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    आलोचनात्मक समीक्षा

    • विक्रांत रोणा एक अच्छे नोट पर शुरु होती है, इसका क्लाईमैक्स काफी दिलचस्प है.. लेकिन लगभग ढ़ाई घंटे लंबी यह कहानी बीच में काफी खिंची हुई लगती है। साथ ही कुछ व्यर्थ के किरदार और अनसुलझे दृश्य कहानी के प्रभाव को काफी कम कर देते हैं। किच्चा सुदीप के फैन हैं तो ये फिल्म बड़ी स्क्रीन पर जरूर देख सकते हैं।
    • इस फंतासी फिल्म को अगर ढंग से बनाया गया होता तो ये बच्चों और पारिवारिक दर्शकों के लिए एक कमाल की एडवेंचर फिल्म साबित हो सकती थी लेकिन सुदीप या कहें कि किच्चा सुदीप को चमकाने के चक्कर में फिल्म का असली रस बेस्वाद हो गया है।
     
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