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मीना कुमारी की खूबसूरती में खोकर कलाकार भूल जाते थे डायलॉग- पुण्यतिथि स्पेशल
बैंगलोर। "इन कदमों को जमीं पर ना रखियेगा नहीं तो मैले हो जाएंगे।" फिल्म 'पाकीजा़' का यह डायलॉग और अदाकारा मीना कुमारी का खूबसूरत आदायगी के साथ राज कुमार का यह अंदाज शायद ही कोई भूल पाया हो। आज उसी खूबसूरत अदाकारा की आज 40वीं पुण्यतिथि है। मीना कुमारी ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में 40साल तक राज किया और इनकी अधिकतर फिल्मों के दुखांत की वजह से इन्हें बॉलीवुड की ट्रैजिडी क्वीन का खिताब दिया गया था।
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता अली बख्स भी पारसी रंगमंच के कलाकार थे और उनकी मां थियेटर की मशहूर अदाकारा और नृत्यांगना थीं, जिनका ताल्लुक रवीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से था। इतनी खूबसूरत अभिनेत्री जिनके पैरों की खूबसूरती पर डायलॉग लिखा गया था की जिंदगी अनगिनत दुखों से भरी थी। मीना कुमारी उर्फ महजबीं की दो और बहनें थीं खुर्शीद और महलका। जब मीना कुमारी छोटी थीं तब उनके पिता का चक्कर उनकी नौकरानी के साथ चल रहा था और फिर धीरे धीरे घर के हालात खराब होते गए। अंत में मीना कुमारी को मात्र चार साल की उम्र में फिल्मकार विजय भट्ट के सामने पेश कर दिया था और फिर बाल कलाकर के रुप में मीना कुमारी ने बीस फिल्में कीं। मीना कुमारी को अपने पिता के स्वार्थी स्वभाव के चलते उनसे नफरत सी हो गई थी और ये उनके जीवन में स्वार्थी पुरुष की शुरुआत थी।
महजबीं का नाम बैजू बावरा फिल्म से मीना कुमारी पड़ा। मीना कुमारी ने जब अपने करियर की शुरुआत की उस समय नर्गिस, निम्मी, सुचित्रा सेन और नूतन के साथ भारतीय सिनेमा में नयी अभिनेत्रियों का दौर शुरु हो रहा था। मीना कुमारी के साथ काम करने वाले लगभग सभी कलाकार मीना की खूबसूरती के कायल थे। लेकिन मीना कुमारी को मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही में अपने प्रति प्यार की भावना नज़र आई और पहली बार अपनी जिंदगी में किसी निस्वार्थ प्यार को पाकर वो इतनी खुश हुईं कि उन्होने कमाल से निकाह कर लिया। यहां भी उन्हें कमाल की दूसरी पत्नी का दर्जा मिला। लेकिन इसके बावजूद कमाल के साथ उन्होने अपनी जिंदगी के खूबसूरत 10 साल बिताए।
10 साल के बाद धीरे धीरे मीना कुमारी और कमाल के बीच दूरियां बढ़ने लगीं और फिर 1964 में मीना कुमारी अपने पति से अलग हो गईं। इस अलगाव की वजह बने थे एक्टर धर्मेंद्र जिन्होंने उसी समय अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। धर्मेंद्र मीना कुमारी की जिंदगी में आने वाले तीसरे स्वार्थी पुरुष थे। उस समय धर्मेंद्र का करियर कुछ खास नहीं चल रहा था और मीना कुमारी की फिल्में एक के बाद एक हिट हो रही थीं। मीना कुमारी बॉलीवुड के आसमां को वो सितारा थीं जिसे छूने भर के लिए हर कोई बेताब था।
धर्मेंद्र के साथ जिंदगी की तन्हाईंयां बांटते बांटते मीना उनके करीब आनें लगीं। दोनों के बारे में काफी गॉसिप और खबरें आने लगीं। धर्मेंद्र के किरयर की डूबती नैया को जैसे किनारा मिल गया और धीरे धीरे धर्मेंद्र का करियर भी ऊंचाईंयों को छूने लगा। अपनी शोहरत के बल पर मीना कुमारी ने धर्मेंद्र के करियर को ऊंचाईयों तक ले जाने की पूरी कोशिश की। लेकिन फिल्म फूल और कांटे की सफलता के बाद धर्मेंद्र ने मीना कुमारी से दूरियां बनानी शुरु कर दीं। और एक बार फिर से मीना कुमारी अपनी जिंदगी की राह में तन्हा रह गईं।
इस खूबसूरत अभिनेत्री की खूबसूरती के लोग इतने दीवाने थे कि कई कलाकार तो इनके साथ काम करते समय अपने डायलॉग तक भूल जाते थे। कहा जाता है कि जब पाकीजा की शूटिंग चल रही थी तब राजकुमार मीना कुमारी की खूबसूरती में इतना खो जाते थे कि अपने डायलॉग भूलकर सिर्फ उन्हें देखते रहते थे।
कहा जाता है कि धर्मेंद्र के साथ मीना कुमारी की नजदीकियों की खबरें सुनकर कमाल को इतना बुरा लगा कि धर्मेंद्र से बदला लेने के लिए उन्होने सबसे पहले अपनी फिल्म पाकीजा से उन्हें बाहर कर दिया और उनकी जगह राज कुमार को रख लिया और फिर फिल्म रजिया सुल्तान में धर्मेंद्र को रजिया के हब्शी गुलाम प्रेमी को रोल देकर उनका मुंह तक काला कर दिया था। धर्मद्र की बेवफाई को मीना झेल ना सकीं और हद से ज्यादा शराब पीने की वजह से उन्हें लीवर सिरोसिस की बीमारी हो गई। कहते हैं कि दादा मुनि अशोक कुमार जिनके साथ मीना कुमारी ने बहुत सी फिल्में की थीं, से मीना कुमारी की यह हालत देखी नहीं गई और वो होमियोपैथी की गोलियां लेकर मीना कुमारी के पास गए तब मीना ने यह कहकर दवा लेने से इंकार कर दिया "दवा खाकर भी मैं जीउंगी नहीं, यह जानती हूं मैं। इसलिए कुछ तम्बाकू खा लेने दो। शराब की कुछ घूंट गले के नीचे उतर जाने दो।"
बॉलीवुड की इस महान और खूबसूरत अदकारा मीना कुमारी ने 1972 में अपना दम तोड़ दिया। 1972 में ही फिल्म पाकीजा भी रिलीज हुई। शुरुआत में इस फिल्म को कामयाबी नहीं मिली लेकिन मीना की मौत ने इस फिल्म को सुपरहिट कर दिया। फिल्म को बनने में कुल सत्रह साल लगे थे। मीना कुमारी की मौत जिस अस्पताल में हुई उस अस्पताल का बिल तक चुकाने के पैसे नहीं थे मीना के पास उस अस्पताल का बिल वहीं के एक डॉक्टर ने चुकाया जो मीना कुमारी का बहुत बड़ा फैन था।
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