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मैं हमेशा से ऐसी फिल्में करना चाहती थी जो महिलाओं को सही तरीके से पेश करे करें' : भूमि पेडनेकर
फिल्मों में महिलाओं को सही तरीके पेश किया जाए, युवा बॉलीवुड स्टार भूमि पेडनेकर इस बात को सुनिश्चित करने के मिशन पर हैं। वह उन निर्देशकों की आभारी हैं जिनके साथ उन्होंने काम किया है क्योंकि वे सामाजिक बदलाव लाने के लिए समान विजन रखते हैं।
भूमि ने 2015 में समीक्षकों द्वारा खूब सराही गई फिल्म 'दम लगा के हईशा' में शानदार डेब्यू के साथ हिंदी सिनेमा में अपने सफर की शुरुआत की और तब से, टॉयलेट: एक प्रेम कथा, सोन चिड़िया, शुभ मंगल सावधान, बाला और सांड की आंख जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से सबको चौंका दिया। इन सभी फिल्मों में लैंगिक समानता का एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश छिपा था।
भूमि कहती हैं, "मैं हमेशा से ही अपनी फिल्म च्वाइसेस को लेकर सुपर कॉन्फिडेंट रही हूं। मैं हमेशा से कुछ अलग और अनूठी फिल्में करना चाहती थी, खासकर ऐसी जो कोई सामाजिक संदेश छोड़ती हों और सबसे अहम बात, जो महिलाओं को सही तरीके से प्रस्तुत करें। एक महिला होने के नाते, मुझे लगता है कि ऐसी स्क्रिप्ट्स चुनना मेरी ड्यूटी है जो महिलाओं को पूरी गरिमा के साथ पेश करें। मुझे खुशी है कि मुझे मिले शानदार स्क्रिप्ट्स की वजह से मुझे ऐसे किरदारों को निभाने का मौका मिला है।"
वह कहती हैं, "मैं बेहद खुशकिस्मत हूं कि मुझे ऐसे निर्देशक मिले हैं, जिनके पास महिलाओं को अलग तरीके से प्रस्तुत करने का अद्भुत विजन था, जो समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। खुद को मिले सभी मौकों के लिए अपने आप को भाग्यशाली मानती हूं, जिन्होंने मुझे ऐसे किरदार निभाने के अवसर दिए जो खुद और समाज के लिए खड़े हुए। "
"मैं अपने किरदारों से गहराई तक जुड़ती हूं और शायद यही वजह रही कि लोगों ने भी उन्हें पसंद किया है। इसके लिए मैं अपने उन निर्देशकों और निर्माताओं की आभारी हूं, जिन्होंने मुझे पर्दे पर ऐसी आधुनिक भारतीय महिलाओं को रिप्रेजेंट करने के काबिल समझा।