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कविता सेठ की संगीतमय श्रद्धांजलि
सूफ़ी गायिका कविता सेठ ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों में मारे गए लोगों के नाम किया है अपना गीत ‘प्यार इंसान से करना सिखा दो’.
कविता कहती हैं कि इंसान अगर इंसान से ही प्यार नहीं करेगा तो वो ख़ुदा से भी कैसे जुड़ेगा. बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "ये बहुत ज़रूरी है कि जिस समाज में व्यक्ति रह रहा है उन लोगों के साथ अच्छी तरह से रहे तब ही वो ख़ुदा से जुड़ सकता है. यही ‘सूफ़ीज़म’ की पहली सीढ़ी है."
कविता सेठ कहती हैं कि ये गाना एक तरह से आवाम से अपील है कि सब अच्छे रास्ते पर चले औऱ मिलजुलकर रहें. वो कहती हैं कि एक कलाकार होने के नाते वो ये संदेश अपनी कला यानी संगीत के माध्यम से ही दे सकती हैं.
कविता सेठ का जन्म बरेली में हुआ था. उन्होंने बताया कि उनके पिता उन्हें अक्सर वहाँ की एक जानी-मानी दरगाह पर ले जाया करते और जाने-अनजाने वहाँ के पीर फ़कीरों का संगीत उनके कानों में और ज़ेहन में बसता चला गया और उन्हें पता भी नहीं चला कि कब वो सूफ़ी रंग में रंग गईं.
कविता कहती हैं कि वो कई तरह के संगीत से जुड़ी थीं पर उनका मानना है कि सूफ़ियाना संगीत सुनने के बाद उसका असर उतरता ही नहीं.
बॉलीवुड फ़िल्म 'वादा', 'गैंगस्टर' और 'वेक अप सिड के लिए गा चुकीं कविता सेठ कहती हैं कि बॉलीवुड के माध्यम से लोगों तक सुफ़ियाना संगीत को पहुँचाने के लिए उसे थोड़ा आसान करना पड़ता है और थोड़ा आम जनता की पसंद को भी ध्यान में रखना पड़ता है.
रहमान के फ़िल्म जोधा अकबर के गीत ‘ख़्वाजा मेरे ख़्वाजा’ की तारीफ़ करते हुऐ उन्होंने कहा कि ये उदाहरण है ऐसे सूफ़ी संगीत का जिसे आम जनता भी बेहद पसंद करती है.
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