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    किरदार के साथ न्याय करना मेरी क्वालिटी है

    By Staff
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    1993 में विश्व सुंदरी के रूप में नज़र जाने वाली ऐश्वर्या राय बच्चन 15 सालों बाद 2008 में हिंदुस्तान की मल्लिका जोधा बाई के रूप में नज़र आने वाली हैं. इस फिल्म का इंतज़ार ऐश्वर्या के प्रशंसकों को ही नहीं बल्कि सारे भारत के दर्शकों को है. तो आइए विवाह के बाद दर्शकों के सामनें आने वाली ऐश्वर्या को पहले अपने पाठकों के सामने लाते हुए जानते हैं फिल्म 'जोधा अकबर" से जुडे उनके अनुभवों के बारे में.

    अब तक लोगों ने जो भी जोधा बाई के बारे में पढा है. क्या आपको लगता है कि आपने उनके किरदार के साथ न्याय किया है ?
    मैं यह नहीं कहती कि मैंने इस किरदार के साथ न्याय किया है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि मैंने आशुतोष की जोधा के साथ पूरा पूरा न्याय किया है और किसी भी किरदार के साथ न्याय करना मेरी हमेशा से क्वालिटी रही है.

    इससे पहले भी मैंने कई ऐसे किरदार निभाए हैं जिन्हें मैंने या लोगों ने किताबों में ही पढा है. सारे किरदार मैं संदर्भो पर निभाती हूं जो मुझे मिलते हैं क्योंकि एक कलाकार होने के नाते यह मेरा फर्ज़ है कि जो किरदार मेरे निर्देशक सेल्यूलाइड पर दिखाना चाहते हैं मैं वही करूं न कि अपने मन से कुछ भी करू.

    शादी के बाद आपकी यह पहली फिल्म है जिसे दर्शक देखेंगे. इस बारे में क्या कहना चाहेंगी ?
    यह बहुत दिलचस्प बात है. शायद आपको पता नहीं है कि यह फिल्म कब बननी शुरू हुई और कब समाप्त हुई. यह फिल्म मेरी शादी से पहले, शादी के दौरान और शादी के बाद तक बनती रही है. यानी कि इस फिल्म ने वह सारे पल संजोए हैं जिसमें कई यादगार पल भी हैं. हां यह सच है कि यह पहली फिल्म है जो मेरी शादी के बाद रिलीज़ हो रही है और इसलिए यह फिल्म मेरे लिए बहुत खास है.

    जोधा बाई के किरदार में ढलने के लिए ड्रेस अप और मेक अप करना कैसा लगा ?
    मुझसे अक्सर लोग और मीडिया पूछती है कि मेक अप करने में आपको इतना वक़्त लगता है तो मैं उनसे यही कहती हूं कि आप यह सोचिए कि हम पर कितना प्रेशर है. असली काम (एक्टिंग) शुरू होने से पहले भी हम अपने किरदार में जाने के लिए मेकअप करवाते वक़्त सहनशील होकर चुपचाप एक जगह बिना हिले डुले बैठे रहते हैं. यह मेहनत कैमरे के पीछे की है कैमरे के आगे और बडी चुनौती होती है जिससे हमें मुकाबला करना पडता है. मेक अप सिर्फ आपके सहनशक्ति का परिचायक ही नहीं बल्कि चेहरे को तरो ताज़ा करने का एक माध्यम भी है. अभिषेक इन सब बातों से वाकिफ हैं और इस बात के लिए वह मेरी काफी इज़्ज़त करते हैं.

    हमनें सुना है इस फिल्म में आपके वज़नदार गहनों ने आपको बहुत परेशान किया. इस बारे में कुछ बताइए ?
    दरअसल यह सवाल मुझसे हमेशा हर फिल्म के दौरान किया जाता रहा है. जी हां यह सच है कि इस बार के गहने कुछ ज़्यादा ही वज़नदार थे क्योंकि मुझे रॉयल परिवार की महारानी के रूप में दर्शाने के लिए इन गहनों की बहुत ज़रूरत है. फिलहाल मैं रॉयल परिवार की महिलाओं को हैट्स ऑफ करती हूं जिनमें इतनी सहनशक्ति थी कि वे हर रोज़ सुबह जल्दी उठकर भारी कपडों और वज़नी गहनों में तैयार हो जाती थी.

    जोधा बाई के किरदार में खुद को ढालने के लिए अपनी तरफ से कोई खास मेहनत की आपने ?
    कोई खास नहीं. यह किरदार कोई 'धूम 2" जैसा किरदार नहीं था जिसके लिए मुझे जिम में जाकर शारीरिक बनावट पर काम करना पडे. जैसा कि मैंने आपसे पहले भी कहा है कि आशुतोष जैसे निर्देशक के साथ काम करना मेरा सौभाग्य रहा क्योंकि मुझे इस किरदार के लिए अपनी तरफ से कोई मेहनत करनी ही नहीं पडी. आशुतोष ने मौखिक रूप से ही जोधा बाई का इतना खूबसूरत कैरेक्टर तैयार कर दिया कि मुझे कुछ खास करना ही नहीं पडा. मुझे खुशी है कि मेरे किरदार को आशुतोष ने गहनों के बीच दबा नहीं दिया और बिना कुछ अधिक किए मैंने उस जोधा बाई का किरदार निभाया जो ऐश्वर्या राय बच्चन से बहुत अलग है.

    अपने किरदार के लिए जोधा बाई के बारे में जो आपने पढा उसमें आपको क्या खास बात लगी ?
    आशुतोष जैसे निर्देशक के साथ काम करने का फायदा मेरे लिए यही रहा कि जोधा के किरदार के लिए उनका रिसर्च और उनका पैशन दोनों ही मेरे बहुत काम आया. उन्होंने इतना रिसर्च कर रखा था कि हमें किसी लाइब्रेरी में जाकर पुस्तक पढने या खुद उनके बारे में जानने की ज़रुरत नहीं पडी. उन्होंने बहुत खूबसूरती से हमें कैरेक्टर स्केच तैयार करके दिया जिसे मुझे पर्दे पर दर्शाना था. मुझे लगता है ऐसी फिल्मों में किरदार निभाने के लिए रिसर्च करने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है अपने निर्देशक की उम्मीदों पर खरा उतरना.

    व्यक्तिगत तौर पर आपको जोधा बाई में क्या खासियत नज़र आती है ?
    इसके लिए तो मुझे आपको काफी विस्तारपूर्वक बताना पडेगा. फिलहाल मैं यही कहूंगी कि आप यह फिल्म देखिए और फिर फैंसला कीजिए कि मुझे जोधा बाई मे क्या खासियत नज़र आई.

    हमनें सुना है एक सीन मे घुडसवारी के दौरान आपको काफी गुस्सैल दिखना था मगर घोडे की सवारी से आप इतना डरी हुई थी कि गुस्से के भाव के बजाय आपके चेहरे पर डर का भाव आ गया. अब उस सीन को टेक्नीकली ठीक किया जा रहा है. उस बारे में क्या कहना चाहेंगी ?
    देखिए हर सेक्शन में ऐसी बातें आम है. दरअसल बात यह है कि जब मैं इस सीन की शूटिंग के लिए आई तो मुझे आशुतोष ने बताया कि मुझे घुडसवारी करनी है. उससे पहले ही मैं अपनी अंग्रेज़ी फिल्म की शूटिंग से आई थी. इससे पहले न तो मैंने घुडसवारी की थी और न ही उसके लिए कोई ट्रेनिंग ली थी. आशुतोष ने जैसे कहा मैं वैसे ही घोडे पर चढ गई.

    मैं आपको यही कह सकती हूं कि उस सीन को मैंने खुद बहुत इंज़ॉय किया और अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश की. मैंने रेस कोर्स में जाकर कभी भी घुडसवारी नहीं सीखी मगर कुछ दिनों तक मैं हर सुबह सेट पर एक डेढ घंटा ज़रूर घुडसवारी करती थी जिससे मैं उस घोडे के साथ अपनी पहचान कायम कर सकूं जिस पर मुझे घुडसवारी करनी है. बाकि आप फिल्म देखेंगे तो खुद जान जाएंगे. मैंने न सिर्फ घुडसावारी को इंजॉय किया बल्कि एक्शन सीन को भी बहुत इंजॉय किया. जहां तक मेरे डरने की बात है तो मैं डरी नहीं थी हां थोडा अपना ख्याल रख रही थी, जिसमें कोई बुराई नहीं है.

    हमनें यह भी सुना है कि कुछ सीन बदल दिए गए हैं ?
    यह सवाल आप मेरे बजाय आशुतोष से पूछे तो बेहतर होगा क्योंकि फाइनल प्रोडक्ट अभी हमने भी नहीं देखा है. फिल्म जब बनती है तो उसके साथ कई कहानियां भी बन जाती है और हमारे पास इतन वक़्त नहीं रहता कि हम उन सब कहानियों को स्पष्ट करते रहे. कर्जत से मुंबई आने जाने में ही हमारा अधिक वक़्त निकल जाता था सो कितनी बातें तो मैं जानती भी नहीं.

    आपके ऐतिहासिक किरदारों में एक किरदार 'उमराव जान" का भी रहा. उस फिल्म को दर्शकों ने अधिक नहीं सराहा तो क्या इस फिल्म को लेकर कोई डर है ?
    जी हां जैसा कि अभी आपने कहा कि एक फिल्म की असफलता दूसरी को थोडा बहुत प्रभावित करती है. मगर अब दर्शकों ने वह फिल्म कितनी बार देखी यह हमें क्या पता. हम सिर्फ कुछ इंटर्व्यू और रिपोर्ट के आधार पर फिल्म की टी आर पी तय करते हैं. मुझे लगता है हर फिल्म विशेष होता है और हर किरदार विशेष होता है. अपनी फिल्म को हिट करने का एक मात्र फार्मूला है अपनी फिल्म के प्रति समर्पित रहना. बाकि सब दर्शकों पर निर्भर है.

    क्या यह सच है कि फिल्म की शूटिंग के दौरान आपके और ह्रितिक के बीच कुछ मनमुटाव चल रहा था ?
    (हंसते हुए) 'मनमुटाव" बहुत खूबसूरत शब्द है यह जो आज मैंने सीखा है. खैर, देखिए मेरी तरफ से तो ऐसी कोई बात नहीं थी और ह्रितिक क्या सोचते हैं यह मैं नहीं बता सकती. आप चाहें तो ह्रितिक या आशुतोष से पूछ सकती हैं. वैसे सेट पर किसी से झगडना मुझे बहुत बचकानी बात लगती है.

    इस फिल्म के अलावा आपकी आने वाली फिल्म 'सरकार राज" और 'द पिंक पैंथर" के बारे में कुछ बताइए ?
    फिलहाल मैं इस वक़्त इस फिल्म के बारे में बात करना चाहूंगी. अगली फिल्म के बारे में हम अगली बार बात करेंगे.

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