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ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का संगम : पठानकोट
रज़ा ने देखीं अपनी नक़ली पेंटिंग्स
एसएच रज़ा दिल्ली में लगी एक कला प्रदर्शनी का उदघाटन करने गए थे.
धूमीमल आर्ट गैलरी ने रज़ा के नक़ली पेंटिंग के बारे में बताने के तुरंत बाद ही प्रदर्शनी को बंद कर दिया.
गैलरी का कहना है कि उन्हें कलाकार के परिवार की ओर से ही ये पेंटिंग्स मिली थीं.
कला विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल ज़्यादातर नामी कलाकारों के नाम पर नक़ली कलाकृतियों का धंधा खूब फलफूल रहा है.
क़ानूनी कार्रवाई
जानेमाने कलाकार और 86 वर्षीय रज़ा ने कहा कि जब वे शनिवार को आर्ट गैलरी पहुँचे तो उन्होंने पाया कि वहाँ अनेक पेटिंग्स नक़ली थीं.
मैं इतना निराश हुआ हूँ कि इससे निकल नहीं पा रहा हूँ एसएच रज़ा
मैं इतना निराश हुआ हूँ कि इससे निकल नहीं पा रहा हूँ |
रज़ा ने मेल टुडे समाचारपत्र में लिखा है, " अपनी ज़िंदगी के इस पड़ाव पर, यही अंतिम बात थी जिसे मैं करना चाहता- अपनी ही नक़ली कलाकृतियों की प्रदर्शनी की शान बढ़ाना. मैं इतना निराश हुआ हूँ कि इससे निकल नहीं पा रहा हूँ."
उन्होंने कहा कि उन्हें उनके मित्रों ने क़ानूनी कार्रवाई करने की सलाह दी है लेकिन वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने लिखा है, " इससे पता लगता है कि भारतीय कला कितनी दयनीय स्थिति में है. हमें यह पता लगाना होगा कि यह कैसे हुआ."
क़रीब 70 साल पुरानी गैलरी की मालिक उमा रवि जैन ने बीबीसी को बताया कि रज़ा की वे कलाकृतियां उनके भतीजे से ही प्राप्त हुई हैं.
उन्होंने कहा, "गैलरी में प्रदर्शित कुल 30 अलग अलग कलाकृतियों में से सिर्फ़ दो ही हमारे अपने संग्रह से थीं."
वास्तविक नकली
उमा रवि जैन ने कहा, "बाकी सारी कलाकृतियाँ रज़ा के परिवार से ही प्राप्त हुई थीं, इसलिए हम उनकी असलियत पर कोई संदेह नहीं कर सकते थे. यह ऐसा पहला मौक़ा है जब हमें इस तरह का अनुभव हुआ है."
रज़ा के साथ प्रदर्शनी में जाने वाले उनके एक दोस्त ने कहा कि वे कलाकृतियाँ नक़ली थीं.
इससे पता लगता है कि भारतीय कला कितनी दयनीय स्थिति में है. हमें यह पता लगाना होगा कि यह कैसे हुआ उमा रवि जैन, गैलरी की मालिक
इससे पता लगता है कि भारतीय कला कितनी दयनीय स्थिति में है. हमें यह पता लगाना होगा कि यह कैसे हुआ |
लेखक अशोक वाजपेयी ने मेल टुडे से कहा, "अगर आपके पास असली कलाकृति है और आप उसकी नक़ल तैयार कर लेते हैं तो भी आप उनके स्टाइल को बनाए रख रहे हैं. लेकिन जब आप ऐसी कलाकृतियाँ बना रहे हैं जो उससे बिलकुल अलग है जिसके लिए कलाकार जाना जाता है और फिर उसे कलाकार के हस्ताक्षर के साथ लगा दिया जाता है तो वह सच में नक़ली हैं."
दुनिया भर में रज़ा की कलाकृतियाँ बड़ी गैलरियों पर रिकॉर्ड दामों में बिकती हैं. रज़ा आजकल फ़्रांस में रहते और काम करते हैं.
गैलरी की मालिक ने माना कि भारत के उभरते कला बाज़ार के लिए नक़ली कलाकृतियाँ एक बड़ी समस्या बन गई हैं.
उन्होंने कहा, "आजकल बाज़ार में बहुत सी नक़ली कलाकृतियाँ है जो एक बड़ी समस्या है."