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    कार्तिक आर्यनः ग्वालियर का BTech जिसने घरवालों से छिपाकर बनाया फ़िल्मों को करियर

    By Bbc Hindi
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    कार्तिक आर्यन ऐसे सितारों में से एक हैं जिन्होंने इंडस्ट्री के बाहर से आकर बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई. साल 2011 में ''प्यार का पंचनामा'' से बतौर लीड एक्टर अपने करियर की शुरुआत करने वाले कार्तिक आर्यन अब ''भूल भुलैया-2'' जैसी बड़ी फिल्म लेकर आए हैं.

    पिछले एक दशक से ज़्यादा समय में कार्तिक आर्यन ने गेस्ट इन लंदन, सोनू के टीटू की स्वीटी, लव आज कल-2, धमाका जैसी कई फिल्में दी हैं और उन्हें लगातार फिल्में मिल रही हैं.

    एक बॉलीवुड ''आउटसाइडर'' से लेकर अपनी अलग पहचान बनाने तक कार्तिक आर्यन का ये सफर कैसा रहा? परिवार की प्रतिक्रिया क्या रही? ऐसे ही कई सवालों के जवाब वो बीबीसी हिंदी के साथ एक ख़ास बातचीत में दे रहे हैं.

    'परिवार को ढाई साल तक नहीं बताया था'

    ग्वालियर से आने वाले कार्तिक आर्यन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. अपने ट्विटर हैंडल पर भी वो खुद के बारे में ''BTech'' ही लिखते हैं.

    कार्तिक कहते हैं कि उनका पूरा परिवार मेडिकल के पेशे में है तो परिवार भी ये चाहता था कि वो डॉक्टर या इंजीनियर बनें. लेकिन कार्तिक आर्यन ने फिल्म इंडस्ट्री में जाने का मन बना लिया था इसलिए वो मुंबई के किसी कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते थे ताकि कॉलेज के साथ-साथ ऑडिशन में कोई दिक्कत न आए.

    कार्तिक कहते हैं, ''मैंने अपने सपने के बारे में घरवालों को नहीं बताया था. परिवार में सब डॉक्टर थे तो वो भी चाहते थे कि मैं इंजीनियर या डॉक्टर बनूं. मैं ग्वालियर से हूं तो ग्वालियर से मुंबई आना मेरे लिए सबसे बड़ा शुरुआती संघर्ष था. अब मुंबई आने के लिए बहाना ज़रूरी था तो मैं कोशिश कर रहा था कि मुंबई, नवी मुंबई या इसके आसपास के कॉलेज में एडमिशन लूं, ताकि मैं ऑडिशंस दे सकूं. नवी मुंबई के डीवाई पाटिल कॉलेज का एग्ज़ाम क्लियर हुआ था मेरा.''

    kartik-aaryan-biography-the-gwalior-boy-btech-degree-holder-who-made-his-career-lying-to-family

    कार्तिक आर्यन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही फेसबुक के जरिए ऑडिशन ढूंढना शुरू कर दिया था और वो मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में ऑडिशन देने जाने लगे. वो कहते हैं कि उन्होंने ऑडिशन या फिल्म मिलने की बात तब तक अपने माता-पिता से शेयर नहीं किया, जब तक कि उन्हें फिल्म के रिलीज़ होने का पूरी तरह से भरोसा नहीं हो गया.

    वे कहते हैं, ''ढाई साल तक मेरे घरवालों को पता नहीं था. जब तक कि मुझे यकीन नहीं हो गया कि जिस फिल्म का ऑडिशन मैंने क्रैक किया है वो वास्तव में फ्लोर पर आएगी और रिलीज़ होगी. इससे पहले मेरे साथ ऐसा हो चुका था कि ऑडिशन क्रैक करने के बाद बोला गया कि फिल्म बन रही है, मैं घर पर बताने वाला ही था लेकिन फिल्म बनी ही नहीं. इसलिए मैं सावधान था.''

    'कुछ लोग सीधा अनफिट बता देते थे'

    कार्तिक आर्यन बताते हैं कि फेसबुक पर ऑडिशन ढूंढने और सीधा ऑडिशन देने पहुंच जाने के कारण कई बार उन्हें दिक्कतें भी झेलनी पड़ी.

    वो कहते हैं, ''मैं बेलापुर में रह रहा था वहां से मैं रोज़ लोकल ट्रेन से अंधेरी या सांताकूज़ ऑडिशंस के लिए जाता था. मैं बिना किसी कनेक्शन के सीधा ऑडिशन देने पहुंच जाता था. मैं कपड़े अपने साथ लेकर जाता था. कई बार तो पूरी तरह तैयार होकर जाता था लेकिन ऑडिशन से वापस भेज देते थे, ये कहते हुए कि हमने चुनिंदा लोगों को ही बुलाया है. ये बहुत समय तक चलता रहा है. मैं ऑडिशंस देता रहा. कभी कॉफी शॉप पर ऑडिशन चल रहा है तो कभी फेक ऑडिशन भी होते थे.''

    कार्तिक आर्यन बताते हैं कि इस तरह के ऑडिशन में कई बार ऐसा होता था कि लोग उन्हें देखकर ही सीधा अनफिट बता दिया करते थे. वो कहते हैं, ''शायद उन्हें पहले से ही लोग मिल जाते थे लेकिन तब मैं इन चीजों को दिल पर ले लेता था कि यार ऑडिशन भी नहीं देने दिया और वापस भेज दिया.''

    कार्तिक आर्यन कहते हैं कि उन्हें ऐसी चीज़ें भी सुनने को मिली हैं कि ''ये एक्टर बन गया तो नाम बदल दूंगा.'' कार्तिक कहते हैं कि इन चीज़ों के बारे में वो ज़्यादा नहीं सोचते थे क्योंकि उन्हें अपने आप पर पूरा भरोसा था.

    मुंबई, घर का किराया और खाने की दिक्कत

    सपनों के शहर मुंबई में गुज़र बसर कर पाना इतना आसान भी नहीं है और ये बात कार्तिक आर्यन को समझ में आ गई थी. कार्तिक का कहना है कि मुंबई में रहने और खाने के खर्च को लेकर उन्हें भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी.

    वो कहते हैं, ''हम लोग 12 लोग एक साथ रहते थे, वो भी तब जब मैं दो फिल्में कर चुका था. 2-बीएचके जैसा पीजी था. हर रूम में तीन-तीन लड़के रहते थे. मैंने काफी दोस्त भी बनाए, अब भी उनके टच में हूं. मां-पिता ग्वालियर में रहते थे और उनकी भी एक निश्चित कमाई थी. उस कमाई से वो मुझे मुंबई में रखकर पढ़ा ही सकते थे. उनके अपने लाइफ के स्ट्रगल चल रहे थे. इसमें रेंट और फूड को मैनेज करने में कठिनाई होती थी.''

    अब एक कामयाब बॉलीवुड अभिनेता बनने के बाद कार्तिक आर्यन कहते हैं कि कुछ लोग कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि इंसान बदल गया है क्योंकि आपके पास वक्त वक्त नहीं है. लेकिन इस पर कार्तिक आर्यन का कहना है कि वो अपने पुराने दोस्तों के साथ ही ज़्यादा हैंगआउट करना पसंद करते हैं.

    वो कहते हैं, ''मैं अपने कॉलेज फ्रेंड्स के साथ सबसे ज़्यादा हैंगआउट करता हूं. मेरे सारे दोस्त वही पुराने वाले हैं और मुझे उनके साथ घूमना अच्छा लगता है. क्योंकि उन दोस्तों के साथ घूमना मुझे अपने काम से ब्रेक लगता है.''

    इंटरव्यू के आखिर में वो एक सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि कई बार तो साइन की हुई फ़िल्म से उन्हें रिप्लेस कर दिया गया. लेकिन कार्तिक आर्यन कहते हैं कि इन चीज़ों ने उन्हें काफी सिखाया है.

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    BBC Hindi
    English summary
    Kartik Aaryan in an interview with BBC reveals different phases of his life. Starting from Gwalior and ending up in Mumbai.
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