आलोचनात्मक समीक्षा
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सच, हमेशा सच दो लोगों से बनता है, पहला वो जिसमें सच बोलने की हिम्मत हो और दूसरा वो जिसमें सच सुनने की हिम्मत हो। सड़क 2 जब इस डायलॉग के साथ फिल्म का प्लॉट स्थापित करती है तो महेश भट्ट एक जाल बुनते हैं। लगता है कि ढोंगी बाबाओं का पर्दाफाश करने में ये फिल्म कोई ऐतिहासिक कदम उठाएगी। लेकिन बस आप उस सच के पर्दाफाश होने का इंतज़ार ही करते रह जाते हैं।