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जिन्होंने दिया था 'बाबूभाई' और 'छोटा छतरी' जैसा किरदार
अभिनेता, निर्देशक और लेखक नीरज वोरा का गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया. वह कई महीनों से कोमा में थे.
अक्टूबर 2016 में दिल के दौरे और फिर ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्काघात) के बाद वह कोमा में चले गए थे.
नीरज को 'फिर हेराफेरी' और 'खिलाड़ी 420' जैसी फ़िल्मों के निर्देशक और 'अकेले हम अकेले तुम', 'बादशाह', 'आवारा पागल दीवाना', 'अजनबी', 'हेराफेरी' और 'फिर हेराफेरी' के लेखक के तौर पर याद किया जाएगा.
बतौर अभिनेता उन्होंने टीवी कार्यक्रम 'सर्कस' से शुरुआत की थी और उनकी पहली फ़िल्म थी 1984 में आई 'होली'.
'तीखे ह्यूमर के मालिक थे नीरज'
तब नीरज कॉलेज में पढ़ते थे, 'होली' के निर्देशक केतन मेहता उन्हीं दिनों से नीरज के दोस्त हैं.
केतन कहते हैं कि वो नीरज को बतौर अभिनेता, निर्देशक और लेखक याद करेंगे.
''उनका ह्यूमर बहुत तीखा, तेज़ और अनोखा था. वो दुनिया को अलग नज़र से देखते थे.''
'तय किया था कि मसखरापन नहीं लाएंगे'
नीरज के ख़ास दोस्तों में फिल्म 'हेराफेरी' के निर्देशक प्रियदर्शन भी रहे. दोनों की दोस्ती 1997 की फ़िल्म 'विरासत' के सेट पर हुई थी. प्रियदर्शन कहते हैं, ''हम दोनों के ख़यालात काफ़ी मिलते थे. वो हमेशा मुझसे कहते थे कि हिंदी फ़िल्मों में ह्यूमर की कमी है. उन्होंने ही मुझे कॉमेडी फ़िल्में बनाने का आइडिया दिया और 'हेराफेरी' बनी. हमने तय किया था कि हम फ़िल्मों में मसखरापन नहीं लाएंगे. मैं उन्हें एक बेहतरीन डायलॉग राइटर के तौर पर याद रखूंगा.''
'छोटा छतरी' भी उन्होंने ही लिखा था
बतौर राइटर नीरज ने कई कॉमिक किरदार लिखे. जॉनी लीवर उनके बारे में कहते हैं, ''नीरज का अंदाज़ ही अलग था. उनके लिखे हुए किरदार बेहतरीन ऑब्ज़र्वेशन का नतीजा रहे. फ़िल्म 'आवारा पागल दीवाना' में मेरा किरदार 'छोटा छतरी' उन्होंने ही लिखा था. लोग आज भी वो किरदार रिवाइंड कर करके देखते हैं.''
परेश रावल के लिए भी उन्होंने मज़ेदार किरदार लिखे. 'आवारा पागल दीवाना' में मणिलाल, हेराफेरी में 'बाबूभाई' जैसे उनके किरदार काफी पसंद किए गए.
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