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अनुपम की जीवन-यात्रा
प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर अपने जीवन पर आधारित नाटक ‘कुछ भी हो सकता है’ के 200वें मंचन की तैयारी में लगे हैं. इस नाटक में अनुपम खेर के अलावा और कोई दूसरा कलाकार नहीं है.
नाटक का 200 वां मंचन आगामी रविवार यानि 3 जनवरी को मुंबई में किया जाएगा. इस नाटक का निर्देशन मशहूर थियेटर हस्ती फ़िरोज़ ख़ान ने किया है.
ये नाटक अनुपम खेर का शिमला से बॉलीवुड तक की यात्रा की कहानी कहता है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित खेर पिछले कुछ सालों से इस नाटक का मंचन कर रहे हैं जो एक तरह से उनकी थियेटर में वापसी है जहां उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी.
नाटक
इस नाटक के बारे में बात करते हुए अनुपम खेर कहते हैं, “नाकामयाबी आपके जीवन की सबसे मज़बूत चीज़ हो सकती है. और इस नाटक के केंद्र में भी संदेश है कि असफलता से डरना ग़लत है. ”
बहुमुखी प्रतिभा वाले इस अभिनेता ने ‘कुछ भी हो सकता है’ को देश के भीतर और बाहर कई जगहों पर प्रदर्शित किया है.
नाटक से एक तथ्य जो उभर कर आता है वो है कि ऐक्टर बनने की राह आसान नहीं है.
अनुपम खेर एक जाने-माने बॉलीवुड ऐक्टर हैं जिन्होंने सारांश जैसी फ़िल्मों के अलावा मुख्यधारा की हिंदी फ़िल्मों कुछ यादगार रोल किए हैं. हाल के वर्षों में उनकी फ़िल्में ‘खोसला का घोंषला’ और ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ काफ़ी सराही गईं हैं
यादें
बीते ज़माने को याद करते हुए अनुपम खेर कहते हैं कि सारांश उनके करियर का सबसे अहम मोड़ था.
खेर कहते हैं, “जब महेश भट्ट ने मुझे हटाकर सारांश में संजीव कुमार को ले लिया था तब मैंने उनके घर जाकर उनसे झगड़ा किया था. मैंने श्राप दिया था कि वो कभी अच्छी फ़िल्म नहीं बना सकोगे. उस श्राप के बाद भट्ट साहब ने मुझे वापस सांराश में ले लिया. और इस रोल मेरे जीवन को बदल दिया”
अनुपम खेर इस नाटक में अपने जीवन के कई अनछुए लम्हों से दर्शकों को अवगत करवाते हैं. खेर कहते हैं कि निर्देशक फ़िरोज़ ख़ान ने उनसे इस नाटक के पहले शो के वक़्त ही ये साफ़ कह दिया अब उन्हें हर शो में अपने जीवन के दुखद और सुखद लम्हें दोबारा जीने हैं.