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    जिम्मी पार्टी अटेंड करके फिल्में नहीं पाना चाहता

    By Super
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    एक मंजे हुए कलाकार का खिताब पा चुके जिम्मी शेरगिल आज भी इंडस्ट्री में वह जगह नहीं बना पाए जिसके वह हकदार है. इस बात का मलाल न करते हुए फिल्म दर फिल्म अपने अभिनय से लोगों को अपना दीवाना बनाते जिम्मी बहुत जल्द आनंद राय की फिल्म “स्ट्रेंजर्स" में के के मेनन, सोनाली कुलकर्णी तथा नंदना सेन के साथ नज़र आएंगे.

    फिल्म “स्ट्रेंजर्स" के लिए कितने उत्साहित हैं आप ?
    बहुत उत्साहित हूं मैं. यह फिल्म मेरे जीवन के बेहतरीन फिल्मों में से एक है.

    इस फिल्म के बारे में अपने शब्दों में बताइए ?
    इस फिल्म को थ्रिलर का नाम दिया गया है मगर मैं इसे थ्रिलर नहीं कहूंगा. यह एक इंटेलिजेंट फिल्म है जो इंटेलिजेंट दर्शकों के लिए बनाई गई है. जिन्होंने कई रहस्यमयी तथा थ्रिलर फिल्में देखी हैं वह भी इसके रहस्य को नहीं जान पाएंगे. इस फिल्म की कहानी दो लोगों की है जो एक ट्रेन में सफर के दौरान एक दूसरे से मिलते हैं. उनमें से एक बहिर्मुखी हैं तो दूसरा अंतर्मुखी है. एक बहुत बोलता है सो उसे देखकर दूसरा भी उसके सामने थोडा सा खुल जाता है. जैसे जैसे उनकी बातचीत आगे बढती है वैसे वैसे कहानी अलग मोड लेती है. दोनों एक दूसरे से काफी खुल जाते हैं, उन्हें ऐसा लगता है एक दूसरे के लिए यह काफी दिलचस्प हैं सो वह अपनी बातचीत जारी रखते हैं. बातों ही बातों में दोनों फैंसला करते हैं कि जब हम दोनों ही अपनी बीवी तथा अपनी लव लाइफ से खुश नहीं है तो क्यों न उनकी हत्या कर दें. तुम मेरी बीवी को मार डालो और मैं तुम्हारी. इस तरह हम पर कोई शक भी नहीं करेगा क्योंकि यह लोगों की कल्पना से परे की बात होगी कि हम दोनों कभी ट्रेन में मिले हैं.

    इस फिल्म की विशेषता क्या है ?
    इस फिल्म की विशेषता यह है कि न सिर्फ इस फिल्म की कहानी दिलचस्प है बल्कि यह कल्पना से परे की कहानी है. थ्रिलर के गुणों के साथ इस फिल्म में ह्यूमर भी हैं. साथ ही इसका सस्पेंस इतना रोमांचकारी है कि इसे समझने के लिए दो बार फिल्म देखनी पडेगी. पहली बार में तो आप गेसिंग करने में लगे रहेंगे कि अभी ऐसा होगा मगर अरे यह तो कुछ और हो गया. मगर जब दूसरी बार आप फिल्म देखेंगी तो जान पाएंगी कि ऐसा क्यों हुआ था. हो सकता है कुछ दृश्य ऐसे भी हों जिन पर पहली बार आपने ध्यान ही न दिया हो. मुझे लगता है बेस्ट थ्रिलर फिल्म वही होती है जो दो बार देखने पर समझ में आए.

    आनंद राय की यह पहली फिल्म है उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
    आनंद एक बेहतर निर्देशक हैं यह बात उन्होंने अपनी पहली फिल्म से साबित कर दी. आनंद के शूट करने का तरीका बहुत अच्छा रहा. उन्होंने फिल्म में लोकेशन नहीं दिखाई है, लोकेशन में फिल्म बनाई है. जो ट्रेन इस फिल्म में दिखाई गई है वह अब बंद हो चुकी है. उसे कुछ घंटो के लिए म्यूज़ियम की तरह ऑपरेट किया जाता है. हमारे पास तीन दिन थे जिसमें हमें ट्रेन के पूरे सिक्वेंस शूट करने थे. आनंद ने इतनी जल्दी शूटिंग खत्म करवाया कि पता ही नहीं चला. जहां एक सीन में इतने ट्विस्ट और टर्न हो हमनें कुल चौबीस सीन किए. उन्होंने हर चीज़ पर काफी ध्यान दिया क्योंकि थ्रिलर फिल्मों में ज़रा सी भी गलती माफ नहीं होती.

    जब दो बेस्ट कलाकार साथ हो तों काफी दिक्कते पेश आती हैं के के मेनन और नंदना सेन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
    के के को मैं काफी पहले से जानता हूं. इससे पहले हमनें साथ में सिलसिले भी की थी. यह और बात है कि उसमें हमारा एक भी सीन साथ में नहीं था. के के को मैं ब्रिलिएंट एक्टर्स में से एक मानता हूं. इस फिल्म में दोनों एक्टर ऐसे होने चाहिए थे जो एक दूसरे को कॉम्प्लिमेंट करें लेकिन एक्टिंग या डायलॉग के अनुसार नहीं बल्कि फिल्म में दिखाए गए बातचीत के अनुसार. के के ने जो किरदार निभाए हैं उनके लिए वे एक्दम पर्फेक्ट थे. नंदना के साथ भी काम करके काफी अच्छा लगा. वे बहुत कम और गिनी चुनी हिदी फिल्में ही करती हैं सो मेरे लिए यही बहुत बडी बात है कि मैं उनके साथ हूं. साथ ही सोनाली के किरदार में भी कई उतार चढाव है जिन्हें सोनाली ने काफी खूबसूरती से निभाए हैं.

    आने वाली फिल्म “बी बी डी" में एक बार फिर के के मेनन तथा सोनाली कुलकर्णी के साथ नज़र आने वाले हैं ?
    जी हां. उनके अलावा मेरे साथ नसीरुद्दिन शाह और एक नए कलाकार हैं. इस फिल्म की शूटिंग खत्म हो चुकी है। इसमें काम करके बहुत अच्छा लगा. अंजन दत्ता ने मुझे जब इस फिल्म की कहानी सुनाई तभी मैंने यह फिल्म करने का फैसला कर लिया था. नसीर जी ने भी कहानी के कारण ही यह फिल्म साइन की. इसकी पूरी शूटिंग कलकत्ता शहर में हुई हैं. कुछ शूटिंग कलकत्ता की पूरानी बंद पडी स्टूडियो में भी की गई है. इस फिल्म में मैं बिनॉय की भूमिका निभा रहा हूं जो बंगाली है मगर उत्तर भारत से आकर एक्टर बन गया है. कलकत्ता में जब वह आता है तो उसके साथ कुछ ऐसा होता है जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होती है.

    फिल्म “एकलव्य" के बाद किसी और फिल्म में निगेटिव भूमिका निभा रहे हैं ?
    मैं अपने आपको कभी रोकता नहीं फिर वह चाहे कॉमेडी हो या विलेन हो. मैं ऐसी कोई फिल्म नहीं करना चाहता जो सिर्फ करने के लिए मैंने कर ली और उसमें मेरे काम को नोटिस ही नहीं किया गया. मगर खुशी की बात है कि दिलचस्प किरदार मेरे पास आते हैं जैसे राज कंवर के “रकिब" में मैंने एक दिलचस्प रोल निभाया था. उससे पहले मैंने कभी मेलो ड्रामा किया नहीं था. उसको करके मुझे बहुत मज़ा आया और लोगों ने भी काफी सराहा.

    “माचिस" से लेकर “स्ट्रेंजर्स" तक अपने आपमें कितना बदलाव पाते हैं ?
    देखिए जैसे जैसे हम फिल्में करते जाते हैं वैसे वैसे कई बदलाव हममें आते हैं. अब मुझमें अधिक आत्मविश्वास आ गया है. मैं समझता हूं मैं काफी लकि रहा हूं कि मुझे ऐसी फिल्में ही मिलती रही है जिनसे मेरी एक्टिंग में बहुत निखार आया. फिर वह चाहे “हासिल" हो, “मुन्नाभाई एम बी बी एस" हो, “यहां" हो या “बस एक पल" हो.

    क्या वजह है कि आप कमर्शियल फिल्मों से अधिक लीक से हटकर फिल्मों में नज़र आ रहे हैं ?
    ऐसी कोई बात नहीं है मेरी आनेवाली कमर्शियल फिल्मों में संजय गुप्ता की “दस कहानियां" है. इसमें एक फिल्म में दस कहानियां हैं जिसमें मेरी कहानी का नाम “हाई ऑन द हाईवे" है. मेरे अब तक का सबसे बेहतरीन किरदार निभाया है हालांकि इसकी शूटिंग हमनें सिर्फ तीन रातें की मगर हर शॉट के बाद मुझे ऐसा लगता था मुझे अभी चक्कर आ जाएगा. हालांकि इससे पहले मैंने कभी ऐसा किरदार नहीं निभाया था जो बहुत थका हुआ है वह क्या कर रहा है उसे खुद को पता नहीं चलता है. फिर भी उसमें एक अजीब एनर्जी है.

    क्या वजह है कि एक मंजे हुए कलाकार होने के बावजूद आपको वो जगह नहीं मिली जो आपको मिलनी चाहिए थी ?
    मुझे अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि जो मैं डिज़र्व करता था नहीं मिला. इसके लिए मैं यही कहता हूं कि मैं मीडिया में छाकर, दूसरों की पार्टी अटेंड करके या गेम खेलकर फिल्में नहीं पाना चाहता हूं. मैं चाहता हूं मेरी फिल्म चले और मुझे उस आधार पर फिल्में मिलें.

    आपने कहा था मौका मिले तो आप पंजाबी फिल्मों के साथ भोजपुरी फिल्में भी करना चाहेंगे ?
    नहीं अभी नहीं. यदि तिग्मांशु धूलिया जैसे अच्छे निर्देशक भोजपुरी फिल्म को निर्देशित करें तो मैं भोजपुरी फिल्म ज़रूर करूंगा. जहां तक पंजाबी फिल्मों की बात है एक पंजाबी होने के नाते यह मेरा फर्ज़ बनता है कि मैं पंजाबी फिल्में करूं. भोजपुरी फिल्मों के लिए ऐसी कोई बात नहीं हैं. यह और बात है कि मैं गोरखपुर में पैदा हुआ हूं और लखनऊ में मेरी पढाई लिखाई हुई है.

    अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में बताइए ?
    मेरी आने वाली फिल्मों में “बैचलर्स पार्टी", “दस कहानियां", “वेडनस्डे", “हंसते हंसते", “बी बी डी" तथा “मुंबई 11" मुख्य है. “बैचलर्स पार्टी" पूरी तरह से हार्ड कोर कॉमेडी फिल्म है. यह जनवरी माह में रिलीज़ होगी. इसके निर्देशक शान त्रिवेदी है, जिन्होंने “साढे सात फेरे" बनाई थी. यह इत्तिफाक है कि मेरी दो फिल्में “स्ट्रेंजर्स" और “दस कहानियां" एक ही दिन यानी कि सात दिसंबर को रिलीज़ होगी. “वेडनस्डे" फरवरी में रिलीज़ होगी. इसके बाद “हंसते हंसते" रिलीज़ होगी, यह रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है. इसके अलावा “मुंबई 11" सहारा की फिल्म है जिसमें ग्यारह अलग अलग निर्देशकों नें अलग अलग फिल्में की हैं. मैं राहुल ढोलकिया की फिल्म कर रहा हूं.

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