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    पाकिस्तान में बर्बाद हुआ फिल्म उद्योग

    By Jaya Nigam
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    पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के लिए वर्ष 2010 सबसे बुरा साबित हुआ है। इस वर्ष देश में क्षेत्रीय फिल्मों सहित कुल 12 फिल्में ही बनी। इस वर्ष 12 में से सात फिल्में सितम्बर से नवम्बर महीने में ईद और अन्य धार्मिक मौकों पर प्रदर्शित की गईं।

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    समाचार पत्र 'एक्सप्रेस ट्रिब्युन' के मुताबिक इन 12 फिल्मों में केवल तीन फिल्मों का निर्माण उर्दू में हुआ है जबकि अन्य फिल्में पंजाबी में बनी हैं। भारत और पाकिस्तान के संयुक्त उद्यम के रूप में तैयार फिल्म 'विरसा' को मनोरंजन कर से मुक्त रखा गया। पश्चिमोत्तर खैबर पखतूनख्वा प्रांत में बोली जाने वाली पश्तो भाषा में एक भी फिल्म का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अलावा सिंधी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी फिल्में नहीं बनीं।

    रिपोर्ट के मुताबिक, "वर्ष के पहले छह महीनों में फिल्म उद्योग में करीब-करीब सूनापन रहा।" वहीं, वर्ष 2009 में केवल 14 फिल्में प्रदर्शित की गईं। जबकि वर्ष 2001 में 48 फिल्मों का निर्माण हुआ था। जानकार मानते हैं कि देश में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के चलते लोगों ने थियेटरों में जाना बंद कर दिया है। इसके अलावा मनोरंजन पसंद करने वाले लोग भारतीय फिल्मों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं, जिसका खासा असर पाकिस्तान के फिल्म उद्योग पर पड़ा है।

    English summary
    The Pakistan film industry witnessed its worst year with only 12 movies, in 2010.
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