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    अक्षय के गले नहीं उतर रही है..

    By Staff
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    अक्षय के गले नहीं उतर रही है..

    अक्षय के गले नहीं उतर रही है..

    'चाँदनी चौक टू चाईना" और '8x10 तस्वीर" के बाद 'कमबख़्त इश्क़" फ़्लॉप क्या हो गई ये बात अक्षय कुमार के गले उतर ही नहीं रही.

    शायद इसलिए वो एक ही बात अलग-अलग तरीक़े से और अलग-अलग शब्दों में दोहराए जा रहे हैं. 'हमने ये फ़िल्म क्रिटिक्स के लिए नहीं बनाई," दूसरी फ़िल्मों में कुत्ते, कमीने जैसी गालियाँ होती हैं तो हमारी फ़िल्म में 'डॉग" और 'बिच" शब्दों पर लोगों को ऐतराज़ क्यों है?

    क्रिटिक्स ये, क्रिटिक्स वो, वग़ैरह-वग़ैरह.... अक्षय से कोई ये पूछे कि इससे पहले क्या उन्होंने विशेष तौर पर सिर्फ़ क्रिटिक्स के लिए कौन सी फ़िल्म बनाई है....

    और अगर 'कमबख़्त इश्क़" नहीं चली तो उसमें क्रिटिक्स का क्या दोष? अगर सच-मुच किसी का दोष है तो शायद अक्षय का है, क्योंकि वह इतनी तगड़ी फ़ीस चार्ज करते हैं कि फ़िल्म का बजट बहुत बढ़ जाता है. आख़िर हम किस फ़िल्म को फ़्लॉप कहते हैं? वही जो अपनी लागत पूरी नहीं कर पाती है.

    अक्षय भैया, अपनी क़ीमत थोड़ी घटा दो, ख़ुद-बख़ुद आपकी फ़िल्में पैसे कमाने लगेंगी. फिर क्रिटिक्स क्या और दर्शक क्या, सब कहेंगे, अक्षय कुमार की फ़िल्में पहले की तरह चलती हैं. फ़्लॉप आपकी फ़िल्में कम और आप की क़ीमत ज़्यादा हो रही है.

    सैफ बने ऋषि कपूर

    'लव आजकल" के ट्रेलर देख कर लोगों को लग रहा है कि उस में सैफ़ अली ख़ान का डबल रोल है. लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, फ़िल्म में सैफ़ जो सरदार के गेट-अप में हैं वह ऋषि कपूर हैं. नहीं समझे?

    ऋषि कपूर, सैफ़ को अपने ज़माने का प्यार करने का अंदाज़ सुनाते हैं तब फ़िल्म फ़्लैशबैक में जाती है... और जवानी के ऋषि कपूर की भूमिका में दर्शक सरदार जी सैफ़ अली ख़ान को देखेंगे. और हाँ, फ़िल्म में ऋषि कपूर सैफ़ के पिता नहीं हैं.

    कहानी कहने का ये अंदाज़ निर्देशक इम्तियाज़ अली का आईडिया है. जी हाँ, यही है 'लव आजकल" की कहानी में ट्विस्ट! और अगर आप सोचते हैं कि दोनों रोल में सैफ़ अली ख़ान इसलिए हैं क्योंकि इस फ़िल्म का निर्माण भी सैफ़ ने किया है तो आप बिल्कुल ग़लत है.

    न तो सैफ़ पैसे बचा रहे थे और न ही वो दोनों रोल में आने के लिए मरे जा रहे थे. निर्देशक इम्तियाज़ अली ने कहा और निर्माता और नायक सैफ़ ना नहीं कह सके.

    ऐश्‍वर्या की फिल्‍मों की री-शुटिंग

    ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन की 'रावण" की 100 दिनों की शूटिंग हो चुकी है और फ़िल्म लगभग 80 प्रतिशत तैयार है. और अभी, कम से कम 125 दिनों की शूटिंग बाक़ी है. नहीं समझे?

    अरे, मणिरतनम काफ़ी री-शूटिंग करने वाले हैं. यूँ कहिए, फ़िल्म लगभग पूरी री-शूट हो रही है. ऐश्वर्या राय की दूसरी फ़िल्म है शंकर की 'रोबोट". मानो या न मानो, उसके लिए शंकर दो साल शूटिंग करने वाले हैं.

    और तीसरी फ़िल्म जिसमें ऐश काम कर रही हैं - वो है संजयलीला भंसाली की 'गुज़ारिश". अब संजय लीला भंसाली भी बड़ी तबीयत से शूटिंग करते हैं. यानी कि ऐश्वर्या राय को तीनों फ़िल्में ऐसी मिली हैं जिसमें उन्हें हर एक फ़िल्म के लिए तीन-तीन फ़िल्मों जितनी डेट देनी पड़ रही हैं.

    शंकर की 'रोबोट" की बात चली है तो आपको ये जान कर हैरत होगी कि उस फ़िल्म के लिए शंकर को कोई कैमरामैन नहीं मिल रहा था. क्यों? शंकर जैसे नामी निर्देशक के साथ कोई कैमरामैन काम करने को तैयार नहीं था?

    जी हाँ, बात कुछ ऐसी ही थी. पर वो इसलिए कि शंकर को चाहिए था एक ऐसा कैमरामैन जो दो सालों तक सिर्फ़ उनकी एक फ़िल्म पर काम करें, दूसरी कोई फ़िल्म नहीं करें. आख़िर, विज्ञपान की दुनिया से उन्हें एक कैमरामैन मिला. और उस कैमरामैन (रैनडी) को दो सालों के लिए क़ैद करने के लिए उन्हें पूरे एक करोड़ रूपए देने पड़े.

    मीडिया कॉंशस हुए सनी देओल

    वर्षों से सन्नी देओल पब्लिसिटी से दूर भागते रहे हैं. अपनी फ़िल्म की प्रोमोशन के लिए वो भले ही समय निकालते थे मगर उसके अलावा सन्नी ने कभी भी मीडिया के साथ अटूट रिश्ता बनाने की न तो सोची और न ही कोशिश की.

    लेकिन आजकल, सन्नी और पापा धर्मेंद्र दोनों बहुत मीडिया कॉंशस हो गए हैं. हाल ही में 'फ़ादर्स डे" के दिन वो दोनों एक राष्ट्रीय अख़बार के सप्लीमेंट के संपादक बने. और तो और, आजकल दोनों टीवी के रियलिटी और टैलेंट शोज़ में बतौर मुख्य अतिथि भी आने लगे हैं. देर आए दुरुस्त आए.

    नीरज वोरा को लगे चांटे

    नीरज वोरा, जिनकी हाल ही में 'शॉर्ट कट" बॉक्स आफ़िस पर बुरी तरह पिट गई, उन्हें पिछले साल गोविंदा ने खींचकर तमाचा मारा था. पता नहीं, बॉक्स आफ़िस का ये तमाचा नीरज वोरा को ज़्यादा तेज़ लगा या गोविंदा का...जो हिरो ने उनकी फ़िल्म 'रन भोला रन" की शूटिंग के दौरान मारा था.

    लेकिन ख़बर ये है कि इससे पहले नामचीन नाटक निर्मता संजय गोराडिया ने भी नीरज वोहरा को चांटा मारा था.

    वर्षों पहले की बात है - तब नीरज स्टेज से जुड़े थे. एक दिन संजय गोराडिया, जो उस समय भी नामी थिएटर प्रोड्यूसर थे, उन्हें पता चला कि नीरज उनके स्टेज-प्ले को अनुवाद कर के दूसरी भाषा में अपने ख़ुद के नाम से बना रहे हैं, वो भी उनकी इजाज़त के बिना. बस फिर क्या होना था?

    एक दिन, जब गोरादिया और वोरा का आमना-सामना हुआ तब गोराडिया ने अपना ग़ुस्सा वोरा के गाल पर एक तमाचा मार कर निकाला. शायद इसलिए नीरज वोरा को मार खाने की आदत सी हो गई है....

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