साहो फिल्म रिव्यू- बाहुबली प्रभास के सहारे टिकी है एक औसत कहानी


Rating:
2.0/5

कलाकार- प्रभास, श्रद्धा कपूर, जैकी श्राफ, नील नितिन मुकेश, चंकी पांडे, मंदिरा बेदी

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निर्देशक- सुजीत

खलनायक, खलयानक का साम्राज्य, मौत का खेल, चोर- पुलिस की लंबी लेकिन बराबर में चल रही प्रतिद्वंद्विता और इन सबके बीच में हीरो और हीरोइन का रोमांस। सुजीत के निर्दशन में बनी फिल्म साहो कुछ ऐसी ही है।

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बाहुबली की अचंभित करने वाली सफलता के बाद प्रभास की 'साहो' से प्रशंसकों ने अपनी अपार उम्मीदें बांधी थीं। फिल्म का प्रमोशन भी काफी जोर शोर से किया गया। ना सिर्फ भारत की सबसे मंहगी फिल्म बल्कि साहो को भारत की सबसे बड़ी एक्शन इंटरटेनर होने का तमगा भी दिया गया। लेकिन 350 करोड़ की तगड़ी बजट और दमदार स्टारकास्ट होने के बावजूद फिल्म अपने रास्ते से डगमगाती दिखती है। ढ़ीली कहानी, अस्पष्ट पटकथा और कमजोर निर्देशन फिल्म को सांस ही नहीं लेने देती।

फिल्म की कहानी

रॉय साम्राज्य की कहानी से फिल्म की शुरुआत होती है। वाजी शहर में बसी 'रॉय ग्रूप ऑफ कंपनी' अपराध के दुनिया की सबसे बड़ी संघ है, जिसके प्रमुख रॉय (जैकी श्रॉफ) हत्या कर दी जाती है। इस बीच समूह के कुछ मुख्य सदस्यों के बीच सत्ता को हथियाने की जंग शुरु हो जाती है। इस जंग को जीतने के लिए उन्हें एक ब्लैक बॉक्स की खोज़ करनी है। वहीं, मुंबई में अशोक चक्रवर्ती (प्रभास) और उसकी टीम शहर में हुई 2 लाख करोड़ की चोरी की तहकीकात कर रहे हैं। अब दो लाख करोड़ की चोरी और वाजी शहर के बीच क्या संबंध है, साहो इसी की कहानी है।

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अभिनय

प्रभास ने अपने किरदार को पूरी सच्चाई और स्वैग के साथ निभाया है। हालांकि बाहुबली की तरह साहो में भी हिंदी में उनकी आवाज की डबिंग किसी और कलाकार से करानी चाहिए थी। इससे संवाद का असर कुछ और गहरा होता। एक्शन सीन्स में प्रभास जबरदस्त दिखे हैं। कोई दो राय नहीं कि उनकी कद काठी पर एक्शन काफी फबता है। अमृता नायर के किरदार में श्रद्धा कपूर अच्छी दिखी हैं। श्रद्धा- प्रभास के कुछ रोमांटिक सीन्स अच्छे बने हैं। श्रद्धा की उपस्थिति पूरी फिल्म में तो दिखती है, लेकिन अफसोस निर्देशन ने ज्यादा कुछ करने का मौका ही नहीं दिया। कुछ सीन में अमृता के किरदार को इस कदर मूढ़ दिखाया गया है कि निर्देशक की सोच पर हंसी आती है। फिल्म में यदि किसी किरदार के साथ पूरी तरह न्याय किया गया है तो वह हैं चंकी पांडे। देवराज के किरदार में चंकी पांडे ने कुछ बेहतरीन हाव भाव दिये हैं, जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है। जैकी श्राफ, अरुण विजय, नील नितिन मुकेश, मंदिरा बेदी, महेश मांजरेकर के किरदारों को लाया तो गया, लेकिन निर्देशक कोई रुप रेखा देना भूल गए। इन उम्दा कलाकारों को पूरी तरह फिज़ूल कर दिया गया।

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निर्देशन व तकनीकि पक्ष

पिछले कुछ सालों में हमने कई बड़ी बजट और बड़ी स्टारकास्ट की फिल्में औंधे मुंह गिरते देखी हैं। कारण सिर्फ एक- कमजोर पटकथा। साहो की सबसे कमजोर कड़ी भी इसकी पटकथा है। लगभग तीन घंटे की इस फिल्म में कहानी बोर करती है। थ्रिलर फिल्म होने के नाते तमाम ट्विस्ट देने की कोशिश की गई है,हीरो हीरोइन के साथ कई सारे विलेन किरदार लाए गए हैं, लेकिन यह सभी कहानी को दिलचस्प बनाने की जगह बोझिल कर देते हैं। कई सीन पहले से देखे हुए लगते हैं। प्रभास और श्रद्धा की फाइट सीन सीधे बाहुबली की याद दिलाता है, जहां प्रभास और अनुष्का शेट्टी दुश्मनों का सामना कर रहे होते हैं। फिल्म में कुछ एक्शन सीन हैं, जो कि काफी आकर्षक हैं। खासकर सेकेंड हॉफ में दिखाया गया एक लंबा एक्शन चेज सीन। साहो की शुरुआत काफी स्मार्ट प्लान के साथ होती है, लेकिन धीरे धीरे जैसे कहानी आगे बढ़ने लगती है, फिल्म की कमजोरियां सामने आने लगती है। श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग औसत है। 2 घंटे 51 मिनट लंबी यह फिल्म आराम से आधे घंटे और छोटी हो सकती थी। वीएफएक्स के मामले में भी फिल्म कुछ बेहतर नहीं दिखा पाई।

देंखे या ना देंखे

बाहुबली के बाद प्रभास की इस फिल्म को लेकर लोगों के बीच काफी उत्साह है। यदि आप प्रभास को बड़े पर्दे पर एक्शन करते देखने के लिए बेचैन हैं, तो साहो जा सकते हैं। लेकिन एक अच्छी एक्शन- थ्रिलर फिल्म की खोज में जाने से निराशा हाथ लग सकती है। फिल्मीबीट की ओर से फिल्म को 2 स्टार।

English Summary

Prabhas and Shraddha Kapoor starrer Saaho is high on action but weak screenplay and amateur direction sinks down the ship. Film directed by Sujeeth.