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कहानी की band: जब देश में दंगे हो जाते, शाहरूख खान की वजह से!
कल हो न हो एक ऐसी फिल्म है जिसे रोमांस की श्रेणी में आप पूरे नंबर देंगे। फिल्म में सब कुछ था जो इंसान देखना चाहता है। प्यार, दोस्ती, हल्के फुल्के पल और परिवार। फिल्म में नैना-रोहित और अमन की दोस्ती थी तो उनका प्यार भी।
हालांकि ये लव ट्राएंगल हमें बहुत पसंद आया था। लेकिन अगर सब कुछ ठीक होता तो फिल्म में करीना कपूर नैना का किरदार निभा रही होतीं। और अगर ऐसा होता तो शायद बॉलीवुड को करीना शाहिद रोमांस देखने को नहीं मिलता और सैफ और करीना बहुत पहले निकाह कर चुके होते।
[कहानी की बैंड: तो WAtsapp पर ग्रुप चैट करते अमर अकबर एंथनी]
लेकिन करीना उन दिनों ऋतिक के भी प्रेम में दीवानी थीं और उन्होंने करन जौहर की इस फिल्म को कह दिया था No. खैर समझाया सब ने था कि ऐसी हिट करियर में क्या पता कल हो न हो! फिल्म हमारे दिल के बेहद करीब है लेकिन फिल्म के कुछ ट्विस्ट ऐसे हैं जिन्हें अगर ट्विस्ट कर दिया जाए तो बज जाएगी कहानी की BAND!

HAWWWW शाहरूख को मार डाला...हल्ला बोल
इस फिल्म में डायरेक्टर निखिल आडवाणी और राइटर करन जौहर को जनता कभी माफ नहीं करेगी। बॉलीवुड में दो ही लोग जिनकी दीवानगी में फैन्स कुछ भी कर सकते हैं। अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान। शाहरूख तो युवाओं के दिल में रहते हैं और इन्होंने शाहरूख को मार डाला। मतलब कुछ भी। शाहरूख को क्यों मारा!!!! अगर फैन्स को करन जौहर की इस हरकत का पता पहले चल गया होता तो उन्होंने मेरे शाहरूख को क्यों मारा टाइप कोई कैम्पेन चला दिया और देश में दंगे हो गए होते....दंगे! और फिर फिल्म हो जाती बैन और बज जाती कहानी की Band!

नैना फ्रस्ट्रेट होकर भाग जाती
फिल्म के शुरू में ही दिखा दिया गया था कि नैना अपनी फैमिली से कितनी परेशान है। और हो भी क्यों न इतनी उमर तक कौन पढ़ता है। खैर ऊपर से घरवालों की किचकिच। इन सब से परेशान होकर नैना भाग जाती तो....या ड्रग्स शग्स लेने लगती तो...फिल्म का नाम होता भाग मिल्खा भाग.......या दम मारो दम...न सुनने को मिलता सोनू निगम की आवाज़ में कल हो न हो...बजनी ही थी कहानी की Band!

अगर शाहरूख सच में फरिश्ता होते
AWWWW वैसे तो हम शाहरूख की हर अदा के दीवाने हैं, और करन जौहर भी हैं। सोचिए अगर जिस फरिश्ते को नैना का पूरा परिवार बुला रहा था वो सच में आता। नई क्योंकि ये बड़े प्रोडक्शन तो कुछ भी कर लेते हैं...थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक याद है...छड़ी और CROWN वाली परी रानी मुखर्जी...EWWWW तो ऐसे ही शाहरूख भी अगर कोई फरिश्ता बनकर आसमान से उतरते तो.....OMG आसमान से आया फरिश्ता....कहानी की band बजाने!

अगर शाहरूख नॉर्मल पड़ोसी होते
भई ठीक है हम शाहरूख फैन हैं, कुछ भी दिखा दो चलेगा...हमने हैप्पी न्यू ईयर भी देख ली थी, लेकिन अच्छी फिल्म में कुछ भी थोड़ी। अब देखिए इस फिल्म में शाहरूख जैसे घर घुस्सू पड़ोसी, वो भी विदेश में। पूरे टाइम शाहरूख अपने घर में दिखते ही नहीं थे, नैना तो नहीं जाती थी उनके घर इतना। पड़ोसी हो दामाद थोड़ी, लिमिट ही नहीं है कोई!

लाजो जी और चढ्ढा जी में कुछ कुछ हो जाता
जगजीत अंकल ने एक ग़ज़ल गाई थी न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन। तो नैना की लाजो जी और अमन के चढ्ढा जी में कुछ कुछ हो जाता तो फिल्म में थोड़ी और कॉमेडी होती। वैसे भी दारा सिंह का रोमांस देखना दिलचस्प होता। अब इन सबके चक्कर में शाहरुख की बीमारी का दुख थोड़ा कम तो हो जाता पर बज जाती कहानी की बैंड।

पहले से नैना रोहित का अफेयर होता
फिल्म में सैफ टिपिकल लड़के बने हैं....जिसे ज़िंदगी में बस अफेयर करने के लिए लड़का चाहिए। तो ज़रा सोचिए कि अगर रोहित और नैना की दोस्ती प्यार में पहले ही बदल गई होती तो....क्यों मत पूछो यार...बॉलीवुड ने ही तो हमें सिखाया है कि एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते...तो अगर इनमें पहले से ही अफेयर चल रहा होता तो शाहरूख अपने इलाज पर फोकस करते और एंड में मरना नहीं पड़ता।

दोस्ताना पार्ट 2
बेचारी कांता बेन। जितने हार्ट अटैक के मौके अमन और रोहित ने कांताबेन को दिये है न। लेकिन अगर ये दोनों सच में गे होते तो दोस्ताना पहले ही बन चुकी है। बस प्रियंका - जॉन - अभिषेक ह़ॉट लगे थे, शाहरूख - सैफ - प्रीती कयूट लगते। हां हां पता है कि शाहरूख फैन हो पर इसका मतलब ये नहीं है कि उनको हॉट बोल दो...कहानी की बैंड तो बज गई न!

अगर गुजराती और पंजाबी का मेल नहीं होता
अगर रोहित के पापा कड़क गुज्जू होते एकदम हम दिल दे चुके सनम में ‘ऐसवरिया' राय के पप्पा जैसे तो रोहित की शादी जिगिSAA, प्रत्यूSSAAA टाइप किसी लड़की से हो जाती और दादी नैना का व्याह किसी गबरू पंजाबी मुंडे से कराती परमजीत, गरमजीत, धरमजीत....WhO Cares...बज जाती कहानी की band!

शाहरूख के पास मैजिकल पावर्स नहीं होती
आपको पता है न कि शाहरूख इस फिल्म शक्तिमान (without costume) थे। अब देखिए न फिल्म में जहां जो इमोशनल सीन चल रहा होता था, दाएं - बाएं आगे पीछे, कहीं न कहीं से शाहरूख एंगल में आ ही जाते थे। छुप छुप के दूसरों की बातें सुनना BAD Manners....पर इनकी मम्मी ने इनको ये बात सिखाई ही नहीं। अब सोचिए कोई इनको उनकी बातें देख लेता तो फिर शाहरूख बजा देते न....कहानी की band!

6 दिन में लड़की हो जाती IN
ये 6 दिन लड़की इन वाला फॉर्मूला न सही था....हमेशा काम करता है बस इस फिल्म को छोड़कर। अब यहां पर भी देखिए प्रीती की गलती थी। ऐसे दूसरों की बातें सुनना BAD MANNERS....TChhh इनकी मम्मी ने भी नहीं सिखाया। खैर अगर फॉर्मूला काम कर जाता तो फिल्मों को शाहरूख की उम्दा रोमांटिक लाइनें नहीं मिलती जो इन्होंने इस सीन के बाद बोली थी और लड़कियां खो देती AWWWW करने का और मौका और हम करते HAWWWWW कहानी की band!

शाहरूख ने सब जानबूझकर ही किया था
वैसे जब शाहरूख को इतनी बड़ी बीमारी थी तो उनको इतना महान बनने की क्या ज़रूरत थी। अगर वो 123 EEEEEE करते हंसना नहीं सिखाते तो भी नैना और रोहित क्यों प्यार हो ही जाता...याद है न एक लड़का और एक लड़की...वैसे भी शाहरूख को तो पता था कि वो मरने वाले हैं...तो वो कैसे मरने वाले थे...उनकी बीमारी का पता सबको चल ही जाता...तो छुपाने का wat is the point is the! वो चाहते थे कि वो सबके सुपरहीरो बनकर मरें...वो चाहते कि नैना एकदम फ्लैट हो जाए उनपर....वो चाहते थे कि लास्ट सीन में बेचारी बेबो के सैफू ऐसे बूढ़े दिखें.....ये भी Attention seeker निकले...और बजा डाली कहानी की band!