आलोचनात्मक समीक्षा
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शशांक घोष की इस बात की तारीफ मिलनी चाहिए कि उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई जिसकी बॉलीवुड को काफी वक्त से जरूरत थी। इस फिल्म में सेक्स टॉक और कसमे वादे नहीं बल्कि उनकी लड़कियों को खास बनाता है कि उनके गलतियों के निशान और उन्हें गर्व से एक्सेप्ट करने की हिम्मत। सोसाइटी उन्हें 'पवित्र' तो नहीं बुलाएगी लेकिन सोसाइटी की ये सोच इन लड़िकयों को अपने दिल की करने से रोक नहीं पाएगी।