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मुझे अपने फैसले पर गर्व है
फिल्म
“मैं
हूं
ना"
के
बाद
लाइम
लाइट
में
आई
अमृता
राव
को
असली
पहचान
फिल्म
“विवाह"
से
मिली.
शालीन
लडकी
की
भूमिका
में
अमृता
को
न
सिर्फ
उत्तर
भारत
के
लोगों
ने
बल्कि
गुजरात
तथा
दूसरे
देश
के
लोगों
ने
भी
काफी
सराहा.
फिल्म
“विवाह"
के
बाद
ई.
निवास
की
फिल्म
“माय
नेम
इज़
एंथोनी
गोंसाल्विस"
अमृता
की
अगली
फिल्म
है.
दर्शकों
के
साथ
स्वयं
अमृता
इस
फिल्म
के
रिलीज़
होने
का
इंतज़ार
काफी
बेसब्री
से
कर
रही
हैं.
फिल्म
“माय
नेम
इज़
एंथोनी
गोंसाल्विस"
में
अपने
किरदार
के
बारे
में
बताइए
?
इस
फिल्म
में
मैं
रिया
नाम
की
एक
कैथोलिक
लडकी
की
भूमिका
निभा
रही
हूं.
जो
फिल्म
इंडस्ट्री
की
सबसे
बडी
महिला
फिल्मकार
के
यहां
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
के
रूप
में
काम
करती
हैं.
इस
फिल्म
में
मैं
आज
के
ज़माने
की
शहर
की
लडकी
हूं
जो
अपने
अच्छे
बुरे
का
फैसला
खुद
करती
है.
मगर
फिल्म
इंडस्ट्री
में
होने
के
बावजूद
उसके
व्यक्तित्व
में
काफी
शालीनता
है.
कपडे
भी
ग्लैमर
न
होकर
काफी
सिंपल
है.
मेरा
यह
किरदार
काल्पनिक
नहीं
बल्कि
उन्हीं
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
से
प्रेरित
है
जिन्हें
मैं
अक्सर
देखती
हूं.
मैं
आशा
करती
हूं
कि
मैं
उन्हें
निराश
नहीं
करूंगी.
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
के
होमवर्क
के
लिए
आपने
किस
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
से
अधिक
लेने
की
कोशिश
की
है
?
मैंने
इस
फिल्म
के
सेट
पर
ही
कई
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
को
ध्यान
से
देखा.
उनके
हाव
भाव
के
साथ
मैंने
यह
भी
देखा
कि
किस
तरह
वे
हमारी
छोटी
से
छोटी
चीज़ों
का
भी
ख्याल
रखते
हैं.
इस
सिलसिले
में
मुझे
फिल्म
“मैं
हूं
ना"
की
एक
घटना
याद
आ
रही
है.
मुझे
याद
है
फरहा
खान
ने
मुझे
इस
फिल्म
के
ऑडिशन
के
लिए
बुलाया
था,
जो
उन्होंने
शाहरूख
जी
के
ऑफिस
में
रखा
था.
मुझे
फरहा
ने
एक
सीन
दिया,
जिसमें
मैं
शाहरूख
जी
से
रोते
हुए
कहती
हूं
कि
मैं
अपने
पिता
से
बहुत
नफरत
करती
हूं
क्योंकि
उन्हें
बेटा
चाहिए
था.
वह
मुझे
पसंद
नहीं
करते.
इस
सीन
को
देकर
फरहा
जी
चली
गईं.
मैं
इतनी
उत्साहित
थी
कि
उनके
आने
से
पहले
उनके
एक
असिस्टेंट
डाइरेक्टर
जागृत
से
सीन
समझाने
को
कहा.
जागृत
को
भी
शायद
पहला
मौका
मिला
था
किसी
को
सीन
समझाने
का
उन्होंने
मुझे
वह
सीन
इतना
बखूबी
समझाया
कि
फरहा
को
दुबारा
मुझे
सीन
समझाने
की
ज़रूरत
ही
नहीं
पडी.
मैंने
वह
सीन
एक
शॉट
में
ओके
किया.
फरहा
ने
मुझसे
वह
सीन
दुबारा
करवाया
और
कहा
कि
तुम
हमारी
फिल्म
का
हिस्सा
बन
चुकी
हो.
मुझे लगता है किसी भी सीन को आसान बनाने में असिस्टेंट डाइरेक्टर की भूमिका बहुत अहम किरदार निभाती है.
एक
एक्टर
के
तौर
पर
निखिल
के
बारे
में
क्या
कहना
चाहेंगी
?
मेरे
ख्याल
से
निखिल
का
दूसरा
नाम
है
आत्मविश्वास.
वह
अपने
काम
के
प्रति
बहुत
वफादार
है.
यह
उनकी
अंदरुनी
इच्छा
थी
कि
वे
एक
दिन
रूपहले
पर्दे
पर
आए.
मुझे
खुशी
है
कि
उनका
सपना
सच
हो
रहा
है.
मैंने
काफी
फिल्में
की
हैं
मगर
निखिल
की
यह
पहली
फिल्म
है
जो
उसके
लिए
बहुत
मायने
रखती
है.
मेरी
ईश्वर
से
प्रार्थना
है
कि
यह
फिल्म
उसके
लिए
बेस्ट
लौंच
साबित
हो.
इस
फिल्म
में
मिथुन
चक्रवर्ती
भी
हैं.
उनके
बारे
में
क्या
कहना
चाहेंगी
?
मैं
बहुत
खुश
हूं
कि
वे
दुबारा
अभिनय
के
क्षेत्र
में
लौट
आए
हैं
और
हमारे
साथ
हैं.
हमारे
बॉलीवुड
को
आज
उन
एक्टर
की
ज़रूरत
है
जो
पूरी
परिपक्वता
से
अभिनय
की
गंभीरता
को
समझें.
अमिताभ
जी
के
बाद
मिथुन
जी
में
मुझे
यह
गुण
नज़र
आते
हैं.
सच
कहूं
तो
इस
फिल्म
की
असली
जान
मिथुन
जी
ही
हैं.
इस
फिल्म
में
मिथुन
जी
पाद्री
(फादर)
की
भूमिका
निभा
रहे
हैं.
यह
फिल्म
थ्रिलर
है.
एक
थ्रिलर
फिल्म
में
अपने
लिए
कितना
जगह
पाती
हैं
?
दरअसल
इस
फिल्म
के
दो
प्लॉट
हैं.
यह
दोनों
प्लॉट
एंथोनी
से
काफी
अच्छे
से
जुडे
हुए
हैं.
एक
प्लॉट
में
एंथोनी
हीरो
बनना
चाहता
है,
मुझसे
प्यार
करता
है
और
दूसरे
प्लॉट
में
एंथोनी
से
जुडे
लोग
है.
मेरे
अनुसार
यह
फिल्म
एक
नए
हीरो
को
लौंच
करने
के
लिए
सबसे
बेस्ट
फिल्म
है.
कहा
जा
रहा
है
कि
इस
फिल्म
के
प्रोमो
पिछली
फिल्म
“जॉनी
गद्दार"
से
काफी
मिलते
जुलते
हैं
?
“जॉनी
गद्दार"
का
प्रोमो
मैंने
भी
देखा
है.
इस
फिल्म
में
पिस्तौल,
मर्डर
मिस्ट्री
जैसी
कुछ
चीज़ें
हैं.
उससे
भी
अधिक
इस
फिल्म
का
बैकग्राउंड
काफी
डार्क
था.
मगर
इस
फिल्म
में
ऐसी
कोई
बात
नहीं
है.
इसमें
एक
साधारण
इंसान
के
असाधारण
सपनों
की
कहानी
है.
क्या
वजह
है
कि
फिल्म
विवाह
के
बाद
आप
काफी
चूज़ी
हो
गई
हैं
?
मैंने
हमेशा
सोच
समझकर
फिल्में
साइन
की
है
क्योंकि
इस
इंडस्ट्री
में
रिस्क
लेना
काफी
महंगा
पड
सकता
है.
मुझे
अपने
फैसले
पर
गर्व
है
क्योंकि
मैंने
जो
भी
फैंसला
किया
वह
मेरे
हित
में
ही
रहा.
पहले
शाहिद
और
अब
निखिल
के
साथ
आपका
नाम
जोडा
जा
रहा
है.
कैसा
लगता
है
?
(हंसते
हुए)
सब
भूल
चुके
थे
मगर
आपने
याद
दिला
दिया.
मुझे
लगता
है
अफवाहें
हमेशा
उडती
रहती
है
मगर
मै
उन
पर
ध्यान
नहीं
देती
हूं.
लेकिन
निखिल
के
लिए
यह
सब
नई
बात
है.
मुझे
याद
है
जब
निखिल
ने
पहली
बार
यह
सब
बातें
सुनी
थी
तो
वह
काफी
नर्वस
हो
गया
था.
उसे
डर
लग
रहा
था
कि
यह
सब
सुनकर
उसके
माता
पिता
उसके
बारे
में
क्या
सोचेंगे.
तब
मैंने
उसे
कहा
था
स्टारडम
का
पहला
चरण
यही
है.
यहां
कुछ
चीज़ें
आपके
फेवर
में
जाएंगी
और
कुछ
नहीं.
जो
नहीं
जाएंगी
उसे
अपने
फेवर
में
करना
होगा.
अपनी
आने
वाली
फिल्मों
के
बारे
में
बताइए
?
मेरी
आने
वाली
फिल्मों
में
अनिल
कपूर
की
फिल्म
“शॉर्टकट",
श्याम
बेनेगल
की
“महादेव"
हैं.
हमनें
सुना
है
श्याम
बेनेगल
की
फिल्म
“महादेव"
का
नाम
बदलकर
“और
महादेव"
होने
जा
रहा
है
?
मुझे
इस
बारे
में
कोई
जानकारी
नहीं
है.
(हंसते
हुए)
कहीं
ऐसा
न
हो
आगे
चलकर
इसका
नाम
“लगे
रहो
मुन्ना
भाई"
की
तरह
“लगे
रहो
महादेव"
हो
जाए.
इन
फिल्मों
के
अलावा
डेविड
धवन
की
“हूक
या
क्रूक"
तथा
“विक्ट्री"
के
बारे
में
बताइए
?
फिलहाल
डेविड
जी
की
फिल्म
“हूक
या
क्रूक"
का
सेट
अप
अभी
तैयार
नहीं
है.
इसकी
वजह
से
यह
फिल्म
अभी
होल्ड
पर
है.
जहां
तक
“विक्ट्री"
की
बात
है.
जी
हां
इस
फिल्म
के
लिए
हाल
ही
में
मुझसे
संपर्क
किया
गया
था.
इसमें
बतौर
हीरो
हरमन
बावेजा
हैं.
आपको
हाल
ही
में
दादा
साहेब
फालके
पुरस्कार
से
सम्मानित
किया
गया
था.
उसके
बारे
में
बताइए
?
जी
हां
दादा
साहेब
फालके
एकेडमी
की
तरफ
से
मुझे
एक
लेटर
आया
था
कि
वह
मुझे
मेरी
पिछली
फिल्म
“विवाह"
के
लिए
मुझे
सम्मानित
करना
चाह्ते
हैं.
दरअसल
काफी
लोग
कंफ्यूज़्ड
है
कि
यह
कौन
सा
अवार्ड
है.
दादा
साहेब
फालके
पुरस्कार
दो
श्रेणी
में
विभाजित
हैं.
एक
है
नॉर्मल
दादा
साहेब
फालके
पुरस्कार.
तथा
दूसरा
है
दादा
साहेब
फालके
नेशनल
पुरस्कार
जो
लाइफ
टाइम
एचिवमेंट
पुरस्कार
की
तरह
होता
है.
यह
पुरस्कार
राष्ट्रीय
पुरस्कार
की
श्रेणी
में
आता
है.
मुझे
यह
पुरस्कार
मिल
रहा
है.
मैं
काफी
खुश
हूं
कि
इतनी
कम
उम्र
में
मुझे
यह
पुरस्कार
दिया
जा
रहा
है.
इसके
लिए
मैं
उन
सबकी
आभारी
हूं.
क्या
आप
अपनी
शालीन
छवि
से
खुश
हैं
?
मुझे
लगता
है
हर
इंसान
के
अनुसार
शालीनता
का
अर्थ
अलग
होता
है.
हो
सकता
है
कुछ
के
अनुसार
आम
लडकी
का
अर्थ
है
एक
साधारण
सी
लडकी,
जो
ज़रा
भी
ग्लैमरस
नहीं
है
मगर
फिर
भी
वह
हर
पार्टी
की
जान
हो,
अपने
पडोसियों
के
लिए
खास
हो
साथ
ही
उसका
सेंस
ऑफ
ह्यूमर
कमाल
का
हो.
अगर
मेरी
शालीन
छवि
में
लोगों
को
यह
सब
चीज़ें
दिखाई
पडती
हैं
तो
मैं
पूरी
ज़िंदगी
इस
शालीन
छवि
के
साथ
रहना
चाहूंगी.
आपके
भविष्य
की
योजनाएं
क्या
हैं
?
मैं
धीरे
धीरे
आगे
बढते
हुए
अपनी
मंजिल
पाना
चाहती
हूं.
यदि
आज
मैं
यह
कहूं
कि
मैंने
अपनी
मंजिल
पा
ली
है
तो
कुछ
और
पाने
की
हसरत
नहीं
रह
जाएगी.
जब
कुछ
और
पाने
की
हसरत
नहीं
रह
जाती
है
तब
हमारा
विकास
रूक
जाता
है.
मैं
नहीं
चाहती
कि
मेरा
विकास
रूक
जाए.