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    ऑस्कर की दौड़ में ‘कवि’

    By Jaya Nigam
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    ऑस्कर की दौड़ में ‘कवि’

    पवन सिंह अतुल

    बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

    इस साल 82वें अकादमी पुरस्कारों में एक भारतीय कहानी बिना किसी शोर-शराबे के शॉर्ट फ़िल्म (लाइव एक्शन) श्रेणी मनोनीत हो गई है. इस फ़िल्म का नाम है 'कवि' और इसका निर्देशन किया है अमेरिका के ग्रैग हेल्वी ने.

    ‘कवि’ कहानी है भारत में ईंट-भट्टा मज़दूरों की दुर्दशा पर. फ़िल्म का प्रमुख पात्र कवि आम बच्चों की तरह पढ़ना चाहता है और उसे क्रिकेट बेहद पसंद है लेकिन कवि को ज़बरदस्ती अपने मां-बाप के साथ ईंट के भट्टे पर बंधुआ मज़दूर करनी पड़ती है. ये निर्देशक ग्रैग हेल्वी यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न केलिफ़ोर्निया के लिए थीसिस फ़िल्म है.

    हेल्वी कहते हैं कि जब उन्हें ऑस्कर में कवि के मनोनीत होने की ख़बर मिली तो उन्होंने नाचना गाना शुरु कर दिया. हेल्वी ने बीबीसी से कहा, "मैं बहुत ही ख़ुश हुआ, ये बड़ी रोमांचक ख़बर थी. मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा था."

    हेल्वी ने बीबीसी को बताया कि वो सात साल पहले ‘बीबीसी वन’ की डॉक्यूमेंट्री ‘टूमॉरोज़ वर्ल्ड’ के लिए भारत आए थे और वो उन्हें इस देश से बेहद लगाव हो गया.

    हेल्वी ने कहा, “तब से ही में ही भारत लौटना चाहता था, और जैसे ही मुझे फ़िल्म बनाने का मौक़ा मिला तो मैं उसमें जी-जान लगा देना चाहता था. मुझे पता चला था कि दुनिया में अब भी दास प्रथा का प्रचलन है. तो बस मैंने अपने भारत प्रेम और इस मुद्दे को जोड़ इस फ़िल्म को बनाने के बारे में सोचा.”

    संवेदनशील

    गत वर्ष ऑस्कर समारोह में स्लमडॉग मिलेनियर का जलवा रहा था लेकिन इस फ़िल्म पर भी कुछ लोगों ने ग़रीबी की नुमाइश की संज्ञा दी थी. और अब ग्रैग हेल्वी की ये लघु फ़िल्म आई है जिसमें भारत में बंधुआ मज़दूरी के प्रचलन की कहानी है.

    लेकिन उन्हें इस बात का पूरा अहसास था कि ये मुद्दा काफ़ी संवेदनशील है वो बातचीत के दौरान इस बात पर ज़ोर देते रहते हैं कि दास प्रथा भारत में ही नहीं अमेरिका समेत दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित है.

    हेल्वी कहते हैं, “क्योंकि मेरी फ़िल्म की समय-सीमा सिर्फ़ 19 मिनट थी इसलिए मैंने इसकी कहानी को भारत पर ही केंद्रित रखा.”

    दिलचस्प बात ये है कि ‘कवि’ की शूटिंग ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के रिलीज़ होने से पहले ही पूरी हो चुकी थी लेकिन क्यूंकि ये एक ‘स्टूडेंट प्रॉक्डशन’ थी इसलिए इसे तैयार करने में लंबा वक़्त लगा

    फ़ीचर फ़िल्म

    ग्रेग हेल्वी अब कवि को एक फ़ीचर फ़िल्म में तबदील करना चाहते हैं. फ़ीचर फ़िल्म में वो इस कवि की कहानी को भारत से ले जाकर अमरीका से भी जोड़ना चाहते हैं.

    हेल्वी कहते हैं, “ ये बहुत अहम है कि पश्चिम के देशों के दर्शक इस बात को समझें कि आधुनिक दास प्रथा सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि ये अमेरिका के अलावा बहुत सारे देशों में प्रचलित है.”

    ग्रेग हेल्वी भारतीय सिनेमा के भी बहुत बड़े प्रशंसक हैं. उन्हें सत्यजीत रे की फ़िल्में पसंद और वो वापस भारत आकर कुछ काम करने के लिए आतुर हैं

    फ़िल्म में कवि का किरदार सागर सालुंके ने निभाया है. इसके अलावा फ़िल्म में उल्हास तयाड़े, राजेश कुमार और माधवी जुवेकर भी हैं.

    82वें एकेडमी अवार्ड समारोह में ‘कवि’ को लघु फ़िल्म (लाइव एक्शन) श्रेणी में ‘द डोर’, ‘इनस्टेड ऑफ़ आबराकाडाबरा’, ‘मिरेकल फ़िश’ और ‘द न्यू टेनेंट्स’ से चुनौती मिलेगी.

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