twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    टूट रही है भाषा की दीवार: कमल हासन

    By Staff
    |
    टूट रही है भाषा की दीवार: कमल हासन

    दर्शकों को इस बात से कोई ख़ास लेना-देना नहीं है कि ये फ़िल्में मूल रूप से किस भाषा में बनी थीं. इसलिए दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के हिंदी में रीमेक का प्रचलन बढ़ रहा है.

    यही वजह है कि उन्होंने अपनी फ़िल्म 'दशावतारम' भी हिंदी में 'दशावतार' नाम से बनाई है. पूरे नौ साल बाद वे किसी हिंदी फ़िल्म में नज़र आए हैं.

    कमल हासन बालीवुड शब्द के इस्तेमाल से यह कहते हुए बचते हैं कि ये बनावटी लगता है. इसकी जगह हिंदी फ़िल्म उद्योग कहना ज़्यादा उचित है. मूल तौर पर तमिल में बनी अपनी इस फ़िल्म के हिंदी संस्करण के प्रचार के लिए हाल में कोलकाता आए कमल हासन ने अपने कैरियर, फ़िल्मों की बदलती दुनिया और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर खुल कर बातचीत की. पेश हैं बातचीत के ख़ास हिस्से...

    हिंदी फिल्म में लंबे समय बाद नज़र आए हैं. कोई ख़ास वजह?

    कोई ख़ास वजह नहीं है. दरअसल, मुझे लंबे समय से बालीवुड में कोई ठीक परियोजना नहीं मिली. इसके अलावा दूसरी कुछ परियोजनाओँ में व्यस्त रहा. अब एक और हिंदी फ़िल्म की योजना है. उसकी स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है. कलाकारों के चयन का काम भी जल्दी ही शुरू होगा.

    दशावतारम को हिंदी में बनाने का ख़्याल कैसे आया?

    देखिए, फ़िल्मों में अब भाषा की दीवार लगभग टूट गई है. शिवाजी और गजनी जैसी फ़िल्मों को मिली कामयाबी ने यह मिथक तोड़ दिया है कि दूसरी भाषाओं की फ़िल्में हिंदी में उतनी कामयाब नहीं रहतीं.

    अब इस बात की कोई अहमियत नहीं रह गई है कि कोई फ़िल्म मूल रूप से किस भाषा में बनी है. अब विषय और तथ्य ज़्यादा अहम हो गये हैं. यही वजह है कि दक्षिण भारतीय भाषाओं की कई हिट फ़िल्मों के रीमेक संस्करणों ने अच्छी कामयाबी हासिल की है. कई फ़िल्में अभी रीमेक की क़तार में हैं.

    दशावतारम के तमिल और हिंदी संस्करण में क्या अंतर है?

    कोई ख़ास अंतर नहीं है. दोनों फ़िल्मों की स्क्रिप्ट एक है, सो काफ़ी हद तक समानताएं हैं. लेकिन चूंकि इनके दर्शक अलग-अलग भाषा के हैं इसलिए कहानी में थोड़ा बहुत बदलाव किया गया है. दशावतारम जहां दक्षिण भारत के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, वहीं दशावतारम हिन्दी दर्शकों के लिए है.

    कमल हसन जब आते हैं किसी नए अंदाज़ में होते हैं. उन्हें मल्यालम फ़िल्मों के लिए काफ़ी पुरस्कार मिल चुके हैं

    दशावतारम में दस अलग-अलग भूमिकाएं निभाने का अनुभव कैसा रहा?

    ये बेहद चुनौतीपूर्ण काम था. मैंने हमेशा अपने अभिनय में नयापन लाने का प्रयास किया है. संजीव कुमार ने बहुत पहले 'नया दिन नई रात' में नौ भूमिकाएं निभाई थी. उसके बाद ये पहला मौक़ा है जब किसी एक अभिनेता ने एक साथ इतनी भूमिकाएं निभाई हों.

    यह एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी थी. इसने मुझे अपने भीतर छिपे कलाकार को बाहर निकालने का मौक़ा तो दिया ही, इससे कई नए अनुभव भी हुए. फ़िल्म का सबसे मुश्किल हिस्सा दस अलग-अलग चरित्रों को विश्वसनीय तरीक़े से दर्शकों के सामने पेश करना था.

    दशावतारम की कहानी क्या है?

    पहले नाम से लोगों को लगा था कि शायद यह कोई धार्मिक फ़िल्म होगी जिसमें भगवान के दस अवतारों का ज़िक्र होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. यह आम आदमी की कहानी है. इसमें एक सामान्य इंसान के ही दस अलग-अलग रूपों की कहानी है. ये सभी रूप हमारे सामान्य जीवन के हिस्से हैं जिनका अक्सर हमसे पाला पड़ता है. इन सबकी ख़ासियत और चुनौतियां अलग-अलग हैं.

    क्या दक्षिण भारत के दूसरे फ़िल्मकारों की तर्ज़ पर आपकी भी राजनीति में आने की कोई योजना है?

    राजनीति और आस्था निहायत निजी मामले होते हैं. इनको सार्वजनिक करना उचित नहीं होता. लेकिन फ़िलहाल राजनीति में आने का मेरा कोई इरादा नहीं है.

    आगे की क्या योजना है?

    फ़िलहाल कुछ परियोजनाओं पर काम चल रहा है. मैं आतंकवाद पर आधारित चर्चित हिंदी फ़िल्म 'ए वेडनेसडे' को तमिल और तेलुगू में बना रहा हूं. अगले महीने से ही इसकी शूटिंग शुरू हो जाएगी. एक और हिंदी फ़िल्म में अभिनय की बात चल रही है.

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X