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    'मसाला हिन्दी फ़िल्में-ना बाबा ना'

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    'मसाला हिन्दी फ़िल्में-ना बाबा ना'

    ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ से चर्चा में आईं अभिनेत्री फ़्रीडा पिंटो को हिन्दी फ़िल्में मनोरंजक लगती हैं लेकिन उनमें काम करने से उन्हे परहेज़ है. बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में फ़्रीडा ने कहा कि ‘हिन्दी फ़िल्में मेरा भरपूर मनोरंजन करती हैं लेकिन मसाला फ़िल्मों का हिस्सा बनने का मेरा कोई इरादा नहीं है’.

    हाल ही में उनकी दो फ़िल्में, ‘मिराल’ और ‘यू विल मीट अ टॉल डार्क स्ट्रेंजर’, टोरंटो फ़िल्म फ़ेस्टीवल में प्रदर्शित की गई.

    फ़्रीडा कहती हैं कि ‘लीक पर चलना या परंपरागत किरदार निभाना बहुत आसान है’ लेकिन वो चाहती हैं कि उनका हर किरदार बिल्कुल जुदा हो. यही कारण है कि वो फ़िल्में बहुत सोच समझकर ही चुनती हैं.

    स्लमडॉग मिलिनेयर को मिली अपार सफलता ने फ़्रीडा को रातों-रात चर्चा में ला दिया. हालांकि फ़्रीडा कहते हैं कि ‘इस सफलता का दबाव बहुत ज़्यादा था.जब सबकी निगाहें आप पर टिकीं हों तो दबाव महसूस करना लाज़मी है’.

    फ़्रीडा ने इस दबाव को कैसे झेला इस सवाल के जवाब में वो कहती हैं कि ‘मैने ख़ुद को दूसरी फ़िल्मों में व्यस्त कर लिया. मैने ख़ुद को इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि हमेशा सफलता के सुनहरे दिन नहीं रहेंगे, कभी ना कभी आलोचना भी झेलनी होगी’.

    आज पूरी दुनिया फ़्रीडा पिंटो को पहचानती है और फ़्रीडा इसे अपनी ख़ुश्क़िस्मती बताते हुए कहती हैं कि ‘अगर आप सही हैं तो आपके साथ हमेशा सही होता है. मैं हमेशा से जानती थी मैं जब भी कुछ करूंगी वो बहुत बड़े पैमाने पर होगा और वही हुआ’.

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