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    हरमन चाहते हैं कि हर मन को भाएँ

    By वंदना
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    'लव स्टोरी-2050' हरमन की पहली फ़िल्म है
    लव स्टोरी 2050 के अभिनेता हरमन बवेजा से लंदन में मुलाकात हुई. नए कलाकार का उत्साह और घबराहट उनके चेहरे पर साफ़ नज़र आई. बातचीत करने में एकदम सहज- सेलीब्रिटी होने के ख़ुमार ने उनपर कम से कम अब तक तो असर नहीं किया है.

    पेश है बातचीत के मुख्य अंश -

    आपकी पहली फ़िल्म लव स्टोरी 2050 का लंदन में प्रीमियर हुआ, भारत में रिलीज़ शुक्रवार को है, काफ़ी लोगों की नज़रें टिकी हुए हैं. नवर्स हैं, उत्साहित हैं?

    नर्वस तो मैं हूँ ही साथ में उत्साहित भी हूँ. पहली फ़िल्म हमेशा ही ख़ास होती है. ज़िंदगी में जो भी काम पहली बार करते हैं वो हमेशा याद रहता है. स्कूल का पहला दिन हो, पहला प्यार हो, पहली किस या फिर पहली फ़िल्म हो.

    ये साइंस फ़िक्शन फ़िल्म है, इतना भर तो लोग जानते हैं. लेकिन फ़िल्म का यूएसपी या ख़ासियत क्या है. क्या ऐसा है जो लोगों ने पहले नहीं देखा.

    फ़िल्म की ख़ासियत इसकी स्क्रिप्ट है. इसकी कहानी बहुत अच्छी और दिल को छू जाने वाली है. हर कोई इससे अपने आप को जोड़ सकता है. आप कितने भी साल के हों लेकिन मेरे और प्रियंका के बीच जो लव स्टोरी है, फ़िल्म में उससे जुड़ाव ज़रूर महसूस करेंगे. फ़िल्म में रोमांटिक कॉमेडी भी है, मस्ती है, परिवक्ता है, मेलोड्रामा है यानी अपने आप में संपूर्ण है. विज़ुयल इफ़ेक्ट्स भी फ़िल्म की ख़ासियत है. फिर बोमन ईरानी और प्रियंका चोपड़ा जैसे कलाकार तो हैं ही फ़िल्म में.

    आपके पिता और फ़िल्म के निर्देशक हैरी बवेजा से बात हो रही थी. उन्होंने बताया कि शूटिंग के शुरुआती दिनों में आपने उनसे सेट पर आने से ही मना कर दिया था क्योंकि आप उनकी मौजूदगी में नर्वस महसूस कर रहे थे.

    मैं टाइम मशीन में बैࢠकर अतीत में जाना चाहूंगा. जब मैं पैदा हुआ था तो मेरे दादाजी और नानाजी दोनों गुज़र चुके थे. मैने दोनों को कभी नहीं देखा पर उनके बारे में सुना बहुत है. मैं चाहता हूँ कि उस टाइम ज़ोन में चला जाउँ जहाँ मैं उनको देख सकूँ. देखूँ तो सही कि मेरे वशंज कैसे थे. मम्मी-पापा को भी साथ ले जाउँगा, वो भी खुश हो जाएँगे
    क्या है कि मैं टिपीकल पंजाबी परिवार से हूँ, इसलिए पापा के सामने एक लिहाज़ होता है. कितनी भी मस्ती कर लू मैं लेकिन पापा बीच में एक नज़र ऐसे देख लेते थे तो सारी मस्ती बंद हो जाती थी और हम लोग फ़ुर्र से कमरे से भाग जाते थे. अब उनके साथ फ़िल्म कर रहा हूँ. कभी-कभी रोमांटिक या इंटीमेट दृश्य करने पड़ते थे. ऐसे में पापा के सामने अजीब सी हिचक होती है.

    पहले दोनों दिन ही रोमांटिक दृश्य थे. मैने पापा से कहा कि आप कुछ दिन सेट पर न आएँ. उन्होंने बड़े अजीब तरीके से मुझे देखा और कहा कि अगर निर्देशक ही सेट पर नहीं आएगा तो शूटिंग कैसे होगी.

    मैने कहा पापा से कहा कि आप अलग कमरे में जाएँ, वहाँ वीडियो मॉनिटर है, आप माइक से मुझे निर्देश दें. तीसरे दिन वो मेरे पास आए और कहा कि हरमन अगर तुम बुरा न मानो तो मैं अपनी फ़िल्म के सेट पर आ सकता हूँ. मैं हँसा और कहा हाँ अब आप आ सकते हैं. बाद में तो इतना अच्छा तालमेल हो गया था कि हम लोग साइन लैंग्वेज में बात कर सकते थे.

    आपके पिता हैरी बवेजा फ़िल्म के निर्देशक हैरी हैं, घर के दूसरे लोग भी जुड़े हुए हैं. इसलिए ये फ़िल्म और भी ख़ास होगी.

    मेरी मम्मी इस फ़िल्म की निर्माता हैं, पापा निर्देशक हैं, बहन चीफ़ सहायक निर्देशक हैं और मैं फ़िल्म का हीरो. तो ये वाकई ‘होम प्रोडक्शन है. हमारे लिए तो फ़िल्म पर काम जैसे ख़त्म ही नहीं हुआ.

    पिछले तीन सालों से हमने दिन-रात इस फ़िल्म पर काम किया है. शूटिंग ख़त्म होती थी तो घर पर चर्चा शुरू हो जाती थी- डिनर टेबल पर, सोने से पहले, सुबह उठते ही 2050 पर बात होने लगती थी. जो हमारे परिवार को जानता था वो यही कहता था कि तुम लोगों ने अभी से 2050 में जीना शुरु कर दिया है. ये फ़िल्म हमारे लिए एक जुनून की तरह हो गई थी. ज़ाहिर है फ़िल्म ख़ास है मेरे लिए क्योंकि मेरा परिवार इससे जुड़ा हुआ है.

    फ़िल्म में आप टाइम मशीन में बैठकर 2050 में जाते हैं. असल ज़िंदगी में टाइम मशीन में बैठने का मौका मिले तो कहाँ और किसके साथ जाना चाहेंगे.

    मेरा जवाब इमोशनल सा है. मैं टाइम मशीन में बैठकर अतीत में जाना चाहूंगा. जब मैं पैदा हुआ था तो मेरे दादाजी और नानाजी दोनों गुज़र चुके थे. मैने दोनों को कभी नहीं देखा पर उनके बारे में सुना बहुत है. मैं चाहता हूँ कि उस टाइम ज़ोन में चला जाउँ जहाँ मैं उनको देख सकूँ. देखूँ तो सही कि मेरे वशंज कैसे थे. मम्मी-पापा को भी साथ ले जाउँगा, वो भी खुश हो जाएँगे.

    आम तौर पर फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद लोग उसे देखते हैं और अभिनेताओं का फ़ैनबेस बनता हैं, आपके तो अभी से बहुत सारे फ़ैन बन गए हैं. आइफ़ा में आपके कई फ़ैन्स थे. इंटरनेट पर मैं कई सोशल नेटवर्किंग साइट देख रही थी तो वहाँ भी कई कम्यूनिटी बनी हुई है आपने नाम से- हरमन डाइहार्ड फ़ैन्स, हरमन द राइज़िंग स्टार..

    ये पॉज़िटिव फ़िलिंग है, उत्साह बढ़ता है. आप बता रही हैं तो मैं साथ-साथ में प्रिंट आउट देख रहा हूँ. मुझे नहीं पता था कि ऐसा कुछ है.उम्मीद करता हूं कि फ़िल्म के रिलीज़ से पहले जितनी तारीफ़ मिली है, फ़िल्म के रिलीज़ के बाद भी मिले क्योंकि मैने बहुत मेहनत की है. उम्मीद करता हूँ कि लोगों को फ़िल्म पसंद आए.

    सिर्फ़ एक ही फ़िल्म के आधार पर आपको संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारिकर जैसे पाँच बड़े निर्देशक साइन कर चुके हैं.

    ये सब बड़े फ़िल्मकार हैं. जब ये किसी को साइन करते हैं तो बड़े से बड़े एक्टर पर भी दवाब आ जाता है. इन निर्देशकों ने मेरी पहली फ़िल्म का आधा घंटा देखा है. इन्हें कुछ तो पसंद आया होगा कि मुझे अपनी फ़िल्म में लिया है. मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं इतनी मेहनत करूँ कि इन्हें लगे कि हरमन को लेकर सही फ़ैसला किया है.

    इन पाँच फ़िल्मों के बारे में बताएँगे..

    विक्टरी क्रिकेटरों पर आधारित फ़िल्म है जिसे अजीतपाल बना रहे हैं. अनीस बज़्मी के साथ एक फ़िल्म है जो दक्षिण भारतीय फ़िल्म की रीमेक है. आशुतोष गोवारिकर की फ़िल्म वाट्स यूअर राशी में मैं प्रियंका के साथ हूँ. संजय लीला भंसाली की फ़िल्म चेनाव गांधी है जिसमें अमिताभ बच्चन भी हैं. इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूँ. संजय लीला भंसाली और अमित जी के साथ काम करने का मेरा सपना था.

    अफ़वाहों, लिंक अप जैसी चीज़ों का सामना करना पड़ता है आप जैसे लोगों को. आपको और प्रियंका को लेकर कई तरह की बातें करते हैं लोग, आपकी तुलना बार-बार ऋतिक से हुई. इन सब से कैसे निपटते हैं आप.

    कभी-कभी इतना लिखा जाता है आपके बारे में कि आप रिएक्ट करना शुरु कर देते हैं. ईमानदारी से कहूँ तो इन चीज़ें का मुझ पर असर पड़ जाता था. अब शायद एक ही घंटे के लिए फ़र्क पड़ता है. परिपक्व हो रहा हूँ. शायद एक साल बाद एक मिनट के लिए ही असर करे. लेकिन फ़र्क ज़रूर पड़ता है इससे इनकार नहीं करुँगा, आख़िर इंसान हूँ
    एक बिंदु आ जाता है जब आपको लगता है कि इतनी सारी चीज़ों पर प्रतिक्रिया देने लगें तो आधा दिन उसका वहीं निकल जाएगा. क्योंकि कभी-कभी इतना लिखा जाता है आपके बारे में कि आप रिएक्ट करना शुरु कर देते हैं. ईमानदारी से कहूँ तो इन चीज़ें का मुझ पर असर पड़ जाता था. अब शायद एक ही घंटे के लिए फ़र्क पड़ता है. परिपक्व हो रहा हूँ. शायद एक साल बाद एक मिनट के लिए ही असर करे. लेकिन फ़र्क ज़रूर पड़ता है इससे इनकार नहीं करुँगा, आख़िर इंसान हूँ.

    लव स्टोरी 2050 की बात करें दोबारा तो प्रियंका के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा.

    प्रियंका यूँ तो बड़ी स्टार हैं, बड़ी-बड़ी हिट फ़िल्में दी हैं लेकिन सेट पर एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि कोई बड़ा स्टार काम कर रहा है. हमारी फ़ैमिली में उन्होंने अपने आप को शामिल कर लिया. इससे हम सब को बहुत मदद मिली.

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