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    आशा की कशिश

    By Staff
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    दिलकश और सुरीली आवाज़ की मालिक आशा भोसले आठ सितंबर को 76 साल की हो गईं.

    बॉलीवुड में पार्श्वगायन के अलावा भी आशा भोसले ने ग़ज़ल, भजन, पॉप, लोकगीत, क़व्वाली, रविंद्र संगीत जैसी संगीत की कई विधाओं में अपने हुनर का प्रदर्शन किया है.

    पुराने दिनों को याद करते हुए आशा भोसले कहतीं हैं. "मेरे जन्म दिन पर हर साल उषा खन्ना या जयकिशन हमेशा रेकॉर्डिंग रखते थे. और जब मैं स्टूडियो में पहुंचती थी तो सभी बर्थडे का गाना गाना शुरु कर देते थे".

    सफ़र

    आशा भोसले ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. जीवन भर अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ प्रतिस्पर्द्धा की चर्चा होती रही है.

    भोसले कहती हैं, "ज़िंदगी बड़ी ऊट-पटांग रही, कभी अच्छा, कभी बुरा. कभी नाम गया, कभी काम गया सब कुछ हुआ. लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी. और इसी वजह से आज मैं यहां तक पहुंची हूं".

    उन्होंने कहा कि 65 साल के करियर को जब वो पीछे मुड़ कर देखतीं हैं तो उन्हें लगता है कि बहुत कष्ट सहने के बावजूद भगवान ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.

    शौक

    आशा भोसले को हीरों से ख़ास लगाव है और वो कहतीं है कि औरत को बिना डायमंड्स के अच्छा नहीं लगता.

    उन्हें खाना बनाने का भी बड़ा शौक है और वो बड़े चाव से अपने बच्चों के लिए खाना बनातीं हैं. उन्होंने कहा, "मैंने खाना बनाना इसलिए शुरु किया ताकि मेरे बच्चों को खाना खाने के लिए घर से बाहर ना जाना पड़े".

    आशा भोसले ने अपने खाना बनाने के शौक को अपने तक ही नहीं रखा है. वो दुबई और कुवैत में ‘आशाज़’ के नाम से अपने रेस्त्रां भी चलाती हैं.

    मीठी आवाज़

    आशा भोसले की बहन उषा मंगेशकर कहती हैं कि आशा की आवाज़ में मिठास है और जैसा भी गाना उन्हें मिलता है वो उसे अपनी आवाज़ में ढाल लेती है.

    उषा मंगेशकर कहती हैं, "ऐसे कलाकार कम होते हैं जो गाने के अंदाज़ के मुताबिक अपनी आवाज़ को ढाल लें. फिर चाहे वो कैबरे हो, दुख भरा गीत हो या बच्चों के लिए गाना. या फिर हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती या कोई अन्य भाषा, उनका अपना ढंग है. उनके जैसा कोई नहीं".

    बचपन को याद करते हुए उषा मंगेशकर कहती हैं कि आशा स्कूल में काफ़ी हंगामा करतीं थीं लेकिन घर पर वो काम में मां का हाथ बंटाती थीं.

    उषा मंगेशकर कहती हैं कि जैसे कोई योद्धा रणभूमि में लड़ता है, आशा ने जीवन के साथ ऐसे ही जंग की है और जीत हासिल की है.

    प्रेरणा

    हिंदी फ़िल्मों के जाने-पहचाने पार्श्वगायक शान कहते हैं कि जब भी वो आशा भोसले से मिलते हैं तो उन्हें प्रेरणा मिलती है.

    शान कहते हैं, "‘वो हमेशा प्रोत्साहन देतीं रहतीं हैं, छोटी-सी मुलाक़ात में भी वो कुछ ऐसी सलाह दे डालती हैं, जो बहुत काम आती है".

    शान ने बीबीसी को बताया कि बहुत से संगीतकारों को तो इस बात से ही धन्य हो जाना चाहिए कि आशा जी उनके लिए गा रहीं हैं लेकिन इस के बावजूद वो हर ‘नोट’ के बारे में कंपोज़र से चर्चा करतीं हैं.

    शान आशा भोसले के काम के प्रति नज़रिए के क़ायल हैं.

    वो कहते हैं, "आशा जी अकसर कहती हैं कि उनके लिए हर गाना उनका ‘पहला और आख़िरी गाना’ हैं. ये कमाल का नज़रिया है. उनकी कला और उनके गुणों के बारे में कहने के लिए मैं बहुत छोटा हूं".

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