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    बॉलीवुड में ‘सीक्वल्स’ की बाढ़

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    बॉलीवुड में ‘सीक्वल्स’ की बाढ़

    ऋचा शर्मा

    बीबीसी संवाददाता

    ‘यमला पगला दीवाना’ के प्रोमो को लोग इंटरनेट पर बड़ी संख्या में पसंद कर रहे हैं.

    ‘मुन्ना भाई’ और ‘गोलमाल’ जैसी फ़िल्मों को बढ़िया प्रतिक्रिया मिलने के बाद निर्माता-निर्देशकों ने इनके सीक्वल बनाने की सोची लेकिन आजकल बॉलीवुड के एक नए ट्रैंड के चलते फ़िल्मकार फ़िल्म के रिलीज़ होने से पहले ही इसके सीक्वल का मन बना लेते हैं.

    धर्मेंद्र, सनी और बॉबी देओल की नई फ़िल्म ‘यमला पगला दीवाना’ यूं तो 14 जनवरी को रिलीज़ हो रही है लेकिन उसके प्रोमो को लोग इंटरनेट पर बड़ी संख्या में पसंद कर रहे हैं.

    सनी देओल का कहना है कि अगर प्रोमो की तरह फ़िल्म को भी दर्शकों ने पसंद किया तो वो इसका दूसरा भाग ज़रुर बनाएंगे.

    उन्होंने बताया, ‘इस फ़िल्म की कहानी के साथ-साथ इसके किरदार भी बहुत दिलचस्प हैं. ये किरदार इतने मनोरंजक हैं कि अगर इन्हें अलग-अलग ढंग से पेश किया जाए तो ये दर्शकों को ज़रुर पसंद आएंगे. मुझे पूरा यक़ीन की इस फ़िल्म को बढ़िया प्रतीक्रिया मिलेगी और उसके बाद हम इसके दूसरे भाग पर काम करेंगे.’

    वहीं फ़रहा ख़ान के निर्देशन में बनी ‘तीस मार ख़ान’ के रिलीज़ से पहले ही इसके सीक्वल की पुष्टि की जा चुकी है.

    अक्षय कुमार और कटरीना कैफ़ अभिनीत इस फ़िल्म की कहानी को फ़रहा ख़ान के पति शिरीष कुंदर ने लिखा है. शिरीष ने बताया कि फ़िल्म ‘तीस मार ख़ान’ को बनाने से पहले ही इसके सीक्वल बनाने का फ़ैसला हो गया था.

    शीरिष ने आगे बताया, ‘जिस तरह हॉलीवुड में ‘पिंक पैंथर’ और ‘ऑस्टिन पावर’ जैसी सीरिज़ बहुत लोकप्रिय हैं उसी तरह हमने भी शुरुआत से ही ‘तीस मार ख़ान’ सीरिज़ की योजना बनाई थी. ये पहले से ही तय था कि हम किसी एक किरदार पर आधारित फ़िल्म बनाएंगे और हर फ़िल्म में इसे नए रुप में पेश करेंगे.’

    फ़िल्मों के सीक्वल बनाने के इस बढ़ते चलन में ‘वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई’, ‘दबंग’, ‘गोलमाल’, जैसी नई फ़िल्में शामिल हैं. जहां ‘मुन्ना भाई’, ‘धूम’ और ‘गोलमाल’ जैसी फ़िल्मों के सीक्वल भी कामयाब रहे वहीं ‘सरकार’ और ‘हेरा फेरी’ जैसी फ़िल्मों के दूसरे भाग दर्शकों को लुभाने में चूक गए.

    जानी-मानी फ़िल्म समीक्षक इंदू मिरानी का कहना कि फ़िल्म की रिलीज़ से पहले ही इनके सीक्वल बनाने का फ़ैसला लेना ठीक नहीं है.

    उनका मानना है, ‘फ़िल्म का बॉक्स-ऑफ़िस पर क्या नतीजा रहा उसके आधार पर ही ये फ़ैसला होना चाहिए की उसका सीक्वल बने या ना बने. साथ ही फ़िल्मकारों को ध्यान देना चाहिए कि किरदार भले ही पुराने हों लेकिन नए ढंग से पेश करे जाएं.’

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