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मुझे चरित्र अभिनेता नाम से नफ़रत है
ऋचा शर्मा
बीबीसी संवाददाता
‘बैंडिट क्वीन’ के मान सिंह, ‘सत्या’ के भीखू म्हात्रे, और अब ‘राजनीति’ के वीरेन्द्र प्रताप जैसे किरदारों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी को चरित्र अभिनेता कहलाने से ऐतराज़ है.
मनोज कहते हैं, “मुझे चरित्र अभिनेता नाम से नफ़रत है. मैंने हीरो के भी रोल किए हैं. ‘ज़ुबैदा’, ‘शूल’ या ‘पिंजर’ में मेरा चरित्र अभिनेता का रोल नहीं था. लेकिन बात सही है कि लोग जब ‘राजनीति’ में मेरे किरदार वीरेन्द्र प्रताप की प्रशंसा करते हैं, तो ख़ुशी होती है.”
मनोज आगे कहते हैं, “मुझे सबसे ज़्यादा ख़ुशी ये है कि लोग अब मुझे भीखू म्हात्रे की जगह वीरु भैया के नाम से जानने लगे हैं. किसी भी अभिनेता के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है कि उसे उसके किरदार के नाम से जाना जाए.”
वो ये भी कहते हैं, “मेरे लिए सबसे ज़्यादा ये ज़रुरी है कि लोग ये न बोलें कि मनोज ने ख़राब काम किया क्योंकि मैं अपने काम के कारण ही जाना जाता हूं न कि हिट्स या फ़्लॉप के लिए.”
निर्दशक प्रकाश झा की अगली फ़िल्म ‘आरक्षण’ में भी मनोज नज़र आएंगे. मनोज कहते हैं, “प्रकाश झा को ‘राजनीति’ में मेरा काम पसंद आया था और इसलिए उस फ़िल्म के हिट होने से पहले ही उन्होंने मुझे ‘आरक्षण’ के लिए साइन कर लिया था.”
इसके अलावा मनोज बाजपेयी अनुराग कश्यप की अगली फ़िल्म में भी काम कर रहे हैं. अनुराग कश्यप ने इससे पहले ‘सत्या’, ‘कौन’ और ‘शूल’ की पटकथा लिखी है जिसमें मनोज वाजपेयी के अहम किरदार थे. मनोज को उम्मीद है कि आगे भी उन दोनों की केमिस्ट्री ऐसी ही रहेगी.
मनोज कहते हैं, “करीब दो महीने पहले अनुराग कश्यप ने मुझे रात को दस बजे फ़ोन किया कि वो स्क्रिप्ट सुनाना चाहते हैं. हम मिलें और फिर रात के दो बजे तक हम बात-चीत करते रहे और हमने एक-साथ काम करने का फ़ैसला किया.”
फ़िल्म के बारे में मनोज कहते हैं, “फ़िल्म एक छोटे शहर के एक गैंगस्टर के जीवन की कहानी है. लेकिन उसमें बंदूक और गोलीबारी कम है. लेकिन ये उनके ‘सत्या’ के भीखू म्हात्रे से बिलकुल अलग है. भीखू म्हात्रे मुम्बई का गैंगस्टर था जबकि ये 1970 में एक बिहार के छोटे शहर का गैंगस्टर है. इसकी कहानी और परिवेश बिलकुल अलग होगी और इसके लिए नई तैयारी करनी पड़ेगी.”