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    बच्चों के रियलिटी शो पर विवाद

    By Staff
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    बच्चों के रियलिटी शो पर जर्मनी में विवाद

    जर्मनी में एक ऐसे रियलिटी शो पर विवाद शुरू हो गया है जिसमें किशोर जोड़े को चार दिन तक बंद घर में एक बच्चे की देखभाल करनी पड़ती है.लेकिन स्थिति कुछ ऐसी है कि वे एक पल के लिए भी बच्चे को अकेला छोड़कर नहीं जा सकते हैं. पड़ोस के घर में लगा मॉनीटर उनकी एक-एक गतिविधि पर नज़र रखे है और उनका हर पल कैमरे में कैद हो रहा है.

    'बिग ब्रदर' हो, 'बिग बॉस' हो या फिर 'इंडियन आइडल' या 'आजा नच ले' का रियलिटी शो हो. टेलीविज़न पर रियलिटी शो में झगड़ा, हँसना, रोना, तमाचा मारना और गले लगाना या फिर इन सबका नाटक करना आज आम बात हो गई है.

    लेकिन ये एक ऐसे रियलिटी शो की बात है जहाँ किशोर लड़के-लड़कियों के जोड़ों को एक-एक बच्चे के साथ चार दिनों के लिए बंद घर में छोड़ दिया जाता है. जहाँ उन्हें माता-पिता की तरह शिशु की पूरी देखभाल करनी होती है.

    निजी चैनल समाज कल्याण की भावना कब से रखने लगे. हमारे बच्चे पहले से ही माता-पिता बनने से बचते हैं ऐसे बेतुके शो उन्हें और हतोत्साहित भी कर सकते हैं फ़्राइडमैन, एक पिता

    निजी चैनल समाज कल्याण की भावना कब से रखने लगे. हमारे बच्चे पहले से ही माता-पिता बनने से बचते हैं ऐसे बेतुके शो उन्हें और हतोत्साहित भी कर सकते हैं

    वे ही उनकी नैपीज़ बदलना, खाना खिलाना-पिलाना और नहलाना-धुलाना सब करते हैं. इस कोशिश में वे कभी हँसते तो कभी सिर धुनते नज़र आते हैं.

    वयस्कता की परीक्षा

    जर्मनी में किशोरों और बच्चों को लेकर बने इस रियलिटी शो ने राजनीति, समाज और धार्मिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है.

    इस शो का नाम है 'एरवाख़सेन आउफ प्रोब' जिसका हिंदी में मतलब है वयस्कता की परीक्षा.

    इस रियलिटी शो में इस बात की परीक्षा ली जा रही है कि ये किशोर बच्चे माँ-बाप बनने के लिए कितना तैयार हैं. शो के मुताबिक ये जोड़े उन किशोर लड़के-लड़कियों के हैं जिन्होंने इसी उम्र में माँ-बाप बनने का फ़ैसला किया है.

    टेलीविज़न शो के निर्माताओं का दावा है कि ये शो 'टीनएज प्रेगनेन्सी' यानी किशोरावस्था में ही गर्भधारण की समस्या को ध्यान में रखकर बनाया गया है और इसका मक़सद 20 साल से कम उम्र के किशोरों में गर्भधारण की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना है.

    जर्मनी की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है और उसकी तुलना में यहाँ शिशुओं की पैदाइश की संख्या काफ़ी कम है.

    शिशु के पालन के लिए ज़रूरी समय, त्याग और मुश्किलों से दो-चार होने के बाद किशोर वय के लोग ऐसा कोई फ़ैसला करने से पहले सोचने के लिये मजबूर होंगे.

    लेकिन शो के प्रीमियर के साथ ही इस पर विवाद शुरू हो गया है और ये दिनों दिन तूल पकड़ता जा रहा है.

    पारिवारिक मामलों की मंत्री उर्सुला फॉन डेर लेयेन ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है.

    मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "ये नन्हे शिशुओं पर अत्याचार है. ज़रा उन बच्चों के बारे में सोचिए उनका कितना शोषण किया जा रहा है. इससे कितना नुक़सान हो सकता है."

    उर्सुला ख़ुद भी सात बच्चों की माँ हैं.

    निर्लज्जता करार

    प्रोटेस्टेंट चर्च के मीडिया प्रतिनिधि की तरफ से जारी एक बयान में इस शो को खुलेआम निर्लज्जता और सीमा का उल्लंघन करार दिया गया है तो जर्मन संसद के शिशु आयोग ने भी इसे पूरी तरह से ग़ैर ज़िम्मेदाराना शो बताया है.

    बाल अधिकारों के संगठनों ने इस शो पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है. बाल अधिकारों के संरक्षण के जर्मन फेडरेशन के एक प्रतिनिधि के मुताबिक, "बच्चों को इस तरह अजनबियों के हवाले करना बाल-अधिकारों के खिलाफ़ है. या तो इस पर प्रतिबंध लगाया जाए या फिर इसमें संशोधन किया जाए."

    अधिकांश अभिभावक भी इसके खिलाफ़ हैं.

    बाल अधिकारों के संगठनों ने इस शो पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है.

    डेढ़ साल की बच्ची की माँ केरेन वेशब्यूश कहती हैं, "लोकप्रियता पाने का ये घटिया तरीक़ा है कम से कम बच्चों पर तो बिग ब्रदर जैसे प्रयोग नहीं होने चाहिये."

    दो युवा बच्चों के पिता फ्राइडमैन इस शो की मंशा पर सवाल उठाते हैं, "निजी चैनल समाज कल्याण की भावना कब से रखने लगे. हमारे बच्चे पहले से ही माता-पिता बनने से बचते हैं ऐसे बेतुके शो उन्हें और हतोत्साहित भी कर सकते हैं."

    ग़ौरतलब है कि जर्मनी की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है और उसकी तुलना में यहाँ शिशुओं की पैदाइश की संख्या काफ़ी कम है क्योंकि युवा पीढ़ी संतान पैदा करने के प्रति उदासीन मानी जाती है.

    एक अनुमान के मुताबिक 2020 में यहाँ 40 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी बूढ़ों की यानी 60 साल से ऊपर के लोगों की हो जाएगी.

    इसलिए जर्मन सरकार अपने कार्यक्रमों के ज़रिए जन्म दर बढ़ाने की कोशिश भी कर रही है जिसमें अभिभावक बनने पर पैसे का प्रोत्साहन भी शामिल है.

    11वीं में पढ़ने वाले हेंड्रिक कहते हैं, "ये एक बचकाना शो है. टीन एजर्स टेलीविज़न शो देखकर न तो अपनी राय बनाते हैं और न ही बदलते हैं."

    हालाँकि चैनल के प्रवक्ता ने सभी आलोचनाओं को बेबुनियाद ठहराया है और कहा है कि इस शो की शूटिंग के दौरान बच्चों का पूरा ख्याल रखा गया.

    अपने पक्ष में चैनल ने शो में शामिल एक बच्चे की माँ का इंटरव्यू भी जारी किया है जिसके मुताबिक उन्होंने और उनके 10 महीने के बच्चे ने इस शो का ख़ूब आनंद लिया.

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