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    किसी के चेहरे की मुस्कान किसी भी अवार्ड से बड़ी: विवेक ओबरॉय

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    लंबे अरसे के बाद पर्दे पर सफलता का स्वाद चखने वाले विवेक ओबरॉय इन दिनों समाज सेवा में लगे हुए हैं। विवेक अपने सामाजिक कार्य को दुनिया का औऱ खुदा का सबसे बड़ा उपहार और पुरस्कार मानते हैं। विवेक ने कहा जो मजा किसी के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर आता है वह दुनिया के किसी और भी काम में नहीं आता है।

    हाल ही में मीडिया से बात करते हुए विवेक ओबरॉय ने कहा कि फिल्मों में अभिनय करना मेरा जुनून है, लेकिन दूसरों के आंसू पोंछने और चेहरों पर मुस्कान लाकर मेरी जिंदगी में जो एक तरह का आत्मसंतोष और सार्थकता आती है ना, वह बहुत खास है..वह सुख मुझे आज तक मिले किसी भी पुरस्कार और इनाम कहीं अधिक संतोष देता है।"

    विवेक ने वर्ष 2004 में तमिलनाडु में आई सुनामी में तबाह हुए एक गांव को फिर से बसाने में मदद की। जिस समय इस आपदा ने कहर मचाया था, वह चेन्नई में थे और उन्होंने छह ट्रक राहत सामग्री जुटाई थी। उन्होंने राज्य के कुड्डालोर जिले में सुनामी से तबाह हुए एक गांव को बाद में गोद भी ले लिया।

    आगे की खबर स्लाइडों में..

    English summary
    Actor Vivek Oberoi has essayed diverse roles and tasted both successes and failures on the big screen, but he says the joy of social work and supporting charitable causes for others' happiness is far more fulfilling an award or reward for him.
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