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    किशोर कुमार - पल पल दिल के पास

    By Staff
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    किशोर कुमार - पल पल दिल के पास

    पूजा तिवारी

    बीबीसी संवाददाता

    आभास कुमार गांगुली या यूँ कहिए वो 'लेजेंड' जिन्हें हम जानते हैं किशोर कुमार के नाम से.

    आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है. आज अगर वे ज़िंदा होते तो अस्सी बरस के होते.

    किशोर कुमार के बड़े बेटे अमित कुमार ने बीबीसी को बताया कि वो बहुत ही अच्छे पिता और व्यक्ति थे और उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताना बहुत ही पसंद था.

    वे कहते हैं, "किशोर जी को अंग्रेज़ी 'क्लासिक' फ़िल्में देखने का शौक था. एक बार तो अमरीका से वो ढेर सारी 'वेस्टर्न' फ़िल्मों की कैसेट ले आए."

    यही नहीं वीकेंड पर अक्सर अमित कुमार उनके साथ एक के बाद एक तीन फ़िल्म शो देखकर थक कर घर लौटते थे.

    मनमौजी किशोर

    अमित ने बताया कि किशोर जी ख़ुद मानते थे कि वो बहुत ही मनमौजी थे. वो क्या करेंगे ये कोई नहीं जानता था.

    अमित बताते हैं, "एक बार जब उनकी फ़िल्म की शूटिंग ख़त्म हुई और यूनिट के लोग उनसे पैसे मांगने आए तो किशोर बोले ये इतना ज़्यादा कैसे हो गया, इतना तो नहीं होना चाहिए, ये समझता क्या है अपने आप को डायरेक्टर, ऐसा तो नहीं होगा, मैं प्रोड्यूसर हूँ चलो भगाओ इस डायरेक्टर को इतना ज़्यादा खर्चा कर रहा है, कौन है डायरेक्टर?' इस पर सबने कहा -आप ही तो हैं."

    इस पर किशोर बोले," हाँ अरे वो तो मैं ही हूँ."

    हंसते हुए अमित ने कहा कि ऐसे कई मज़ेदार क़िस्से होते थे उनके साथ.

    किशोर दा को बाजा़र जाकर छोटी- छोटी चीज़ें, तरह तरह के आईटम ख़रीदेने का शौक था और एक बार वो ऐसे ही बाज़ार गए जहां अचानक मसूर की दाल देखकर उन्होंने तुरंत 'मसूरी' घूमने का प्लैन बना लिया. बस कुछ ऐसी ही मनमौजी प्रवृत्ति थी किशोर कुमार की, यही बताया उनके बेटे अमित कुमार ने.

    रेडियो की जानी मानी हस्ती अमीन सायानी ने बीबीसी को बताया कि बड़े ही मज़ेदार आदमी थे किशोर, उनका दिल बहुत अच्छा था पर बेहद शरारती भी थे. एक दफ़ा तो उन्होंने इंटरव्यू भी अमीन साहब को इसी शर्त पर दिया कि वो अपने आप को ख़ुद ही इंटरव्यू करेंगे. इसके बाद अमीन सायानी को दिए एक और इंटरव्यू में किशोर कुमार ने ख़ूबसूरत अंदाज़ में सचिन देव बर्मन के साथ पहली मुलाक़ात की नकल करके दिखाई.

    किशोर कुमार ने कई गायकों के साथ जुगलबंदी की और सभी के चहेते थे वो. सिंगर मन्ना डे कहते हैं कि किशोर दा ने संगीत की शिक्षा नहीं ली थी. उनकी गायकी उन्हें ईश्वर की देन थी. मन्ना डे ने कहा कि हालांकि मन्ना डे ख़ुद संगीत में पारंगत थे पर फिर भी जब वो किशोर के साथ गाते तो वो कमर कस के गाते थे. उन्होंने कहा कि किशोर की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती.

    मन्ना डे ने बताया कि फ़िल्म पड़ोसन के हिट गीत 'चतुर नार' की रिकॉर्डिंग में तो पूरे 12 घंटे लग गए जिसमें से तीन घंटे तो किशोर दा की बातों पर हंस हंस कर सब का पेट दर्द हो गया.

    हरफनमौला

    संगीत निर्देशक राजेश रौशन किशोर दा को याद करते हुए कहते हैं कि वो इतना डूब कर गाते थे कि गाने का क्या रुप और रंग होना चाहिए, ये वो संगीत निर्देशक से भी बेहतर समझते थे और आज तक उनका सबसे पसंदीदा गीत है हिट फ़िल्म 'जूली' का गाया हुआ गाना 'दिल क्या करे....'

    लता मंगेशकरमानती हैं कि किशोर उन्हें गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे. उन्होंने कहा कि किशोर हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है.

    लता ही नहीं, उनकी बहन आशा भोसले के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे.

    बतौर एक्टर किशोर कुमार ने 'चलती का नाम गाड़ी', 'हॉफ़ टिकेट', 'पड़ोसन' और 'झुमरु' जैसी कई फ़िल्मों में काम किया. फ़िल्म निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा कहते हैं कि किशोर न सिर्फ़ गायक थे बल्कि एक एक्टर, प्रोड्यूसर, निर्देशक, निर्माता, लेखक, म्यूज़िक कम्पोज़रसभी कुछ थे.

    उन्होंने कहा कि जिस तरह से किशोर अपने गानों में फ़िल्म के सीन के पूर भाव डाल देते थे वो बेमिसाल था. यश चोपड़ा भी किशोर कुमार की शरारतों के बारे में बात किए बिना नहीं रह पाए और उन्होंने माना कि किशोर लोगों को रिकॉर्डिंग के समय बहुत ही हंसाते थे.

    किशोर कुमार के साथ कई स्टेज शो में हिस्सा ले चुके उनके मित्र गायक भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि उनकी आवाज़ सबसे अलग थी और किसी गाने में किस जगह क्या डालना है ये वो बख़ूबी जानते थे

    सत्तर का दशक हो या फिर आज का समय किशोर कुमार के गाने हर युग के लोगों के होठों पर रहते हैं और किशोर के साथ बहुत सी फ़िल्मों में काम कर चुके संगीत निर्देशक बप्पी लाहिरी कहते हैं कि किशोर के गानों में कॉमेडी, रोमांस और बहुत से भाव होते थे. उन्होंने कहा कि किशोर कुमार रिकॉर्डिंग के समय ही बोल देते थे कि गाना हिट होगा या नहीं. वो मानते हैं कि किशोर कुमार जैसा न कभी कोई हुआ है और न कभी कोई होगा.

    रुमा घोष, मधुबाला और योगिता बाली के बाद शायद अपने सपनों की रानी किशोर दा को मिली अपनी चौथी पत्नी लीना चंद्रवरकर के रुप में.

    लीना ने बताया," एकदम बच्चों जैसे थे किशोर. छोटी छोटी बातों से इतना ख़ुश हो जाते थे. कभी कभी बारिश को देख इतना ख़ुश हो जाते मानो पहली बार देख रहे हों. उन्हें लोगों को चौंकाने में बहुत ही आनंद आता था. वो विदेश से कई तरह के मुखौटे लाए थे और एक बार तो उनका चौकीदार ही उनको देखकर डर गया. ऐसी शरारतें करने मे वो माहिर थे."

    लीना ने ये भी बताया कि किशोर कहते थे कि जब वो इस दुनिया में नहीं रहेंगे तब भी उन्हें कोई नहीं भूलेगा और उन्हें हमेशा याद रखेंगे उनके चाहने वाले.

    सच ही तो कहा था किशोर दा ने. उन्होंने हम सभी के दिल में अपनी ऐसी तस्वीर बना ली है जिसे समय की लहरें मिटा ही नहीं सकती और उनके अमर गीत तो हमेशा हमेशा ही याद रखे जाएँगे.

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