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    आलोचनात्मक समीक्षा

    • यदि आप रामायण को एक महाकाव्य के रूप में भक्ति भावना के साथ देखने की उत्साह रखते हैं तो ये फिल्म आपको निराश कर सकती है।
    • हिंदी में शरद केलकर की आवाज पर रिवर्ब लगाकर वह राम जैसा आभास तो गए, पर उनके शरीर सौष्ठव में न राम जैसा ओज है, न राम जैसा तेज और न ही राम जैसा प्रताप। वह पूरी फिल्म में ‘बाहुबली’ की तीसरा संस्करण ही ज्यादा नजर आए।
     
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