Just In
- 4 hrs ago मलाइका अरोड़ा के इन 8 कटिंग ब्लाउज को करें ट्राई, 500 की साड़ी में भी लगेगी हजारों की डिजाइनर साड़ी
- 5 hrs ago सीमा हैदर को याद आए पाकिस्तान के वो पुराने दिन, बोलीं- मैं रोती रही लेकिन.. एक रात के लिए भी...
- 6 hrs ago फ्लैट फिगर के कारण बुरी तरह ट्रोल हुई पूर्व मिस वर्ल्ड, लोग बोले- कुछ भी नहीं है आगे तुम्हारे...
- 6 hrs ago 14 की उम्र में कास्टिंग काउच की शिकार, B-Grade फिल्मों में भी किया काम, परेशान होकर खाया जहर
Don't Miss!
- News Kal ka Match Kaun jeeta 23 April: कल का मैच कौन जीता- चेन्नई vs लखनऊ
- Lifestyle Happy Birthday Sachin Tendulkar Wishes: अपने फेवरेट सचिन के 51वें जन्मदिन के मौके पर शेयर करें ये संदेश
- Education UK Board Result 2024: उत्तराखंड बोर्ड 10वीं, 12वीं रिजल्ट कब आएगा? चेक करें डेट और टाइम
- Automobiles KIA की इस कार को ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में मिली 5-स्टार रेटिंग्स, भरपूर सुरक्षा सुविधाओं से है लैस
- Technology Realme C65 5G भारत में 10 हजार से कम कीमत में होगा लॉन्च, जानें फीचर्स
- Travel IRCTC का मानसखंड यात्रा टूर पैकेज, देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक मंदिरों में करें दर्शन
- Finance Aadhaar Card: कहीं आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल तो नहीं हुआ, ऐसे करें तुरंत चेक
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
आख़िरी मुलाकात में मधुबाला ने दिलीप कुमार से कहा...
मशहूर हॉलीवुड अभिनेता जॉनी डेप ने एक बार मर्लिन ब्रैंडो के बारे में कहा था, "ब्रैंडो से पहले अभिनेता एक्टिंग किया करते थे, लेकिन उनके बाद के अभिनेता सिर्फ़ काम करते हैं."
दिलीप कुमार ने छह दशकों तक चले अपने फ़िल्मी करियर में मात्र 63 फ़िल्में की हैं लेकिन उन्होंने हिंदी सिनेमा में अभिनय की कला को नई परिभाषा दी है.
एक ज़माने में दिलीप कुमार भारत के सर्वश्रेष्ठ फ़ुटबॉल खिलाड़ी बनने का सपना देखते थे.
खालसा कॉलेज में उनके साथ पढ़ने वाले राज कपूर जब पारसी लड़कियों के साथ फ़्लर्ट करते थे, तो तांगे के एक कोने में बैठे शर्मीले दिलीप कुमार उन्हें बस निहारा भर करते थे.
किसे पता था कि एक दिन यह शख़्स भारत के फ़िल्म प्रेमियों को मौन की भाषा सिखाएगा.
और उसकी एक निगाह भर, वह सब कुछ कह जाएगी, जिसको कई पन्नों पर लिखे डायलॉग भी कहने में सक्षम नहीं होंगे.
पढ़ें, रेहान फ़ज़ल की विवेचना विस्तार से
दिलीप कुमार, राजकपूर और देवानंद को भारतीय फ़िल्म जगत की त्रिमूर्ति कहा जाता है, लेकिन जितने बहुमुखी आयाम दिलीप कुमार के अभिनय में थे, उतने शायद इन दोनों के अभिनय में नहीं.
राज कपूर ने चार्ली चैपलिन को अपना आदर्श बनाया, तो देवानंद ग्रेगरी पेक के अंदाज़ में सुसंस्कृत, अदाओं वाले शख़्स की इमेज से बाहर नहीं आ पाए.
दिलीप कुमार ने 'गंगा जमना' में एक 'गंवार' किरदार को जिस ख़ूबी से निभाया, उतना ही न्याय उन्होंने मुग़ले आज़म में मुग़ल शहज़ादे की भूमिका के साथ किया.
देविका रानी के साथ संयोगवश हुई मुलाक़ात ने दिलीप कुमार के जीवन को बदलकर रख दिया.
यूं तो देविका रानी 40 के दशक में भारतीय फ़िल्म जगत का बहुत बड़ा नाम था पर उनका उससे भी बड़ा योगदान था पेशावर के फल व्यापारी के बेटे यूसुफ़ खां को 'दिलीप कुमार' बनाना.
एक फ़िल्म की शूटिंग देखने बॉम्बे टॉकीज़ गए हैंडसम यूसुफ़ खां से उन्होंने पूछा था कि क्या आप उर्दू जानते हैं? यूसुफ़ के हां कहते ही उन्होंने दूसरा सवाल किया था- क्या आप अभिनेता बनना पसंद करेंगे? आगे की कहानी एक इतिहास है.
यूसुफ़ ख़ां उर्फ़ दिलीप कुमार
देविका रानी का मानना था कि एक रोमांटिक हीरो के ऊपर यूसुफ़ खां का नाम ज़्यादा फ़बेगा नहीं.
उस समय बॉम्बे टॉकीज़ में काम करने वाले और बाद में हिंदी के बड़े कवि बने नरेंद्र शर्मा ने उन्हें तीन नाम सुझाए, जहांगीर, वासुदेव और दिलीप कुमार.
यूसुफ़ खां ने अपना नया नाम दिलीप कुमार चुना. इसके पीछे एक वजह यह भी थी कि इस नाम की वजह से उनके पुराने ख़्यालों वाले पिता को उनके असली पेशे का पता नहीं चल पाता.
फ़िल्में बनाने वालों के बारे में उनके पिता की राय बहुत अच्छी नहीं थी और वो उन सबका नौटंकीवाला कहकर मज़ाक उड़ाते थे.
दिलचस्प बात यह है कि अपने पूरे करियर में सिर्फ़ एक बार दिलीप कुमार ने एक मुस्लिम किरदार निभाया और वह फ़िल्म थी के. आसिफ़ की मुग़ले आज़म.
सितार की ट्रेनिंग
छह दशकों तक चले अपने फ़िल्मी करियर में दिलीप कुमार ने कुल 63 फ़िल्में कीं और हर किरदार में अपने आप को पूरी तरह डुबो लिया.
फ़िल्म 'कोहिनूर' में एक गाने में सितार बजाने के रोल के लिए उन्होंने सालों तक उस्ताद अब्दुल हलीम जाफ़र ख़ां से सितार बजाना सीखा.
बीबीसी से बात करते हुए दिलीप कुमार ने कहा था, "सिर्फ़ यह सीखने के लिए कि सितार पकड़ा कैसे जाता है, मैंने सालों तक सितार बजाने की ट्रेनिंग ली. यहां तक कि सितार के तारों से मेरी उंगलियां तक कट गई थीं."
उसी तरह 'नया दौर' बनने के दौरान भी उन्होंने तांगा चलाने वालों से तांगा चलाने की बाक़ायदा ट्रेनिंग ली. यही वजह थी कि जाने-माने फ़िल्म निर्देशक सत्यजीत राय ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ मैथड अभिनेता की पद्वी दी थी.
यूं तो उन्होंने कई अभिनेत्रियों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे लोकप्रिय जोड़ी बनी मधुबाला के साथ.. जिनके साथ उनकी मोहब्बत हो गई.
मधुबाला से अनबन
अपनी आत्मकथा में दिलीप कुमार स्वीकार करते हैं कि वो मधुबाला की तरफ़ आकर्षित थे एक कलाकार के रूप में भी और एक औरत के रूप में भी.
दिलीप कहते हैं कि मधुबाला बहुत ही जीवंत और फ़ुर्तीली महिला थीं, जिनमें मुझ जैसे शर्मीले और संकोची शख़्स से संवाद स्थापित करने में कोई दिक़्क़त नहीं होती थी.
लेकिन मधुबाला के पिता के कारण यह प्रेम कथा बहुत दिनों तक नहीं चल पाई.
मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण याद करती हैं, "अब्बा को यह लगता था कि दिलीप उनसे उम्र में बड़े हैं. हालांकि, वो मेड फ़ॉर ईच अदर थे. बहुत ख़ूबसूरत कपल था. लेकिन अब्बा कहते थे इसे रहने ही दो. यह सही रास्ता नहीं है लेकिन वह उनकी सुनती नहीं थीं और कहा करती थीं कि वह उन्हें प्यार करती हैं. लेकिन जब बीआर चोपड़ा के साथ 'नया दौर' पिक्चर को लेकर कोर्ट केस हो गया, तो मेरे वालिद और दिलीप साहब के बीच मनमुटाव हो गया."
मधुर भूषण कहती हैं, "अदालत में उनके बीच समझौता भी हो गया. दिलीप साहब ने कहा कि चलो हम लोग शादी कर लें. इस पर मधुबाला ने कहा कि शादी मैं ज़रूर करूंगी लेकिन पहले आप मेरे पिता को 'सॉरी' बोल दीजिए. लेकिन दिलीप कुमार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यहां तक कहा कि घर में ही उनके गले लग जाइए, लेकिन दिलीप कुमार इस पर भी नहीं माने. वहीं से इन दोनों के बीच ब्रेकअप हो गया."
अनबन के बीच मोहब्बत का सीन
'मुग़ले आज़म' बनने के बीच नौबत यहां तक आ पहुंची कि दोनों के बीच बात तक बंद हो गई.
'मुग़ले आज़म' का वह क्लासिक पंखों वाला रोमांटिक दृश्य तब फ़िल्माया गया था, जब मधुबाला और दिलीप कुमार ने एक दूसरे को सार्वजनिक रूप से पहचानना तक बंद कर दिया था.
सायरा बानो से दिलीप कुमार की शादी के बाद जब मधुबाला बहुत बीमार थीं, तो उन्होंने दिलीप कुमार को संदेश भिजवाया कि वह उनसे मिलना चाहती हैं.
जब वह उनसे मिलने गए, तब तक वह बहुत कमज़ोर हो चुकी थीं. दिलीप कुमार को यह देखकर दुख हुआ. हमेशा हँसने वाली मधुबाला के होठों पर उस दिन बहुत कोशिश के बाद एक फीकी सी मुस्कान आ पाई.
मधुबाला ने उनकी आंखों में देखते हुए कहा, "हमारे शहज़ादे को उनकी शहज़ादी मिल गई, मैं बहुत ख़ुश हूं."
23 फ़रवरी, 1969 को मात्र 35 साल की आयु में मधुबाला का निधन हो गया.
राज कपूर की तारीफ़
'मुग़ले आज़म' के बाद जिस फ़िल्म में दिलीप कुमार ने सबसे ज़्यादा नाम कमाया.. वो थी 'गंगा जमना'.
अमिताभ बच्चन मानते हैं कि जब वह इलाहाबाद में पढ़ रहे थे, तो उन्होंने 'गंगा जमना' फ़िल्म बार-बार देखी थी.
अमिताभ देखना चाहते थे कि एक पठान जिसका उत्तर प्रदेश से दूर-दूर का वास्ता नहीं था, किस तरह वहां की बोली को पूरे परफ़ेक्शन के साथ बोलता है.
बाद में दोनों ने एक साथ रमेश सिप्पी की फ़िल्म 'शक्ति' में काम किया.
उनके समकालीन प्रतिद्वंद्वी और बचपन के दोस्त राज कपूर ने 'शक्ति' देखने के बाद बंगलौर से उन्हें फ़ोन करके कहा, 'लाडे, आज फ़ैसला हो गया.. तुम आज तक के सबसे महान कलाकार हो!'
दिलीप कुमार का वो प्रणय निवेदन...
दिलीप कुमार: स्क्रीन के राजा की ये कैसी 'बेबसी'
'दिलीप कुमार ने नवाज़ से लड़ाई रोकने को कहा'
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)