पल पल दिल के पास फ़िल्म रिव्यू


Rating:
2.5/5

कलाकार- करण देओल, सहर बांबा

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निर्देशक- सनी देओल

धर्मेंद्र के पोते और सनी देओल के बेटे करण देओल की पहली फिल्म का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी को लेकर लोगों के बीच काफी अपेक्षाएं थीं। अब 'पल पल दिल के पास' सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। करण देओल और सहर बांबा अभिनीत फिल्म 'पल पल दिल के पास' एक प्रेम कहानी है, जहां हीरो है, हीरोइन है, विलेन है, एक बैक स्टोरी है और प्यार की राहों में हैं कुछ मुश्किलें। अपने बेटे करण देओल को लांच करने की जिम्मेदारी उठाते हुए सनी देओल ने खुद इस फिल्म का निर्देशन किया है।

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फिल्म की कहानी

मनाली की खूबसूरत वादियों से शुरु होती है फिल्म की कहानी। यहां करण सहगल (करण देओल) 'उजी कैंप' नामक एक विशेष ट्रेकिंग कंपनी चलाता है, जो पर्यटकों और मशहूर हस्तियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। पहली सीन से ही आपको करण के व्यक्तित्व से परिचित करा दिया जाता है। वह एक जिंदादिल, दूसरों का सम्मान करने वाला, सबको प्यार देने वाला लड़का है, जिसे खतरों से खेलने का भी शौक है। वहीं, दूसरी ओर हैं सहर सेठी (सहर बांबा), जो दिल्ली की चर्चित वीडियो ब्लॉगर हैं। अपने ब्लॉग के लिए वो 'उजी कैंप' का ट्रिप प्लान करती हैं। करण और सहर एक ए़डवेंचर ट्रिप पर निकलते हैं, जहां छोटी मोटी लड़ाइयों के साथ दोनों एक दूसरे के कुछ पल साथ गुज़ारते हैं और उन्हें प्यार हो जाता है। इस ट्रिप पर सहर अपने डर से लड़ती है और खुद में बदलाव पाती है। बहरहाल, फिल्म का पहला हॉफ जहां एडवेंचर से भरपूर है, सेकेंड हॉफ एक रोमांटिक- फैमिली ड्रामा है। एडवेंचर ट्रिप खत्म होने के लिए सहर दिल्ली वापस आती है। इधर करण को अहसास होता है कि वह सहर से बेहद प्यार करता है और वो दिल्ली आकर प्यार का इज़हार करता है। लेकिन कहानी इतनी आसान नहीं.. यहां से शुरु होता है सारा ड्रामा और एक्शन। फिल्म में होती है विलेन की एंट्री। अब करण और सहर की प्रेम कहानी किन किन मुश्किलों से गुज़रती है, पूरी हो पाती है या नहीं.. यह देखने के लिए आपको सिनेमाघर तक जाना पड़ेगा।

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अभिनय

करण देओल और सहर बांबा ने इस फिल्म के साथ बॉलीवुड में कदम रखा है। लिहाजा, फिल्म में दोनों की जोड़ी फ्रेश दिखती है। कई दृश्यों में करण बिल्कुल अपने पिता सनी देओल की छाप छोड़ते हैं। एक्शन और स्टंट सीन्स में करण अच्छे लगे हैं, लेकिन इमोशनल सीन्स और डायलॉग डिलेवरी पर उन्हें काफी मेहनत करनी होगी। बता दें, फिल्म के एडवेंचर सीन्स करण ने खुद किये हैं। इसके लिए उन्हें तारीफ मिलनी चाहिए। वहीं, इस फिल्म को सहर बांबा की एक बेहतरीन शुरुआत मान सकते हैं। कुछेक दृश्यों को नजरअंदाज़ किया जाए तो सहर ने अच्छा काम किया है। उनमें आत्मविश्वास नजर आता है। बतौर सह कलाकार फिल्म में सिमोन सिंह, सचिन खेडेकर ने अच्छा साथ दिया है।

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निर्देशन एवं तकनीकि पक्ष

सनी देओल ने इससे पहले दिल्लगी और घायल वन्स अगेन का निर्देशन किया है। दोनों फिल्में ही एवरेज रही थीं। उनकी फिल्मों में एक इमोशनल जुड़ाव, एक सच्चाई तो होती है, लेकिन कहानी लंबे समय तक बांध कर नहीं रख पाती। और ऐसा ही कुछ हुआ है 'पल पल दिल के पास' के साथ। शानदार लोकेशन और बजट होने के बावजूद कमज़ोर पटकथा फिल्म को बांध नहीं पाई। देवेन्द्र मुरदेश्वर की एडिटिंग भी औसत रही। हालांकि मनाली की अनदेखी वादियों को देखना दिलचस्प रहा। इस फिल्म को देख युवाओं के बीच ट्रेकिंग का ट्रेंड फिर से शुरु हो सकता है।

देंखे या ना देंखे

एक टिपिकल बॉलीवुड रोमांटिक ड्रामा देखना चाहते हैं तो 'पल पल दिल के पास' एक बार देखी जा सकती है। फिल्म कुछ हिस्सों में प्रभावित करती है, तो कुछ हिस्सों में बोर। फिल्मबीट की ओर से फिल्म को 2.5 स्टार।

English Summary

Karan Deol and Sahher Bambaa starrer film Pal Pal Dil Ke Paas is a typical bollywood masala romantic drama. The film is directed by Sunny Deol.