Just In
- 3 hrs ago VIDEO: भगवान कृष्ण के सामने सीमा ने की अश्लीलता, वीडियो देख भड़के लोग बोले- कौन से कोठे पर...
- 4 hrs ago इस एक्टर ने उधार के कपड़े मांगकर की थी शूटिंग, 35 लाख में बनी फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर..
- 4 hrs ago बधाई हो! 64 की उम्र ने नीना गुप्ता ने रियल लाइफ में शेयर की प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज़, बोलीं- हमारे बच्चों का
- 5 hrs ago शादी का पहला कार्ड लेकर महादेव की नगरी पहुंची आरती, काशी विश्वनाथ मंदिर में लिया आशीर्वाद
Don't Miss!
- News संजय सिंह का दावा- विधायक अमानतुल्ला खान के खिलाफ ईडी गढ़ रही बेबुनियाद मामला, अरेस्ट करने की कर रही तैयारी
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Lifestyle जहरीले अंगूर खाने से बिगड़ सकती हैं तबीयत, एक्सपर्ट ने बताया खाने से पहले कैसे करें साफ
- Finance Quarter 4 Result: Bajaj और Infosys ने जारी किया चौथे क्वार्टर का रिजल्ट, दोनों को मिला है बंपर मुनाफा
- Technology डॉक्सिंग क्या होती है, क्या इसके लिए जेल जाना पड़ सकता है?
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Automobiles टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
कभी-कभी नहीं मिलते सही शब्द : गुलजार
मुम्बई, 11 फरवरी (आईएएनएस)। प्रख्यात गीतकार गुलजार बॉलीवुड में करीब पांच दशक गुजार चुके हैं और उनके 'मोरा गोरा रंग लई ले' से लेकर 'कजरा रे' तक के विविध मनोभावों वाले गीत बताते हैं कि वह कुछ भी लिख सकते हैं। वैसे 74 वर्षीय गुलजार कहते हैं कि शब्दों का चयन कभी-कभी उन्हें भी उलझाता है और कई बार उन्हें भी सही शब्द ढूंढ़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
गुलजार ने आईएएनएस से एक खास साक्षात्कार में कहा, "कभी-कभी शब्द समझ में नहीं आते, यह हर किसी के साथ होता है, आप कहीं अटक जाते हैं.. आपको सही शब्द नहीं मिलते हैं। आप जो लिखना चाहते हैं वह नहीं लिख पाते हैं। यह हर व्यवसाय का हिस्सा है और इसके बाद भी मैं कई दशकों से लिख रहा हूं, मेरे साथ अब भी कभी-कभी ऐसा होता है।"
सम्पूरन सिंह कालरा के रूप में जन्मे गुलजार प्रौद्योगिकी सम्पन्न इस युग में भी कागज पर लिखना ही पसंद करते हैं।
'राह पे रहते हैं', 'दो दीवाने इस शहर में', 'हजार राहें मुड़ के देखीं', 'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी' और 'मेरा कुछ सामान' जैसे दिल को छू लेने वाले खूबसूरत गीत लिखने वाले गुलजार ने 'कजरारे', 'बीड़ी जलइ ले' और नई फिल्म 'सात खून माफ' के 'डार्लिग.' जैसे आधुनिक और चुलबुले गीत भी लिखे हैं।
आज की जरूरत के मुताबिक लेखन शैली विकसित करने के सम्बंध में पद्मभूषण गुलजार कहते हैं, "यह एक कुम्हार की तरह है, जो कई तरह के बर्तन बना सकता है। इसी तरह यदि आप अपना काम जानते हैं तो आप कुछ भी लिख सकते हैं। शैली का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि आप एक शायर हैं तो आपको किसी भी विषय पर लिखने में सक्षम होना चाहिए, फिर चाहे वह कोई रोमांच से भरी कहानी हो या प्रेम कहानी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
-
Confirm: गर्लफ्रेंड से ब्रेक अप कर सीधे खतरों के खिलाड़ी में पहुंचा ये स्टार, नाम सुन हो जाएंगे हैरान
-
दूसरी शादी के बाद अरबाज खान ने उड़ाया मलाइका का मजाक बेटा अरहान भी हंसा! कही ऐसी बात
-
Kabir Singh में काम करके आजतक पछता रहा ये फेमस एक्टर, कहा- 'अपनी बीवी को भी नहीं दिखा सकता ये फिल्म'