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सोनू सूद ने बोला- कोरोना में भेजा लाखों लोगों को घर, ट्रेन कैंसल हुई हजारों लोग मेरे घर के बाहर खड़े थे
साल बदल गया है। सोनू सूद के नाम की चर्चा अभी भी वैसी है। 2021 में सोनू सूद को असली सुपरहीरो की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया है। वो भी पिछले साल कोरोना में प्रवासी मजदूरों से लेकर हर जरूरतमंदों तक अपनी मदद पहुंचाने के कारण।
सोनू सूद ने मीडिया के सामने भी हमेशा खुलकर अपना पक्ष रखा है और बताया है कि कैसे वह आने वाले समय में भी लोगों के लिए अपने हाथ बढ़ाते रहेंगे। हाल ही में एक चैनल में की गई लंबी बातचीत में सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों की पहली मदद करने से लेकर अभी तक का जो उनका पूरा सफर प्लानिंग रही है, उसका जिक्र किया है।
आज तक से की गई बातचीत में सोनू सूद ने बताया है कि साउथ और बॅालीवुड में कुछ फिल्में की तो मुझे लगा कि बहुत बड़ा काम कर लिया है। लेकिन पिछले 8 महीनों में मैंने जो किया तब अहसास हुआ कि असली डिस्कवरी विस्तार तो ये ही है।

करीब सवा सात लाख लोग
सोनू सूद ने बताया कि मैंने लोगों को बेंगलुरु पहले भेजा। यहां से मैंने शुरुआत की। इसके बाद करीब सवा सात लाख लोग मुझसे जुड़े। लोगों ने मुझसे अपनी परेशानी बताना शुरू किया।

47 डॅाक्टर्स मेरे साथ- सोनू सूद
अपनी प्रॅापर्टी गिरवी रखने पर सोनू सूद ने कोई जानकारी नहीं दी। लेकिन इतना बताया कि मैं लोगों की सर्जरी करवा रहा हूं। 1 महीने में मुझे हजार सर्जरी करवानी है। मैंने देशभर के डॅाक्टर्स से बात की। 47 डॅाक्टर्स मेरे साथ हैं। मैंने बोला कि गरीब की सर्जरी के पैसे आप मत लेना, हम फीस देंगे।

मुझे बोला गया सवाल उठेंगे- सोनू सूद
मैं एक फिल्म कर रहा हूं जिसका निर्देशन डॅाक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि लोग तुझ पर मदद करने पर सवाल उठायेंगे। तू आगे बढ़ते रहना। जो उंगलियां उठेंगी तुझे उससे पार होना है।

मेरी टीम के लोगों ने लगाया आरोप- सोनू सूद
एक किस्सा शेयर करते हुए सोनू सूद ने कहा कि शुरुआत में मेरी टीम के 5 लोगों ने मुझ पर आरोप भी लगाया। बोला कि आप अपने मतलब के लिए ये कर रहे हो। मैंने उन्हें अपनी टीम से जुड़ने के लिए बोला। उन्हें कुछ केस दिए। अब रोज सुबह सोकर उठता हूं तो उन लोगों का सॅारी मैसेज होता है - हमने आपको गलत समझा। जिंदगी भर माफी मांगते रहेंगे।

14 हजार के करीब स्टूडेंट फंसे हुए
मुझे विदेश से कई लोगों के मैसेज आए। किर्गिस्तान,कजाकिस्तान,जॅार्जिया, रूस, फिलिपीन्स से साढ़े 14 हजार के करीब स्टूडेंट फंसे हुए थे। एक बच्चे की मौत भी हो गई थी, तो उसके दोस्त घर पहुंच गए थे और होला कि बच्चों को वहां से निकालिए। मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे उन्हें ला सकता था।

ऐसे लाया विदेश से स्टूडेंट्स को- सोनू सूद
मैंने वहां के एम्बेसी से बात की तो मुझे बोला गया हो सकता है। भारत में मुझे बोला गया कि ये मुश्किल है। मैंने पेपर वर्क उन्हें लाकर दिया। इसमें 8 दिन लग गए। मैं इस दौरान बच्चों के साथ टच में था। पहली फ्लाइट में 180 स्टूडेंट्स किर्गिस्तान से आए थे। उसके बाद मैंने सारे देशों के एम्बेसडर और एम्बेसी से बात की, फिर मैं बच्चों को भारत वापस लेकर आया।

हर दिन 25 सर्जरी, जिम के बाहर लोग खड़े हो जाते हैं
मैं लोगों से सम्मान और ट्रॅाफी देने की बजाए डोनेशन देने के लिए बोलता हूं। मैं कहता हूं कि आप मुझे डॅाक्टर और नर्स दीजिए। मैं पेशेंट देता हूं आप सर्जरी करवा दीजिए। हम हर दिन 25 सर्जरी करा रहे हैं। लोग मुझे पैसे देने आते हैं तो मैं कहता हूं कि किसी की मदद कर दीजिए मुझे कुछ मच दीजिए। जिम के बाहर लोग अपनी रिपोर्ट लेकर खड़े होते हैं। जब मेरा जिम खत्म होता है तब तक 4 लोग अस्पताल में एडमिट हो जाते हैं।

ट्रेन कैंसल तो लोग मेरे घर के बाहर खड़े हो गए
एक दफा एक ट्रेन कैंसिल हो गई थी, घर के बाहर 2500 लोग खड़े थे। मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं। मैंने फिर बिहार के अधिकारियों से बात की। पेपरवर्क के लिए भाग दौड़ किया, फिर उन्हें उनके घर भेज पाया। 1.5 लाख से अधिक लोगों को घर भेजा है। 6700 लोगों को विदेश से लेकर आए हैं।
गौरतलब है कि आगे की प्लानिंग पर सोनू सूद ने बताया कि वह साल 2021 में लोगों का इलाज करवायेंगे। मां के नाम पर स्कालशिप शुरू की है। नौकली, इलाज और पढ़ाई पर उनका फोकस होगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मदद करना चाहता है तो वो आगे आएं।