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बॉलीवुड के पास कहानियों का टोटा : जॉन
मासाला मनोरंजन फिल्मों के बीच गैर परंपरागत और तर्कसंगत फिल्मों का प्रसार कर रहे अभिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम का मानाना है कि बॉलीवुड में इस समय तर्कसंगत कहानियों की कमी है। जॉन ने एक साक्षात्कार के दौरान आईएएनएस से कहा, "हमारे पास कहानियों की कमी है। हम पांच हास्य दृश्यों के साथ पांच गाने डाल देते हैं और कहते हैं, यह पूरी हो गई।"
40 वर्षीय जॉन इस बात को लेकर खुश हैं कि वह दर्शकों को 'मद्रास कैफे' और 'विकी डोनर' जैसी फिल्में दे पाए। जॉन निर्माता बनकर काफी खुश है। वह कहते हैं, "मुझे निर्माता का काम पसंद है क्योंकि मैं उस तरह की फिल्में बनाता हूं जैसी बनाना चाहता हूं। मैं तर्कसंगत फिल्में बनाता हूं। मुझे लगता है कि 'विकी डोनर' और 'मद्रास कैफे" का उदाहरण पर्याप्त है कि मैं कैसी फिल्में चाहता हूं।"
एक दशक से फिल्म जगत में काम कर रहे जॉन चाहते हैं कि बॉलीवुड में तर्कसंगत फिल्में बनें। उन्होंने कहा, "एक निर्माता और अभिनेता के तौर पर मैं कहना चाहूंगा कि तर्कसंगत फिल्में बनाएं, दर्शक उन्हें पसंद करेंगे। मैं दर्शकों को शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि उन्होंने 'मद्रास कैफे' जैसी फिल्म को स्वीकार किया।"
अब जॉन हालांकि मासाला फिल्में बनाने को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा, "मैं मसाला फिल्म बनाना पसंद करता हूं और ऐसी हास्य फिल्म बनाऊंगा जिससे सही मायने में आपका मनोरंजन होगा।" उन्होंने कहा, "दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए व्यावसायिक फिल्मों का हिस्सा होना जरूरी है।"
उन्होंने कहा, "दिन के अंत में लोग हंसना चाहते हैं। लेकिन अगर मैं 'रेस 2', 'हाउसफुल 2' 'दोस्ताना 2' या 'वेलकम बैक' जैसी हास्य फिल्में कर रहा हूं तो मैं निश्चित रूप से 'मद्रास कैफे' जैसी एक गंभीर फिल्म भी बनाऊंगा। जॉन ने कहा, "जॉन अब्राहम मिलीजुली फिल्मों के लिए जाना जाता है। अगर मैं 'न्यूयॉर्क' करता हूं तो 'काबुल एक्सप्रेस' भी करूंगा। संतुलन रखना जरूरी है।"
जॉन के मुताबिक, फिल्म में कहानी मुख्य चीज है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अच्छी कहानी ही आपको सम्मान दे सकती है। व्यावसायिक होना उपउत्पाद है, आप पैसा कमाएंगे लेकिन अच्छी कहानी से ही आपको सम्मान मिलेगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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