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    #Stardom: "तीनों खान बॉलीवुड के आखिरी सुपरस्टार्स हैं!"

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    बॉलीवुड और स्टारडम दो ऐसी चीज़ें हैं जो साथ साथ चलती हैं। या फिर यूं कह लीजिए कि साथ साथ नहीं चलती हैं। दरअसल, बॉलीवुड में जगह तो सबको मिल जाती है लेकिन स्टारडम बहुत ही कम लोगों को मिल पाता है।

    वो स्टारडम जो आपको आपके फैन्स और साथी कलाकार देते हैं। वो स्टारडम जिसके बाद, आपको सब माफ हैं, क्योंकि लोग आपको कलाकार नहीं, सुपरस्टार की हैसियत से आंकते हैं।

    Khans of Bollywood

    जब से फिल्में शुरू हुई हैं तब से बॉलीवुड में हमेशा हर दशक का या हर युग का एक स्टार ज़रूर रहा है, जिसके आगे पीछे सब भागते हैं। और हर्षवर्धन कपूर की मानें तो बॉलीवुड में ये स्टारडम खत्म हो चुका है।
    [#ClearHai: 25 फ्लॉप फिल्में हों तो क्या, है तो सुपरस्टार ही!]

    एक इंटरव्यू में मिर्ज़िया से डेब्यू करने को तैयार अनिल कपूर के होनहार बेटे ने बड़े सादे अंदाज़ में बताया की बॉलीवुड के तीनों खान स्टारडम के मामले में आखिरी सुपरस्टार्स हैं। अब कोई भी कभी भी वो स्टारडम नहीं पाएगा जैसी इन सुपरस्टार्स को मिली।
    [किसी को भनक भी नहीं लगी और शाहरूख से सलमान सब REPLACE!]

    वो तीनों बॉलीवुड में करीब 25 साल से राज कर रहे हैं और वाकई अगर किसी स्टार को आना होता तो अब तक दस्तक दे चुका होता।

    लेकिन ऐसा इसीलिए नहीं हो पाया क्योंकि कोई भी अब वहां तक पहुंच ही नहीं पाएगा। जानिए बॉलीवुड में अब तक किस किस को मिला स्टारडम -

    शो मैन
    ये सब हुआ एक शो से सर्कस के एक शो। एक हंसता खिलखिलाता आदमी आया और सबको हंसाना सिखा दिया, रूला रूला कर। राज कपूर बॉलीवुड के शो मैन कहे जाते हैं।

    जो राजकपूर ने बॉलीवुड को दिया वो शायद कोई कभी सोच भी नहीं सकता। जीना यहां मरना यहां से उन्होंने शायद हर किसी को वो खोई हुई उम्मीदें जगा दी। साधारण सी कद काठी और चार्ली चैपलीन सा अंदाज़। कभी मेरा जूता है जापानी तो जिस देस में गंगा बहती है।

    राजकपूर ने नब्ज़ पकड़ी, जनता की और बॉलीवुड एक ज़रिया बन गया लोगों को जोड़ने का। एक से एक बेहतरीन फिल्में, कुछ हिट और कुछ फ्लॉप लेकिन राजकपूर बन गए, बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार। या फिर उससे भी ज़रा सा ऊपर।

    फिर आया नया दौर एक लड़का लोगों पर राज करने लगा। नाम था दिलीप कुमार। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है।

    शाहरूख खान से लेकर अमिताभ बच्चन तक हर कोई आज भी दिलीप कुमार का फैन है। और हमेशा रहेगा। यही वजह है कि फिल्मफेयर ने जब ये शानदार फोटोशूट किया तो 100 साल के सिनेमा की ये शायद बेस्ट तस्वीर लगी, सभी को।

    फिर आया एक और नया चेहरा, इठलाता, झूमता और मस्ती में रहने वाला। देव आनंद। सामान्य सी कद काठी पर अंदाज़ बिल्कुल जुदा। 'पेइंग गेस्ट', 'बाजी', 'ज्वैल थीफ़', 'सीआईडी', 'जॉनी मेरा नाम', 'अमीर गरीब', 'वारंट', 'हरे राम हरे कृष्ण' और 'देस परदेस' जैसी कई हिट फिल्में दी।

    देव आनंद सही मायनों में भारत के पहले अंतराष्ट्रीय सितारे थे। भारत के बाहर जितनी प्रसिद्धि देव साब को मिली थी उतनी शायद ही किसी को मिली हो। चार्ली चैपलिन से लेकर फ्रैंक काप्रा और डी सिका तक सब उनके मुरीद थे।

    फिर आया वो सितारा जिसने सही मायनों में स्टारडम का मतलब ही बदल दिया। राजेश खन्ना सही मायनों में स्टारडम को एक अलग ही स्तर पर लेकर चले गए। लड़कियां उनकी दीवानी थी। यहां तक कहा जाता है कि उनकी कार पर हमेशा लिप्सटिक के निशान रहते थे ...हमेशा!

    जिस तरह से आज टीवी के जरिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेअर ने किया था। वे नया हीरो खोज रहे थे। फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए। फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।

    राजेश खन्ना ने अपनी विरासत सौंप दी अपने बाबू मोशाय को और किसी को पता भी नहीं चला कि कब बॉलीवुड को उसका शहंशाह मिल गया। अमिताभ बच्चन की स्टारडम को आंकना बहुत ही मुश्किल है। उनके जैसी शख्सियत शायद कई सदियों में एक ही होती है।

    बिग बी के स्टारडम का आलम ये था कि 80 के दशक में पूरी एक कॉमिक्स उनके नाम पर थी। सुप्रीमो नाम की ये कॉमिक्स खूब चलती थी। सीरीज को नाम दिया गया था 'द एडवेन्चर्स ऑफ अमिताभ बच्चन' यानी की अमिताभ बच्चन के अद्भूत कारनामे। इस कॉमिक्स को काफी लोगों ने पसंद किया था लेकिन जब अमिताभ बच्चन राजनीति में उतरे तो यह सीरीज बंद कर दी गयी थी।

    इसके बाद बॉलीवुड को मिला इसका पहला चॉकलेटी बॉय। उम्र ज़्यादा नहीं थी इसलिए उसका सारी हरकतें माफ थीं। बात हो रही है ऋषि कपूर की। उनके स्टारडम का आलम ये था कि हिट हो या फ्लॉप वो धड़ाधड़ फिल्में करते जाते थे।

    ऋषि कपूर ने अपने करियर में 1973-2000 तक 92 फिल्मों में रोमांटिक हीरो का किरदार निभाया है। उन्होंने बतौर अभिनेता कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया है। चॉकलेटी हीरो के रूप में उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई और बॉलीवुड कई रोमांटिक हिट फिल्में दीं।

    फिर खत्म हुआ स्टारडम का अंत जब तीन खान ने एक साथ बॉलीवुड में दस्तक दी। 25 साल हो गए अभी तक हमें कोई अगला सुपरस्टार नहीं मिला। आलम ये है कि शाहरूख - सलमान और आमिर को साथ में लाने के लिए पूरी इंडस्ट्री सपने देखती है।

    और ऐसा हो भी शायद। हालांकि तीनों ही इस बात पर केवल हंस देते हैं। करण जौहर तो यहां तक कह चुके हैं कि ऐसा अगर मैंने करने की कोशिश भी की तो मैं बिक जाउंगा। वाकई अगले सुपरस्टार का बॉलीवुड को अब इंतज़ार है।

    English summary
    Harshavardhan Kapoor speaks about stardom and the Khan Monopoly.
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