Just In
- 7 hrs ago OOPS: बेटे अरहान से गंदी बातें करने के बाद अब इस हाल में दिखी मलाइका, बार-बार ठीक करती रही लटकती फिसलती ड्रेस
- 7 hrs ago बच्चे के लिए तरस गई थीं आमिर खान की पूर्व पत्नी किरण राव, झेला था मल्टीपल मिसकैरेज का दर्द
- 8 hrs ago VIDEO: कैटरीना कैफ ने मिसेज खान बनने का मौका दिया, सलमान खान ने भरी महफिल में उड़ाई खिल्ली
- 9 hrs ago ना जया.. ना रेखा.. बल्कि इस महाराष्ट्रीयन लड़की से प्यार करते थे अमिताभ बच्चन, बुरी तरह तोड़ा एक्टर का दिल
Don't Miss!
- News VASTU TIPS : घर में समृद्धि लाना है तो इन उपायों पर गौर फरमाइए
- Education UP Board 12th Result 2024: यूपी बोर्ड 12वीं रिजल्ट 2024 कल 2 बजे आयेगा, यहां देखें UPMSP Result डाउनलोड लिंक
- Lifestyle Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- Technology Vivo के इस 5G फोन की कल होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत से लेकर फीचर्स तक की डिटेल लीक
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
25 साल से स्ट्रगलर ही हूं
बंजारा शायद उनका असली नाम नहीं लेकिन अब इंडस्ट्री में सब उन्हें इसी नाम से जानते हैं.
बंजारा को अब भी इंतज़ार है उस रोल का जो उन्हें पहचान दिला सके.
ये लोग इंडस्ट्री में जूनियर आर्टिस्ट कहे जाते हैं. ये आते हैं बड़ी भूमिकाओं की तलाश में लेकिन जब हीरो या एक्टर नहीं बन पाते जो छोटी भूमिकाओं से गुज़ारा करते हैं और इस उम्मीद में इंड्स्ट्री में बने रहते हैं कि कभी न कभी उनका नबंर भी आएगा.
वो कहते हैं, ' मैं जब यहां आया था तो मेरी नई नई शादी हुई थी. अब मैं नाना-दादा बन गया हूं. तब भी संघर्ष कर रहा था अब भी संघर्ष कर रहा हूं. वो रोल नहीं मिला जो करना चाहता था. '
ऐसा नहीं है कि बंजारा को काम नहीं मिला. उन्हें छोटा मोटा काम मिलता रहा जिससे उनका गुजारा चलता रहा लेकिन चरित्र अभिनेता के रुप में पहचान अब तक नहीं मिली जो वो चाहते हैं.
मैंने
महेश
भट्ट,
पहलाज
निहलानी
और
पार्थो
घोष
की
फ़िल्मों
में
छोटे
मोटे
रोल
किए
हैं.
कभी
भीड़
में
खड़ा
रहा
तो
कभी
गुंडा
बना.
लेकिन
आज
भी
मुझे
उस
भूमिका
का
इंतज़ार
ही
है |
लेकिन क्या वो रोल मिलेगा. बंजारा बहुत उत्साह से कहते हैं, ' मुझे तो लगता है कि अभी जिस फ़िल्म की शूटिंग हो रही है उसी में मेरा यह रोल है जो मुझे पहचान दिलाएगा. हालांकि इसमें सिर्फ़ एक ही डॉयलॉग है मेरा. '
लेकिन काम क्यों नहीं मिला, वो कहते हैं, ' फ़िल्म लाईन में पहचान होनी चाहिए. आपका कोई माई बाप नहीं है तो काम नहीं मिलता है. मेरा यहां कोई नहीं था. मैं राजस्थान के गांव से आया था और इंडस्ट्री से ही जुड़ा रहना चाहता था. '
बंजारा गीत लिखते हैं, छोटे मोटे रोल करते हैं और संघर्षरत हैं उस ख़ास रोल के लिए जो उन्हें प्रसिद्धियों की बुलंदियों तक पहुंचाएगा.
मुंबई में हर रोज़ बंजारा जैसे सैकड़ों लोग आते हैं और अपनी किस्मत आजमाते हैं.
फ़िल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा कहती हैं, ' आपको इंडस्ट्री में हर तरह का काम मिल सकता है. आप डायरेक्टर भी बन सकते हैं लेकिन एक्टिंग के लिए बहुत मारामारी है. हज़ारों लोग रहते हैं. किस्मत अच्छी हो तभी कुछ हो पाता है.'
ऐसे ही संघर्ष के दौर से गुज़र कर हीरो बनने वाले मनोज वाजपेयी भी मानते हैं कि इंडस्ट्री में बिना माई बाप के खुद को हीरो या एक्टर के तौर पर स्थापित करना अत्यंत मुश्किल है.
तो फ़िर एक्टर के तौर पर सफलता किसको मिलती है, इस पर हर संघर्षरत एक्टर की अलग अलग थ्योरी होती है.
हर शुक्रवार की सपने टूटते हैं और नए स्टार पैदा होते हैं और इंडस्ट्री उन सभी को भूल जाता है जो फ्लॉप होते हैं और उन्हें सलाम करता है जो हिट होता है.
इंडस्ट्री की यही कहानी है जहां हीरो बनने के लिए लंबी कतारें हैं और उम्मीद की एक किरण है जो शायद फ़िल्म इंडस्ट्री में और मुंबई में जीने के लिए ज़रुरी है क्योंकि उम्मीद कायम रखने वाला और हिम्मत नहीं हारने वाला ही यहां आगे बढ़ता है.