहीं सोचा कि एक्टिंग की जाए?
बीच में सोचा था लेकिन मेरी बीवी ने कहा कि अगर तुम एक्टिंग करोगे तो हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा.
क्यों, श्रीमतीजी इतनी ख़िलाफ़ क्यों हैं?
उन्होंने मुझे एक फ़िल्म में एक्टिंग करते देख लिया था और मुझसे कहा कि ये मैं तुम्हारी ही भलाई के लिए कह रही हूँ. उस समय मैंने बहुत सफ़ाई दी कि मुझे एक ही टेक में करना पड़ा. लेकिन धीरे-धीरे मुझे समझ में आया कि एक्टिंग दूसरी तरह का काम है और उससे मैं अलग ही रहूँ. अब मुझे एक अच्छा बहाना भी मिल गया है कि मैं एक्टिंग से दूर ही रहूँ वो ये है कि मुझे अपने परिवार से दूर रहना बिल्कुल पसंद नहीं है. मैं ज़्यादा से ज़्यादा दो-तीन दिन ही परिवार से दूर रह सकता हूँ, उसके बाद मेरा ‘ब्रेक फ़ेल हो जाता है.
आप अपने परिवार से कितने जुड़े हुए हैं ये सवाल मुझे आपकी बीवी और बच्चों से पूछना चाहिए था. लेकिन आप ही बताइए कि आप एक पति और पिता के रूप में अपने आपको आप कहाँ देखते हैं?
बीवी तो रात में डिनर पर जगकर इंतज़ार कर भी लेती है. मैं कोशिश करता हूँ कि अगर मैं मुंबई में हूँ तो अपने बच्चों को कहानी सुनाकर सुलाऊँ. हमारी कहानी में एक ‘टेरिफ़िक टेरी है जो सफ़ेद चमकीली लोमड़ी है जो मेरे दोनों बेटों का प्यारा दोस्त है. मैं उन्हें रात में उनकी नई कहानी बना-बनाकर सुनाता हूँ.
मैं तो सोचता था कि शान अपने बच्चों को गाना सुनाकर सुलाते होंगे?
नहीं. बेटे कहते हैं गाने रोज गाते रहते हैं, हर किसी को परेशान करते रहते हैं, हमें न करो. अपने बेटों को गाते सुनता हूँ. मेरा बड़ा बेटा अच्छा पियानो बजा रहा है. छोटे का नाम शुभ है और बड़े का सोहम. मुझे दोनों से अच्छे आसार नज़र आ रहे हैं.
आपकी पसंदीदा बॉलीवुड फ़िल्म?
बचपन में मैंने बहुत कम फ़िल्में देखीं लेकिन ‘सत्ते पे सत्ता मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है.
नहाने-धोने का बहुत कम शौक है क्या. मुझे भी ये फ़िल्म अच्छी लगती थी, लेकिन मुझे लगता था कि सब लोग गंदे से रहते थे?
नहीं. लेकिन मुझे भी कोई वैसी ही गंदगी में एकाध सप्ताह के लिए डाल दे तो मज़ा आ जाए.
40
साल
की
उम्र
के
बाद
थोड़ा
धीमा
कर
दूँगा
और
कुछ
समाजसेवा
पर
ध्यान
दूँगा.
देश
के
लिए
तो
बहुत
बड़ी
बात
है,
अपनी
गली
के
लिए
ही
कुछ
अच्छा
कर
दूँ
तो
बहुत
बड़ी
बात
है |
गोवा. बिना सोचे, बिना समझे बस हवाई जहाज़ के टिकट लीजिए और पहुँच जाइए गोवा. जिस होटल में जगह मिल जाए, मज़ा आना पक्का है. आप जैसे समय बिताना चाहें, गोवा वो सब कुछ देता है. समुद्र किनारे जाएँ, बाइक लेकर घूमें, जो चाहें करें. दुनिया भर में अगर कोई जगह है तो वो गोवा ही है.
पसंदीदा खाना?
शानः अलग-अलग किस्म का खाना पसंद करता हूँ. मैं प्रयोग करता हूँ.
एड जिंगल, म्यूज़िक एलबम, पार्श्वगायन, रियलिटी शो, लाइव कंसर्ट. अब क्या करने वाले हैं शान?
इन्हीं चीज़ों को करता रहूँगा. जब तक कर सकता हूँ. सोचा है कि 40 साल की उम्र के बाद थोड़ा धीमा कर दूँगा और कुछ समाजसेवा पर ध्यान दूँगा. देश के लिए तो बहुत बड़ी बात है, अपनी गली के लिए ही कुछ अच्छा कर दूँ तो बहुत बड़ी बात है. कुछ बदलाव लाना चाहता हूँ. लोग कहते हैं कि आपके गाने से लोगों को तनाव से मुक्ति मिलती है लेकिन सवाल ये है कि तनाव है क्यों, सड़कें क्यों ख़राब हैं, लोग क्यों ग़रीब हैं, ऐसी हालत क्यों है. अभी भी जो कर सकता हूँ, करते रहता हूँ. चैरिटी करता हूँ, कुछ पैसे दे देता हूँ लेकिन ये काफ़ी नहीं है.
बहुत ख़ूब शान साहब. एक ख़ूबसूरत आवाज़ के पीछे एक संवेदनशील दिल भी धड़कता है?
संजीव जी पहले ये कहने में अच्छा नहीं लगता था कि कुछ करने से पहले ही ये बातें करना ठीक नहीं है. लेकिन मैं ये कहकर ख़ुद को भी याद दिलाता रहता हूँ और आप भी मुझे मेरे 40 साल के हो जाने के बाद ये याद दिलाइएगा कि आपको अब अपना वादा पूरा करना है.