आलोचनात्मक समीक्षा
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गदर 2 के कंटेंट से ज्यादा उम्मीद बांधकर ना जाएं। हां, फिल्म में सनी देओल को देखना उत्साहित करता है, वो शुरु से अंत तक छाए हुए हैं। लेकिन परेशानी तब होती है, जब वो सीन में नहीं होते हैं, जो कि फिल्म का अच्छा खासा हिस्सा है। उनके अलावा फिल्म में कोई भी फैक्टर ऐसा नहीं है, जो 3 घंटों तक आपको बांधकर रख पाए।
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फिल्म को ‘गदर’ की सीक्वल का भार उठाने के साथ साथ अपने साथ ही रिलीज हुई ‘ओएमजी 2’ की सामयिक कहानी से भी मुकाबला करना है।
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