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    क्या सोचती हैं फ़िल्मी हस्तियाँ

    By Staff
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    क्या सोचती हैं फ़िल्मी हस्तियाँ

    मुंबई में हुए चरमपंथी हमले को एक साल हो गया है. इस हादसे ने कई लोगों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी है. बीबीसी ने हिंदी फ़िल्म जगत के कुछ कलाकारों से बात की और उनसे इस विषय पर विचार लिए

    मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारी फिल्म दे दना दन की शूटिंग भी पिछले साल इसी दिन शुरु हुई थी. जब ये हादसा हुआ तो हमारे निर्देशक प्रियदर्शन जी ने कहा कि हमें काम बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि हमें हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि चरमपंथी चाहते ही यही हैं कि हमारा काम रुके,हमारी अर्थव्यवस्था पर असर हो.पूरे एक साल बाद ये फिल्म बनकर तैयार हो चुकी है और इस घटना के एक साल पूरा होने के ठीक एक दिन बाद रिलिज हो रही है. मैं आपको बताऊं कि जिस दिन ये घटना घटी उसी दिन मेरी पत्नी ट्विंकल ताज होटल में शाम 6 बजे तक थीं. मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं जब घर पहुंचा तो वो सो रहीं थीं और मैं काफी तनाव में था, कुछ भी हादसा हो सकता था, मेरी किस्मत अच्छी थी,लेकिन कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने लोगों इस हादसे में को खोया है और ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.इन सबके बावजूद मुंबई शहर के जज़्बे में कोई फर्क़ नहीं आया और हमने दिखा दिया कि कुछ भी हो जाए मुंबई रुकने वाली नहीं है.ये बात मैं हिंदुस्तान के बारे में भी बड़े गर्व से कह सकता हूं.

    ये बहुत दर्दनाक हादसा था और मुझे लगता है कि इससे जो एक बात अच्छी निकलकर आई है वो ये कि लोग एकजुट हुए और एक दूसरे के नजदीक आए.एक दूसरे के हाथ को पकड़कर सहारा देने की बात हमें देखने को मिली,हमारी सुरक्षा एजेंसिंयों की बहादुरी देखने को मिली,हमारी मुंबई पुलिस की बहादुरी देखने को मिली.इस मौके पर हमें अपनी कमियों का भी पता चला,सुरक्षा को लेकर कमियों का पता चला,हमने देखा कि कैसे हमारी सरकार सुरक्षा को लेकर और चौकन्ना हो सकती है.दुर्भाग्य से आजकल की दुनिया में हम हर जगह देखते हैं कि कुछ समूह हैं जो इस तरह की आतंकी गतिविधियां करते हैं और हमें इसके साथ जीना पड़ता है

    मैं भी यही कहना चाहूंगी कि जिन लोगों ने भी पिछले साल 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमलों में जिन लोगों ने भी अपने परिवारजनों को खोया है,मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं और मैं दुआ करती हूं कि भगवान मरने वालों की आत्मा को शांति दे साथ ही इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना दोबारा न हो.

    मैं और करीना उन दिनों शूटिंग के सिलसिले में फिलाल्डेफिया में थे और मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैंने वहां के अखबार में इसके बारे में लिखा था.मेरी यही प्रतिक्रिया थी कि मुंबई हमारा शहर है,इसी शहर में हम जन्मे और पले बढ़े हैं.पिछले साल जो भी हुआ वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था.मेरी सारी संवेदनाएँ उन परिवारों के प्रति हैं जिन्होंने इस घटना में अपनों को खोया है और मैं यही दुआ करता हूं कि इस तरह की घटना दोबारा कभी न हो..

    पूरे भारत की तरह मुंबई शहर के जज़्बे का जवाब नहीं. 26/11 से पहले 1993 में हुए बम धमाकों में भी हमें ये जज़्बा देखने को मिला था.26 नवंबर के हमले के बाद हमें कई नई चीजें देखने को मिलीं जैसे कि किस तरह से अलग-अलग आवाज़ें उभरीं.चाहे वो लोग हों या मीडिया सबने एक स्वर में इन हमलों की निंदा की और इस शहर को आतंक से मुक्त रखने में सही कदम उठाने को लेकर अपनी आवाज़ें बुलंद कीं.

    जो हमारे साथ नहीं रहे भगवान उनकी आत्मा को शांति दे,जिन परिवारों ने अपनों को खोया है उनको हिम्मत दे और जिन लोगों ने ऐसी घिनौनी हरकत की है वो धरती पर न रहें

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