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    भारतीय सिनेमा में बहती गांधी की विचारधारा

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     mahatma gandhi
    नई दिल्‍ली। गांधी जी के प्रपौत्रा तुषार गांधी का मानना है कि कला और संस्कृति का देश की राजनीतिक परिस्थितियों के साथ अटूट संबंध होता है और बापू का प्रभाव जब हमारी कविता, कहानी, उपन्यास और नाटकों में प्रमुखता से पड़ा, तो फिल्म निर्माण की कला इससे कैसे अछूती रह सकती है। अलग-अलग समय की विचारधाराओं का प्रभाव समकालीन सिनेमा पर भी पड़ता है और भारतीय सिनेमा के संदर्भ में हम यह देखते हैं कि गांधी और नेहरू की विचारधारा का इन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा।

    तुषार कहते हैं कि सिर्फ महात्मा गांधी के व्यक्तित्व को केंद्र में रख कर फिल्मों का निर्माण करना जितना सराहनीय है उतना ही जटिल भी। बापू के व्यापक और विविधतापूर्ण व्यक्तित्व को चंद घंटे में परदे पर पूरे न्याय के साथ पेश करना बहुत ही पेचीदा काम है लेकिन हिन्दी सिनेमा ने काफी हद तक इस काम को बखूबी अंजाम दिया। वी.शांताराम और विमल राय की फिल्मों में गांधीवादी नजरिया और आदर्श की कसौटी अनिवार्य रूप से मौजूद रहती थी। इस दौर में बनी फिल्में दो बीघा जमीन, दो आंखें बारह हाथ, आवारा और जागृति ऐसी ही कुछ फिल्में थीं। अगर लोकप्रिय और व्यावसायिक सिनेमा ने प्रतिशोध पर आधारित बर्बरता को प्रोत्साहित किया है दूसरी तरफ ऐसी फिल्में भी बनती रहीं हैं लेकिन जिनमें धार्मिक सौहाद्र और अहिंसा को काफी सशक्त तरीके से पेश किया गया है।

    तुषार कहते हैं कि रिचर्ड एटेनबरो की गांधी शीर्षक से बनी फिल्म हो या श्याम बेनेगल की दी मेकिंग आफ महात्मा या फिर गांधी माई फादर, इन सभी फिल्मों में गांधी जी के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को सत्य व अहिंसा के उनके मूल्यों को काफी सशक्त तरीके से पेश किया गया है। वर्तमान दौर के सिनेमा में इन मूल्यों के अभाव के बारे में तुषार कहते हैं कि वक्त के साथ जब समाज में बदलाव आता है तो सिनेमा इस बदलाव से कैसे अछूता रह सकता है। हालांकि उनका कहना है कि वर्तमान समय में भी जब-जब हिंसा और प्रतिशोध अपने चरम पर पहुंचता है तब महात्मा गांधी के मूल्यों की प्रासंगिकता पर चर्चा शुरू हो ही जाती है। ठीक इसी तरह सिनेमाई संसार में भी गांधी जी का प्रभाव मौजूद है और लगे रहो मुन्ना भाई जैसी फिल्में इसका उदाहरण है। भले ही यह फिल्में पूरी तरह से मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बनाई गई हों लेकिन इनके माध्यम से महात्मा के मूल्यों पर जो चर्चा की जाती है उनका प्रभाव काफी गहरा होता है।

    English summary
    Mahatma Gandhi's grandson Tushar Gandhi recalled movies and the contribution of art and culture devoted to Bapu.
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