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    लिपस्टिक अंडर माइ बुर्काः सेक्स की सेल्फ़ी वाली फ़िल्म पर निहलानी के तर्क

    सेंसर बोर्ड के मुताबिक़ लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का ज़्यादा महिला केंद्रित है और 'ऑडियो पोर्न' परोसती है।

    By गीता पांडे - बीबीसी संवाददाता
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    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    JIGNESH PANCHAL
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    एक निर्देशक की अवॉर्ड जीतने वाली फ़िल्म 'लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का' देश में रिलीज़ होने के लिए सेंसर से जूझ रही है.

    अलंकृता श्रीवास्तव को हाल में ही अजीब शब्दों और स्पेलिंग की ग़लतियों से भरे एक पत्र के ज़रिए बताया गया कि उनकी फ़िल्म को ज़्यादा महिला केंद्रित (यहां lady-oriended लिखा गया है, जबकि स्पेलिंग होनी चाहिए oriented) और लगातार सेक्स दृश्यों के कारण (पत्र में continuous की जगह contanious लिखा गया है) सेंसर सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा है.

    द सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफ़िकेशन ने यह भी शिकायत की है कि 'लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का' में गालियां और फ़ोन सेक्स हैं और साथ ही एक ख़ास समुदाय की संवेदनशीलता के ख़िलाफ़ है. बोर्ड का कहना है कि इससे मुस्लिमों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंच सकती है.

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    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    ALANKRITA SHRIVASTAVA
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    इस फ़ैसले का मतलब यह हुआ कि अभिनेत्रियां कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना शाह पाठक की इस फ़िल्म का प्रदर्शन भारत में नहीं हो पाएगा. यह फ़िल्म भारत के छोटे शहर की चार महिलाओं की है. कुछ महीने पहले इस फ़िल्म का प्रदर्शन टोक्यो के वर्ल्ड प्रीमियर में हुआ था. इसके बाद इस फ़िल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड मिल चुके हैं.

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    इस हफ़्ते की शुरुआत में 'लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का' को ग्लास्गो फ़िल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था. यह फ़िल्म दोनों जगह हाउसफुल रही और इसे ऑडिएंस अवॉर्ड भी मिला. यहां पुरस्कार जीतने वाली यह इकलौती फ़िल्म थी. इसका प्रदर्शन स्टॉकहोम, काहिरा और एस्टोनिया में भी हुआ. आने वाले हफ़्तों में इस फ़िल्म का प्रदर्शन मयामी, एम्स्टर्डम, पेरिस और लंदन में भी होने वाला है.

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    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    JIGNESH PANCHAL
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    आख़िर सेंसर बोर्ड इसमें क्यों अड़ंगा लगा रहा है? अलंकृता श्रीवास्तव ने ग्लास्गो से फ़ोन पर कहा, ''क्योंकि सेंसर बोर्ड वैकल्पिक सोचों से सहमत नहीं है. ये महिलाओं के दृष्टिकोण से डरे हुए लोग हैं. ये जीवन को पुरुषों के नज़रिए से देखते हैं.

    इन्हें महिलाओं को घूरना, प्यार में पीछा करना, प्रेम संबंधों में छेड़छाड़ जैसी हरकतें पसंद हैं. मेरी फ़िल्म चार महिलाओं के दृष्टिकोण से है. इसमें उनके डर और सपने हैं.''

    फ़िल्म का ट्रेलर काफी दिचलस्प है और इसके मुख्य पात्र महिलाओं की दुनिया की एक झलक है. बुर्का पहनी एक कॉलेज छात्रा ब्रिटनी स्पीयर्स बनना चाहती है. एक ऐसी महिला है जो तस्वीरें क्लिक करना पसंद करती है इसलिए वह खूब सेल्फी लेती है.

    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    ARIJAY PRASAD
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    यहां तक कि वह सेक्स के दौरान भी सेल्फी लेती है. एक तीन बच्चों की मां है जो चाहती है कि उसके साथ एक व्यक्ति के रूप में व्यवहार किया जाए न कि बच्चा पैदा करने वाली मशीन की तरह. एक विधवा है जो ख़ुद से कम उम्र के एक पुरुष को लेकर ख़्वाब बुनती है.

    अलंकृता ने कहा, ''महिलाएं छोटे शहर में छोटे सपनों के साथ रहती हैं. इनका जीवन काफी घुटन भरा और पाबंदियों से जकड़ा हुआ है. यह फ़िल्म उस बारे में है कि वे किस कदर अपने सपनों को पूरा करती हैं.

    फ़िल्म का टाइटल इस आइडिया पर है कि बुर्के के भीतर लिपस्टिक का होना छुपे हुए सपनों के होने की तरह है. लोग अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कई डरों के बीच पाबंदियों को तोड़ते हैं.''

    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    JIGNESH PANCHAL
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    भारत में फ़िल्मों की सेंसरशिप हमेशा से अतार्किक रही है. हाल के वर्षों में फ़िल्म इंडस्ट्री की तरफ़ से इस व्यवस्था की काफी तीखी आलोचना हो रही है.

    फ़िल्म इंडस्ट्री का कहना है कि सेंडर बोर्ड अजीब तरीके से काम कर रहा है और वह नाहक ही फ़िल्मकारों को परेशान कर रहा है. फ़िल्मकारों का कहना है कि सेंसर बोर्ड बदलते भारत को पहचानने से इनकार कर रहा है.

    आजकल बोर्ड फ़िल्मों में कट लगाने के कारण चर्चा और विवाद में है. बोर्ड को सेक्स, हिंसा और यहां तक कि किस पर भी आपत्ति है. अलंकृता का कहना है कि बोर्ड फ़िल्मकारों के माध्यम की आवाज़ को खामोश करना चाहता है.

    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का
    BBC
    लिपिस्टिक अंडर माइ बुर्का

    उन्होंने कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन अब बेकार और अतार्किक हो चुका है. इसके सदस्यों को जेंडर के मुद्दों और जेंडर पॉलिटिक्स के बारे में कोई आइडिया नहीं है.

    श्रीवास्तव ने कहा, ''आप केवल यह कह रहे हैं कि पुरुषों का दृष्टिकोण ही सबसे अहम है? यह 2017 है और अब महिलाएं खामोश क्यों रहेंगी? मैं अब सेंसर बोर्ड से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं.'' भारत में एक मज़बूत और जीवंत लोकतंत्र है. मैं सेंसर बोर्ड के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने जा रही हूं. मैं काफ़ी आशावादी हूं. इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि यह फ़िल्म भारत में जल्द ही रिलीज़ होगी.''

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    BBC Hindi
    English summary
    Lipstick under my burkha director Alankrita Shrivastava will challenge the decision of censor board as censor board says it is much more female oriented.
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