एक परिवार- पिता, भाई बहन, सौतेला बेटा, बॉडीगॉर्ड्स, कुछ विश्वनीय दोस्त, अवैध धंधा और कुछ दुश्मन, यहां से शुरु होती है रेस 3 की कहानी। पहली सीन से निर्देशक ने बता है कि फिल्म स्टाइल और सेटअप के मामले में तगड़ी होने वाली है, जैसी कि रेस फ्रैंचाइजी की फिल्मों से उम्मीद की जाती है।
खैर, यह रेस शुरु होती है शमशेर सिंह (अनिल कपूर) से, जो हथियार बनाने की फैक्ट्री चलाता है। साथ ही गैरकानूनी ढ़ंग से दुनिया भर में अवैध हथियार सप्लाई करता है। उसकी लाइफ है फंडा है कि वह गुस्से में कभी फैसला नहीं लेता.. बल्कि पहले फैसला लेता है और फिर एक्शन। सिंह परिवार का हिस्सा हैं जुड़वां भाई बहन सूरज (साकिब सलीम) और संजना (डेजी शाह), यश (बॉबी देओल) और सिंकदर (सलमान खान)।
2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म में यह परिवार एक होकर भी एक नहीं होता है। संजना और सूरज अपने सौतेले भाई सिकंदर से नफरत करते हैं। खैर, कौन वफादार है कौन दुश्मन, यह खुलासा फिल्म के अंत में जाकर होता है। इस बीच कई षड्यंत्र रचे जाते हैं। जैकलीन और डेजी शाह ने फिल्म में काफी ग्लैमर का तड़का डाला है। इधर एक दिन शमशेर सिंह के हाथों एक सीडी लग जाती है, जिसमें भारत के कुछ नेताओं की अय्याशियों के सबूत कैद हैं। यह सिंह परिवार के लिए करोड़ों की डील होती है, जिसमें उनका साथ देता है उनका सबसे बड़ा दुश्मन राणा (फ्रैडी दारुवाला)। खैर, इस डील को पूरा करते करते कई बातों का खुलासा होता है। कुछ कहानी फ्लैशबैक में चलती है, जहां सिंकदर की स्वर्गवासी मां से जुड़ी कहानी सामने आती है। क्लाईमैक्स तक जाते जाते फिल्म इतनी ऊबाऊ हो जाती है कि आपको कोई फर्क नहीं पड़ता कि असली विलेन कौन है। निर्देशन की बात करें तो रेमो डिसूजा रेस 3 जैसी बड़ी फिल्म और इतने बड़े स्टारकास्ट को संभालने में सफल नहीं रहे हैं। खासकर सलमान खान फैंस बेहद निराश होने वाले हैं क्योंकि फिल्म में एक्शन भी काफी निम्न स्तर का है। फिल्म के लोकेशन अच्छे हैं। सिनेमेटोग्राफी को कुछ नंबर दिये जा सकते हैं। फिल्म की पटकथा इतनी कमजोर है, जिसका असर हर किरदार पर साफ दिखता है। सब अधपके से लगते हैं। शिराज़ अहमद के डॉयलोग्स हास्यास्पद लगे हैं। परर्फोमेंस में बॉबी देओल, अनिल कपूर, जैकलीन और डेजी शाह अपने किरदारों में ठीक लगे हैं। सलमान खान कुछ सीन्स में काफी प्रभावित करते हैं, जबकि ज्यादातर जगहों पर थके थके से नजर आते हैं। हालांकि शर्टलेस सीन देकर उन्होंने अपने चाहने वालों को खुश करने की कोशिश की है। वहीं बाकी सर्पोटिंग कास्ट ने भी ठीक ठाक योगदान दिया है। फिल्म का संगीत बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करता। लगभग हर गाना फिल्म में ढ़ूंसा सा लगता है। गानों के जरीए काफी रोमांस दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन यहां सभी भावनाएं खोखली नजर आती है। कुल मिलाकर इस ईद फिल्म प्रेमियों को थोड़ी निराशा हो सकती है। सलमान खान फैंस फिल्म को एक बार एन्जॉय कर सकते हैं। हमारी तरफ से फिल्म को 1.5 स्टार।